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    आखिर दिल्ली काे क्यों डराती है बारिश! जलभराव से हो जाती है बदतर स्थिति; जानें क्या है इसकी वजह

    Updated: Sat, 03 May 2025 06:00 AM (IST)

    दिल्ली में मानसून की बारिश राहत की जगह डर लेकर आती है क्योंकि शहर का अनियोजित विकास और खराब ड्रेनेज सिस्टम जलभराव की समस्या को गंभीर बना देते हैं। 1700 से ज्यादा अनधिकृत कॉलोनियों में व्यवस्थित जल निकासी व्यवस्था नहीं है और नालों पर अतिक्रमण की समस्या भी है। विशेषज्ञों के अनुसार एक नए ड्रेनेज मास्टर प्लान की आवश्यकता है।

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    दिल्ली में भारी बारिश से जलभराव की स्थिति होती है उत्पन्न।

    वी के शुक्ला, नई दिल्ली। भारी गर्मी के दौरान मानसून के समय होने वाली वर्षा से लोग अमूमन राहत की सांस लेते हैं, मगर देश की राजधानी में लोग मानसून की वर्षा से डरते हैं, इसका कारण वर्षा होने पर यहां का जलभराव है। जिसे लेकर स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

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    एक तरफ 65 प्रतिशत से अधिक शहर का अनियोजित विकास होना है तो 1700 कॉलोनियों में व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम ना होना भी इस शहर में जल निकासी के मामले में एक बड़ी समस्या है। नालों पर अतिक्रमण और इनकी ठीक से सफाई न होना भी जल भराव की समस्या को बढ़ावा दे रहा है। नालों के रखरखाव को लेकर बहुनिकाय व्यवस्था एक अलग समस्या है।

    विशेषज्ञों की मानें तो जब तक दिल्ली के लिए जमीनी स्तर पर नया ड्रेनेज मास्टर प्लान बनकर लागू नहीं होता है समस्या के हल के लिए बहुत उम्मीद करना बेमानी होगा। सच्चाई यह भी कि शहर के बरसाती नालों का रखरखाव विभिन्न एजेंसियों के पास है, जिसमें आपस में तालमेल की कमी है।

    तीन मुख्य नालों से मिलते हैं 201 नाले

    शहर की स्थित पर गौर करें तो दिल्ली में बरसाती पानी की निकासी के लिए तीन मुख्य नाले हैं। इनमें एक ट्रांस यमुना, दूसरा बारापुला और तीसरा नजफगढ़ ड्रेन है। इन मुख्य नालों से कुल 201 बड़े नाले मिलते हैं। ट्रांस यमुना से 34 नाले, बारापुला से 44 और नजफगढ़ ड्रेन से 123 नाले जुड़े हुए हैं। तीनों मुख्य नालों से ही यमुना में बरसाती पानी की निकासी होती है।

    अनियमित कॉलोनियों में व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम नहीं

    दिल्ली एक ऐसा शहर है जो 65 फीसद तक अनियोजित तरीके से बसा है। जहां सुनियोजित तरीके से ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया गया है। यहां 1700 अनियमित कॉलोनियां हैं, जहां ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है। गलियों में नालियां अवश्य हैं, लेकिन ये भी आगे जाकर सीवरेज सिस्टम में मिल जाती हैं। चांदनी चौक, नई सड़क, सदर, दयाबस्ती, सब्जी मंडी, शकूरबस्ती जैसे तमाम इलाके ऐसे हैं, जहां सालों पुराना ड्रेनेज सिस्टम काम कर रहा है।

    हाईपावर कमेटी करे ड्रेनेज पर काम

    लोक निर्माण विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता ओपी त्रिपाठी के मुताबिक ड्रेनेज सिस्टम के कमजोर होने की सबसे बड़ी वजह शहर के कई नालों का जरूरत के हिसाब से अब अनपयुक्त हो जाना है।पहले की कम आबादी की जरूरत के हिसाब से जो लाने बनाए गए थे अब बढ़ी आबादी में भी उन्हें नालों का जल निकासी के लिए उपयोग किया जा रहा है।जिन स्थानों पर नाले यमुना में गिरते हैं उनके आसपास कई कालोनियां बन चुकी हैं।दिल्ली सरकार को हाईपावर कमेटी बनानी चाहिए, जो ड्रेनेज सिस्टम पर काम करे।

    अनियोजित विकास से पैदा हुई समस्या

    डीडीए के पूर्व योजना आयुक्त एके जैन का कहना है कि ड्रेनेज मास्टर प्लान पर कभी गंभीरता से काम ही नहीं हुआ।डेनेज सिस्टम के ध्वस्त हो जाने का सबसे बड़ा कारण दिल्ली में बड़े पैमाने पर अनियोजित विकास का हाेना है, जिसके कारण स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।वह कहते हैं कि दिल्ली का ड्रेनेज मास्टर प्लान अंतिम बार 1976 में बनाया गया, लेकिन उस पर भी ज्यादा काम नहीं हुआ। नालों की जिम्मेदारी कहीं बाढ़ एवं सिंचाई विभाग, कहीं एमसीडी और कहीं पीडब्ल्यूडी की है, लेकिन इनमें आपसी सामंजस्य नहीं रहता।नालाें के लिए एक एजेंसी बनाने की जरूरत है।

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