Delhi University के फेस्टिवल में नहीं बजेगा तेज म्यूजिक, बनेगी कमेटी और नियम
Delhi University के कॉलेजों में फेस्ट के दौरान तेज म्यूजिक की शिकायतों के बाद ध्वनि सीमा तय करने के लिए एक समिति गठित करेगा। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने जाति-आधारित छात्र संगठनों को परिसर में कार्यक्रमों के लिए स्थान देने से भी इनकार कर दिया है। कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि तेज संगीत से शैक्षणिक माहौल बाधित होता है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में फेस्ट का सीजन चल रहा है। बड़े-बड़े कलाकारों के कॉन्सर्ट हो रहे हैं। कॉलेजों के साथ परिसरों में हो रहे आयोजनों में तेज म्यूजिक बजाया जा रहा है। इस पर कई शिक्षक व छात्रों ने आपत्ति दर्ज कराई है। अब दिल्ली विश्वविद्यालय इस समस्या से निपटने के लिए एक समिति गठित करेगा, जो म्यूजिक बजाने को लेकर नए नियम बनाएगी।
डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने इस बात की जानकारी दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अब फेस्ट के दौरान म्यूजिक की ध्वनि सीमा तय की जाएगी। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाएगी, जो ध्वनि के स्तर को निर्धारित करेगी, जिससे शैक्षणिक और आवासीय क्षेत्रों में असुविधा को रोका जा सके।
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कितने डेसिबल स्तर तक बजा सकेंगे म्यूजिक?
विश्वविद्यालय ने यह भी फैसला किया है कि जाति-आधारित छात्र संगठनों को अब परिसर में आयोजनों के लिए स्थान नहीं दिया जाएगा। यह निर्देश जल्द ही सभी कॉलेजों और विभागों को औपचारिक रूप से भेजा जाएगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि लगातार तेज आवाज में कार्यक्रम आयोजनों की शिकायतें मिल रहीं हैं।
इसको नियंत्रित करने के लिए हम एक समिति बना रहे हैं, जो तय करेगी कि किस डेसिबल स्तर से अधिक संगीत नहीं बजाया जा सकता। इसमें ध्वनि विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। साथ ही हमने यह भी तय किया है कि जाति आधारित छात्र संगठनों को कार्यक्रमों के लिए स्थान उपलब्ध नहीं कराया जाएगा।
जाट सम्मेलन में तेज आवाज में बजा था म्यूजिक
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि वह किसी आयोजन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन शैक्षणिक परिसर की मर्यादाओं को बनाए रखना जरूरी है। उसे राजनीति का अखाड़ा बनने नहीं दिया जा सकता। बता दें कि पिछले दिनों सीपीडीएचई के भवन में जाट सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें काफी तेज म्यूजिक बजाया गया था। इससे वहां मौजूद शिक्षकों को बहुत परेशानी हुई, जिसकी उन्होंने शिकायत की थी। उस दिन कक्षाएं नहीं लग सकीं।
डीयू अकादमिक परिषद की सदस्य प्रो. लतिका गुप्ता ने कहा कि पिछले दिनों होली मिलन आयोजित किया गया था। तब यहां पुलिस बुलाकर आयोजन को रोका गया था। तेज म्यूजिक बजाकर छात्र थिरक रहे थे। इससे कक्षाओं का संचालन मुश्किल हो गया था। ऐसे आयोजनों पर नकेल कसे जाने की जरूरत है। इससे पहले कुछ कॉलेजों में भीड़ बढ़ने पर अराजक स्थिति उत्पन्न हुई थी।
महिला कॉलेजों में जारी हुई थी एडवाइजरी
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के सचिव ने एक पत्र देकर फेस्ट के लिए डीयू द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा था। उन्होंने नियमों को कड़ाई से पालन की मांग की है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब विश्वविद्यालय ने पिछले वर्ष फेस्ट सीजन के दौरान सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं, विशेषकर महिला कॉलेजों में छेड़छाड़ की घटनाओं के चलते 18 बिंदुओं की एक एडवाइजरी जारी की थी।
उसमें स्पष्ट था कि कार्यक्रम में आने वाले सभी छात्रों का पूर्व-पंजीकरण अनिवार्य होगा। पुलिस से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी होगा। कार्यक्रम से पहले अग्निशमन, बिजली और विश्वविद्यालय सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक की जाएगी। अब और नए नियम बनाए जा रहे हैं।

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