हाथों में झुनझुनी हो या धुंधला दिखाई दे तो तुरंत कराएं जांच, वरना इन गंभीर बीमारियों के हो सकते हैं शिकार
युवावस्था में चलने में दिक्कत धुंधला दिखना या हाथों में झुनझुनी मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षण हो सकते हैं। यह ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। एमएसएसआई ने जागरूकता के लिए वॉक इन माई शूज कार्यक्रम का आयोजन किया। भारत में इस बीमारी के लगभग दो लाख मरीज हैं। शीघ्र जांच और इलाज से स्थायी विकलांगता से बचा जा सकता है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अगर आपको युवावस्था में चलने या खाना निगलने में दिक्कत हो रही है, धुंधला दिखाई दे रहा है, हाथों में झुनझुनी हो रही है या फिर आप चीजें भूल रहे हैं, तो तुरंत जांच करवाएं, क्योंकि ये मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षण हैं। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का अपना ही इम्यून सिस्टम तंत्रिका तंत्र के आसपास के सुरक्षा कवच को नुकसान पहुंचाने लगता है।
इससे तंत्रिका संकेतों में रुकावट पैदा होती है। इस बीमारी के बारे में समझ बढ़ाने के लिए मल्टीपल स्क्लेरोसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया ने सेलेक्ट सिटी वॉक मॉल में तीन दिवसीय "वॉक इन माई शूज" कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसकी शुरुआत शुक्रवार से हुई।
मॉल में आए युवाओं ने सिमुलेशन कियोस्क के जरिए मल्टीपल स्क्लेरोसिस से होने वाली समस्याओं का अनुभव किया। एमएसएसआई के अनुसार, भारत में इस बीमारी के करीब दो लाख मरीज हैं।
युवाओं के हाथों में एक गैजेट पहनाया गया, जो तेजी से वाइब्रेट कर रहा था। ऐसे में उन्हें एक पेन दिया गया और लिखने को कहा गया। वे एक भी शब्द ठीक से नहीं लिख पा रहे थे। एमएस के मरीजों की यही हालत होती है, वे कुछ भी लिख नहीं पाते। उन्हें आँखों के धुंधलेपन का एहसास दिलाने के लिए विशेष चश्मे बनवाए गए। वे आसपास के रंग तो देख सकते थे, लेकिन सामने क्या है, यह नहीं देख पाते थे।
एमएस के कारण मांसपेशियाँ ठीक से काम नहीं करतीं। पैर भारी लगते हैं। सीढ़ियाँ चढ़ते या सामान्य रूप से चलते समय संतुलन बनाए रखने में समस्या होती है। एमएसएसआई दिल्ली की अध्यक्ष बिपाशा गुप्ता ने बताया कि संस्था में 3800 मरीज पंजीकृत हैं।
17 से 18 साल की उम्र में पढ़ाई का तनाव होने पर इसके लक्षण दिखने लगते हैं। परिवार पढ़ाई, नौकरी, फिर शादी वगैरह के बारे में सोचता रहता है कि रिश्तेदार क्या कहेंगे, समाज क्या कहेगा। वहीं दूसरी ओर, कामकाजी लोग लक्षण दिखने पर खुद ही आगे आने लगे हैं। अब परिवारों को भी आगे आना होगा।
शीघ्र जांच आपको स्थायी विकलांगता से बचाएगी
-जैसे बिजली के तार पर इन्सुलेशन की एक परत होती है, वैसे ही मस्तिष्क, आँखों और रीढ़ की नसों पर भी एक परत होती है। सर गंगा राम अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग की उपाध्यक्ष डॉ. अंशु रोहतगी कहती हैं कि जब आंखों, मस्तिष्क और रीढ़ की नसों की इन्सुलेशन परत क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो करंट प्रवाहित नहीं हो पाता।
इससे दोहरी दृष्टि, धुंधलापन, हाथ-पैरों में कंपन और मांसपेशियों में ऐंठन जैसी समस्याएँ होती हैं। एमआरआई के ज़रिए इसकी पहचान की जा सकती है। इसके कई तरह के इलाज भी उपलब्ध हैं, जो थोड़े लंबे समय तक चलते हैं। शुरुआती जाँच और इलाज से स्थायी विकलांगता से बचा जा सकता है।
एमएस के शुरुआती लक्षण
- धुंधला या दोहरी दृष्टि
- लाल-हरे रंगों में अंतर करने में कठिनाई
- ऑप्टिक तंत्रिका की सूजन के कारण दर्द और दृष्टि हानि
- चलने में कठिनाई
- हाथों और पैरों में दर्द, सुन्नता या झुनझुनी
मल्टीपल स्केलेरोसिस के अन्य लक्षण
- हाथों और पैरों की मांसपेशियों में कमज़ोरी
- चलने या खड़े होने में समस्या
- आंशिक या पूर्ण पक्षाघात
- मांसपेशियों में अकड़न और ऐंठन
- लगातार थकान
- संवेदना की कमी
- बोलने में समस्या
- कंपकंपी
- चक्कर आना
- बहरापन
- आंतों और मूत्राशय की समस्याएं
- अवसाद
- यौन क्रिया में बदलाव
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