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    हजरत निजामुद्दीन औलिया के उर्स में शामिल नहीं हो सकेंगे पाकिस्तानी! पिछले वर्ष आया था 80 लोगों का दल

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 10:28 PM (IST)

    हजरत निजामुद्दीन औलिया के वार्षिक उर्स में पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों की भागीदारी अनिश्चित है क्योंकि पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक संबंध तनावपूर्ण हैं। दरगाह कमेटी के अनुसार वीजा जारी करने का निर्णय सरकार पर निर्भर करता है। नौ अक्टूबर से शुरू होने वाले इस उर्स में कव्वाली का विशेष महत्व है जिसमें लगभग छह लाख तीर्थयात्री शामिल होंगे। दरगाह पर देश और दुनिया में शांति के लिए प्रार्थना की जाएगी।

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    औलिया के उर्स में पाकिस्तानी जायरीनों के आने पर संशय। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हजरत निजामुद्दीन के सालाना उर्स में पाकिस्तानी जायरीनों के शामिल होने पर संशय है। पहलगाव आतंकी हमले तथा ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों में माहौल तनावपूर्ण है।

    आयोजन कमेटी के सदस्यों के अनुसार पड़ोसी देश से जायरीनों के आने की संभावना न के बराबर है। इस संबंध में उन्हें अब तक कोई सूचना भी नहीं है। पिछले वर्ष उर्स में पाकिस्तानी जायरीनों का दल निजामुद्दीन औलिया दरगाह आया था।

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    दरगाह शरीफ के चेयरमैन सैयद अफसर अली निजामी के अनुसार, यह दोनों देश के सरकारों के बीच का मामला है। भारत सरकार को वीजा जारी करना है। उन्हें अब तक की प्रगति के बारे में जानकारी नहीं है। न ही सरकार की तरफ से कोई सूचना है।

    वह कहते हैं कि दरगाह सबके लिए है। कोई आएगा तो उसका स्वागत करेंगे, लेकिन किसी को आमंत्रित नहीं करेंगे। निजामुद्दीन का 722 वां सालाना उर्स नौ अक्टूबर को तिलावत-ए-कुरान पाक से शुरू होगा, जो 13 अक्टूबर तक चलेगा।

    इस आयोजन में कव्वाली का विशेष महत्व है। इसमें देश-विदेश से करीब छह लाख जायरीन शामिल होते हैं। इसके पूर्व वर्ष 2016 में उसी सैन्य कैंप पर आतंकी हमले के बाद से निजामुद्दीन दरगाह के लिए पाकिस्तानी जायरीनों की यात्रा प्रतिबंधित हो गई थी।

    उसके बाद वर्ष 2021 में दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने के बाद से यह धार्मिक यात्रा बहाल हुई थी। पिछले वर्ष भी पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मियों के साथ ही 80 पाकिस्तानी जायरीनों का दल दरगाह में आया था, लेकिन इस वर्ष उनके आने पर संशय है। औलिया,

    भारत में ही नहीं बल्कि, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कनाडा, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, खाड़ी के देशों से भी जायरीन आते हैं। सैयद अफसर अली निजामी के अनुसार, उर्स में देश के साथ विश्व में शांति, खुशहाली की प्रार्थना की जाएगी। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बधाई संदेश दिया था।

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