दिल्ली के लाल का जंप रोप में धमाल, 18 बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड कर चुके हैं अपने नाम
दिल्ली के जोरावर सिंह ने जंप रोप में 18वीं बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज कर भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने 30 सेकंड में 21 डबल-अंडर फ्राग्स करके यह उपलब्धि हासिल की। जोरावर एक खेल एनजीओ स्थापित कर गरीब खिलाड़ियों की मदद करना चाहते हैं और युवाओं को देश का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित करते हैं।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। भारत में खेलों की दुनिया में अक्सर क्रिकेट, फुटबाल या ओलिंपिक खेलों की चर्चा होती है, लेकिन दिल्ली के पितमपुरा के जोरावर सिंह ने एक अलग राह चुनकर पूरे देश का नाम रोशन किया है।
वे न केवल एक अंतरराष्ट्रीय जंप रोप एथलीट हैं, बल्कि 18 बार गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड अपने नाम कर चुके हैं। उनकी यात्रा संघर्ष, अनुशासन, जज़्बे और खेल के प्रति समर्पण की मिसाल है।
उनका मानना है कि जंप रोप केवल एक खेल नहीं, बल्कि एक कला है जो युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली, आत्मविश्वास और राष्ट्र गौरव का रास्ता दिखा सकती है।
विश्व मंच पर भारत की पहचान
5 फरवरी 2025 को इटली के मिलान में आयोजित गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड शो में जोरावर ने इतिहास रचा। उन्होंने 30 सेकंड में 21 डबल-अंडर फ्राग्स कर विश्व स्तर पर भारत का परचम लहराया।
इसके साथ ही उन्होंने अपने टीम के साथ शानदार ग्रुप परफार्मेंस देकर यह साबित किया कि जंप रोप में भी कला और कौशल का अनोखा संगम संभव है।
इसके बाद जापान के कावासाकी में आयोजित वर्ल्ड जंप रोप चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने व्यक्तिगत और टीम इवेंट्स में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनका सपना है कि वे भारत को पुरुष वर्ग में पहली बार गोल्ड मेडल दिलाकर राष्ट्रगान विश्व मंच पर गवाएं।
संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक यात्रा
दिल्ली के रहने वाले जोरावर सिंह पिछले 13 वर्षों से जंप रोप और फिटनेस को अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं। दो बार साउथ एशियन चैंपियन, कई बार नेशनल चैंपियन, और विश्व चैंपियनशिप में चौथा स्थान प्राप्त कर चुके हैं।
वे एमटीवी रोडीज, इंडियाज गाट टैलेंट, ओएमजी! ये मेरा इंडिया और हुनर पंजाब दा जैसे लोकप्रिय शो में भी नजर आ चुके हैं।
उनकी यात्रा का आधार है अनुशासन, धैर्य और निरंतर अभ्यास। वे मानते हैं कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि एक तरीका है स्वयं को बेहतर बनाने का।
तीन साल की उम्र जोरावर के सिर से पिता का साथ छूट गया था। पिता का मृत्यु के बाद मामा और नाना ने माता के साथ मिलकर उनकी पढ़ाई, लिखाई व खेल के जज्बे को समर्थन मिला।
आगे की राह: खेल से समाज सेवा तक
जोरावर का लक्ष्य सिर्फ खेल में रिकाड बनाना नहीं है। वे भारत का सबसे बड़ा खेल एनजीओ स्थापित कर आर्थिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों की मदद करना चाहते हैं। साथ ही, वे जंप रोप को मुख्यधारा का खेल बनाकर संस्थागत समर्थन दिलाना चाहते हैं।
उनकी प्रेरणा गुरु नानक देव जी की सेवा भावना से जुड़ी है, और वे जरूरतमंदों की मदद, बेसहारा पशुओं की देखभाल और समाज सेवा में जीवन समर्पित करना चाहते हैं।
युवाओं के लिए संदेश
जोरावर का कहना है अगर आपके पास जुनून है तो कोई भी सपना असंभव नहीं। जंप रोप ने मुझे आत्मविश्वास दिया और मैं चाहता हूं कि हर युवा खुद पर भरोसा करे, फिटनेस को अपनाए और देश का नाम रोशन करे।
आज जोरावर सिंह न केवल खेल की दुनिया में पहचान बना रहे हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा, समाज सेवा का आदर्श और भारत की खेल संस्कृति को नया आयाम देने वाले अग्रदूत बन चुके हैं।
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