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    दिल्ली सरकार वाहनों में लगाने जा रही है एक स्पेशल डिवाइस... खतरनाक गैसों को 70 प्रतिशत तक घटाने की तैयारी

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 09:22 PM (IST)

    दिल्ली में भारी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए 30 कैटेलिटिक कन्वर्टर आधारित रेट्रोफिटिंग डिवाइस लगाने की तैयारी है। दावा है कि इससे बीएस तीन और बीएस चार गाड़ियों में 70% तक उत्सर्जन कम होगा। दिल्ली सरकार ने डीपीसीसी को नोडल एजेंसी नियुक्त किया है जो पायलट प्रोजेक्ट का आंकलन करेगी। सफल होने पर यह तकनीक पूरे देश में लागू की जा सकती है।

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    भारी वाहनों में रेट्राेफिटिंग डिवाइस लगाकर उत्सर्जन को किया जाएगा कम।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। भारी वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए दिल्ली में कैटेलिटिक कन्वर्टर आधारित 30 रेट्रोफिटिंग डिवाइस लगाने की तैयारी है।

    ये डिवाइस भारी वाहनों के एग्जाॅस्ट के साथ लगाई जाएंगी। दावा किया जा रहा है कि इससे बीएस तीन और बीएस चार गाड़ियों में पार्टिकुलेट मैटर सहित अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करीब 70 प्रतिशत से अधिक घट जाएगा।

    दिल्ली सरकार ने इस पायलट प्रोजेक्ट की संभावनाओं का आंकलन करने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को नोडल एजेंसी नियुक्त किया है।

    यह फैसला वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के पुराने व ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को दिल्ली में रोकने के निर्देशों के संदर्भ में लिया गया है। बुधवार को डीपीसीसी के अधिकारियों व तकनीकी विशेषज्ञों के साथ पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी बैठक की।

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    बैठक में बताया गया कि इन डिवाइस की उपयोगिता, कम बैक प्रेशर, रिजनरेशन क्षमता और 9,000 किमी से ज्यादा की फील्ड टेस्टिंग हो चुकी है।

    प्रायोगिक तौर पर सफलता के बाद ही इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू करने पर विचार किया जाएगा। अगर पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी अपनाया जा सकता है।

    डीपीसीसी नोडल एजेंसी के तौर पर पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, जल बोर्ड और स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय करेगी। बीएस चार या उससे पहले के मानकों वाले सरकारी और स्वायत्त संस्थाओं के वाहनों की सूची तैयार करेगी।

    साथ ही पायलट प्रोजेक्ट के परिणामों की जांच आईआईटी दिल्ली या इंटरनेशनल सेंटर फाॅर ऑटोमोटिव टेक्नालॉजी के साथ मिलकर की जाएगी।

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