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    DUSU Election 2025: जोसलीन के धर्म और नाम को लेकर विवाद, NSUI बोली- फेक हैं आरोप

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 01:26 AM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव 2025 में एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद के लिए जोधपुर की जोसलीन नंदिता चौधरी और उपाध्यक्ष पद के लिए अलवर के राहुल झांसला को टिकट दिया है। जोसलीन के नाम परिवर्तन को लेकर विवाद है जिस पर एनएसयूआई ने आरोपों को भ्रामक बताया है। समर्थकों का मानना है कि वह महिला नेतृत्व की मजबूत प्रतिनिधि हैं।

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    डूसू चुनाव 2025 में एनएसयूआई की महिला उम्मीदवार को लेकर विवाद।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव 2025 इस बार राजस्थान के लिए खास मायने रखता है। नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने अध्यक्ष पद के लिए जोधपुर की छात्रा जोसलीन नंदिता चौधरी को मैदान में उतारा है, जबकि अलवर के राहुल झांसला को उपाध्यक्ष पद की टिकट दी गई है। छात्र राजनीति में राजस्थान से दो बड़े चेहरों की मौजूदगी को प्रदेश का गौरव और युवाओं की बढ़ती भागीदारी के तौर पर देखा जा रहा है।

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    हालांकि, अध्यक्ष पद की उम्मीदवार जोसलीन नंदिता को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, उनका पहले नाम जीतू चौधरी था, जिसे बाद में बदलकर जोसलीन नंदिता कर दिया गया। जोसलीन ने अपनी स्कूली शिक्षा जयपुर के डीपीएस स्कूल से पूरी की है। एक छात्र ने कहा, उनकी 12वीं की मार्कशीट में उनकी माता का नाम बेबी देवी दर्ज है।  इंटरनेट मीडिया पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया और नाम परिवर्तन इसी वजह से हुआ। 

    एक छात्र ने कहा, उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज में जीतू चौधरी के नाम से चुनाव लड़ा और गर्ल्स कॉमन रूम इंचार्ज चुनी गईं थीं। इन दावों पर एनएसयूआइ ने कड़ा रुख अपनाया है। संगठन ने साफ कहा है कि यह सभी आरोप भ्रामक और फर्जी हैं। एनएसयूआइ का कहना है कि निजी जीवन पर सवाल उठाने की बजाय बहस छात्रों के मुद्दों और शिक्षा सुधार पर होनी चाहिए। 

    जोसलीन के समर्थकों का मानना है कि वह महिला नेतृत्व और विविधता की मजबूत प्रतिनिधि हैं और एनएसयूआइ ने उन्हें सामने लाकर छात्र राजनीति में एक नया संदेश दिया है। 

    वहीं, विपक्षी खेमे इस विवाद को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे हैं। राजस्थान से जुड़े छात्र संगठन मानते हैं कि इस बार डूसू चुनाव में प्रदेश की भूमिका निर्णायक होगी। चुनावी रणनीति और बढ़ते छात्र उत्साह के बीच, अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या राजस्थान की यह जोड़ी डूसू चुनाव में बाज़ी मार पाती है।