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    Delhi Sikh Riots: सिखों को मारने और संपत्तियों को लूटने के लिए टाइटलर ने भीड़ को उकसाया: कोर्ट

    Updated: Sun, 01 Sep 2024 08:02 PM (IST)

    Delhi Sikh Riots News 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक अन्य मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गुरुद्वारा पुल बंगश में तीन सिखों की हत्या से संबंधित मामले में कोर्ट ने उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि टाइटलर ने दंगाइयों को उकसाया और भीड़ ने गुरुद्वारा को नष्ट कर दिया।

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    सिखों को मारने और संपत्तियों को लूटने के लिए टाइटलर ने भीड़ को उकसाया: कोर्ट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के बाद एक अन्य मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। गुरुद्वारा पुल बंगश में तीन सिख लोगों की हत्या से संबंधित एक मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश देते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रथम दृष्टया कहा कि टाइटलर ने न सिर्फ गैरकानूनी तरीके से लोगों को इकट्ठा किया था, बल्कि गुरुद्वारा पुल बंगश को नष्ट पहुंचाने, सिखों को मारने और उनकी संपत्तियों को लूटने के लिए भीड़ को उकसाया था।

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    शिकायतकर्ता मृतक बादल सिंह की पत्नी लखविंदर कौर के मामले पर विशेष न्यायाधीश राकेश स्याल ने कहा कि टाइटलर ने दंगाइयों को सिखों के खिलाफ आपराधिक बल या हिंसा का इस्तेमाल करने के लिए उकसाया था। गुरुद्वारा के पास एकत्रित हुई भीड़ का टाइटलर हिस्सा थे और भीड़ ने गुरुद्वारा पुल बंगश में आग लगाई थी।

    टाइटलर के वकील के तर्कों को ठुकराया

    तीन प्रमुख गवाहों हरपाल कौर, हरविंदरजीत सिंह और अब्दुल वाहिद द्वारा टाइटलर को फंसाने के लिए बयान देने के उनके वकील के तर्कों को भी अदालत ने ठुकरा दिया। अदालत ने कहा कि पीड़ितों के बयानों को केवल देरी के आधार पर खारिज करना उनके साथ पहले से ही किए गए अन्याय को बढ़ाने जैसा होगा।

    देरी बरी करने का आधार नहीं हो सकती...

    अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले के अजीब तथ्यों और परिस्थितियों में यह माना जाता है कि सिखों के खिलाफ हिंसक दंगों को भड़काने और उकसाने वाले व्यक्ति के रूप में आरोपी का नाम बताने में देरी आरोपी को बरी करने का आधार नहीं हो सकती है।

    टाइटलर की ठुकराई दलील

    अदालत ने टाइटलर की इस दलील को भी ठुकरा दिया कि सीबीआई ने टाइटलर को पुल बंगश की घटनाओं में किसी भी तरह की संलिप्तता से मुक्त करते हुए क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। अदालत ने माना कि आरोपी के संबंध में क्लोजर रिपोर्ट दायर होने से वह आरोपों से मुक्त करने का हकदार नहीं बनाता है।

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    अदालत ने सरकारी वकील की इस दलील को स्वीकार किया कि डर के कारण प्रत्यक्षदर्शी दंगों की जांच कर रही विभिन्न एजेंसियों, समितियों या आयोगों के सामने सच्चाई से बयान नहीं दे पाए। अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़ितों के परिवार के सदस्यों की पहली प्राथमिकता हत्या और लूटपाट की घटनाओं के गवाहों की अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा थी।