दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगेगी रोक, 18 लाख छात्रों को मिलेगी सुरक्षा
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम-2025 के लागू होने से अब 1700 निजी स्कूल फीस नियमन के दायरे में आ गए हैं जिससे 18 लाख छात्रों को मनमानी से सुरक्षा मिलेगी। नए कानून में तीन स्तरीय फ़ीस निर्धारण तंत्र बनाया गया है जिसमें स्कूल जिला और राज्य स्तर पर समितियां शामिल हैं। कानून का उल्लंघन करने पर स्कूलों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम (डीएसईएआर) 1973 के तहत अब तक डीडीए से ज़मीन लेने वाले सिर्फ़ 300 स्कूलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होती थी। लेकिन, अब दिल्ली के लगभग 1700 निजी स्कूल फ़ीस नियमन के दायरे में आ गए हैं।
यह बात दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कही। वे बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ सेंटर-2 में छात्रों और शिक्षकों से बातचीत कर रहे थे।
सूद ने कहा कि दिल्ली स्कूल शिक्षा (फ़ीस निर्धारण और नियमन में पारदर्शिता) अधिनियम-2025 लागू होने के बाद 1700 स्कूलों में पढ़ने वाले 18 लाख छात्रों को मनमानी से सुरक्षा मिली है। उन्होंने कहा कि,
नए क़ानून के तहत, तीन स्तरीय फ़ीस निर्धारण तंत्र बनाया गया है। इनमें एक स्कूल स्तरीय फ़ीस निर्धारण समिति शामिल है। इसमें प्रबंधन, प्रधानाचार्य, तीन शिक्षक, पांच अभिभावक (एससी-एसटी/महिला प्रतिनिधित्व अनिवार्य) और शिक्षा निदेशालय का एक प्रतिनिधि शामिल होगा।
जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है और यदि स्कूल स्तर पर आम सहमति नहीं बनती है, तो कोई भी अभिभावक यहां अपील कर सकता है। राज्य स्तरीय अपीलीय समिति का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा। निर्धारित शुल्क तीन वर्षों तक लागू रहेगा, जिससे अभिभावकों को आर्थिक और भावनात्मक स्थिरता मिलेगी। सभी निर्णय बहुमत से नहीं, बल्कि सर्वसम्मति से लिए जाएंगे।
कानून का उल्लंघन करने पर स्कूलों पर प्रति छात्र 50 हजार से दो लाख तक जुर्माना लगाया जाएगा। हर 20 दिन की देरी पर जुर्माना दोगुना हो जाएगा। यदि कोई स्कूल समिति के निर्णयों का पालन नहीं करता है, तो उसकी मान्यता या लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
मंत्री ने कहा, पिछली सरकारों ने शिक्षा सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए। पिछली सरकारों की नीतियों ने अभिभावकों को निजी स्कूलों की मनमानी का शिकार होने पर मजबूर कर दिया। भ्रष्टाचार ने शिक्षा क्रांति की बड़ी-बड़ी बातें करने वालों की पोल खोल दी।
सूद ने अपने छात्र जीवन और डूसू अध्यक्ष रहते हुए अपने संघर्षों को याद करते हुए कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय हमेशा से सामाजिक और राजनीतिक बदलावों का केंद्र रहा है।
उन्होंने छात्रों से इस कानून को गहराई से पढ़ने, समाज में इसका प्रचार-प्रसार करने और सुझाव देकर इसे और मजबूत बनाने की अपील की। इस अवसर पर विधि केंद्र-2 के प्रभारी प्रो. अनुपम झा और कार्यक्रम समन्वयक प्रो. वागेश्वरी देशवाल मौजूद रहीं।
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