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    डूसू चुनाव को लेकर हाई कोर्ट सख्त, कोई भी गड़बड़ी हुई तो होगी अवमानना की कार्रवाई

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 09:11 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने डूसू चुनावों में नियमों के उल्लंघन पर डीयू और पुलिस की निष्क्रियता पर टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी डीयू प्रशासन दिल्ली पुलिस और उम्मीदवारों की होगी। पुलिस ने बताया कि उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जा रही है। अदालत ने भविष्य में उल्लंघन को अवमानना माना जाएगा चेतावनी दी।

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    विडंबना है कि अदालत को दिलानी पड़ी पुलिस व डीयू को उसकी कर्तव्य की याद: हाई कोर्ट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों में नियमों के उल्लंघन के खिलाफ डीयू और पुलिस की उदासीनता पर टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि विडंबना है कि अदालत को डीयू व पुलिस के कर्तव्य की याद दिलानी पड़ती है।

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    तय कर दी जिम्मेदारी

    मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित करते हुए मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि उम्मीद है कि 18 सितंबर को होने वाले डूसू चुनावों के दौरान नियमों का कोई उल्लंघन नहीं होगा। साथ ही यह भी कहा कि नियमों का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी डीयू प्रशासन, दिल्ली पुलिस, उम्मीदवारों और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के संगठनों की होगी।

    कोई नहीं बख्शा जाएगा

    अदालत ने दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल रिपोर्ट को रिकाॅर्ड पर लिया, जिसमें कहा गया कि चुनावों की चौबीसों घंटे निगरानी के लिए 35 मोटरसाइकिलों के साथ 149 यातायात कर्मचारियों को तैनात किया गया है। दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि सोमवार शाम से मंगलवार दोपहर एक बजे के बीच यातायात नियमों के उल्लंघन के संबंध में कुल 200 चालान जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यातायात पुलिस किसी को भी नहीं बख्शेगी।

    अदालत की अवमानना माना जाएगा

    डीयू और दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल हलफनामा पर गौर करते हुए पीठ ने टिप्पणी की कि अधिकारियों का प्राथमिक कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव व्यवस्थित ढंग से हों।

    न्यायालय ने अधिकारियों को मामले में नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई बुधवार के लिए स्थगित कर दी।

    सोमवार को मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने चेतावनी दी थी कि भविष्य में नियमों का उल्लंघन अदालत की अवमानना माना जाएगा।

    अदालत वर्ष 2017 में अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा द्वारा दायर एक याचिका पर दाखिल आवेदन पर सुनवाई कर रही है। इसमें सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।

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