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    ट्रेन से पहली बार बडगाम से सीधी जुड़ी आजादपुर फल मंडी, पहले दिन तोड़ने पड़े बोगियों के ताले

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 09:38 PM (IST)

    पहली बार बडगाम से सीधी ट्रेन से सेब दिल्ली की आजादपुर मंडी पहुंचा जिससे व्यापारियों में खुशी की लहर दौड़ गई। 161 टन सेब 21 घंटे 45 मिनट में पहुंचे। हालांकि चाबियां छूट जाने से ताले तोड़ने पड़े जिससे देरी हुई। इस नए मार्ग से समय और लागत की बचत होगी जिससे दिल्ली-एनसीआर में कश्मीरी सेब का व्यापार बढ़ेगा। व्यापारियों को अब रास्तों की बाधा से भी मुक्ति मिलेगी।

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    मात्र 21 घंटे 45 मिनट में बडगाम से दिल्ली पहुंची ट्रेन। जागरण

    धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के बीच व्यावसायिक और सेब की मिठास के रिश्ते में अब और समीपता आएगी। इस निकटता का माध्यम बनी पहली विशेष कार्गो पार्सल ट्रेन बडगाम से दिल्ली आई।

    ट्रेन सात बोगियों में 161 टन सेब लेकर मंगलवार सुबह तड़के चार बजे दिल्ली-एनसीआर की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी आजादपुर फल मंडी पहुंची तो फल व्यापारियों के चेहरे खिल उठे।

    आजादपुर फल मंडी के 45 वर्ष के इतिहास में पहली बार सड़क के बजाय रेलवे मार्ग से केवल 21 घंटे 45 मिनट में बडगाम से सेब दिल्ली पहुंच गए।

    इन ऐतिहासिक क्षणों मे उस समय रंग में भंग पड़ गया, जब सेब से भरी बोगियों की चाबियां बडगाम में ही छूट गईं और पहले दिन ही बोगियों से ताले तोड़कर सेब निकाले गए।

    व्यापारियों को चार घंटे से ज्यादा समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। कारोबार की संभावनाओं के इस नए रेलवे मार्ग (बडगाम-टू-दिल्ली) को लेकर दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्र के फल व्यापारी उत्साहित हैं। फल के साथ-साथ ड्राई-फ्रूट के व्यापार में बड़ी संभावनाएं देख रहे हैं।

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    भोर के समय आमतौर पर सन्नाटे में समाए रहने वाले दिल्ली के आदर्श नगर रेलवे स्टेशन आजादपुर फल-सब्जी मंडी के पास मंगलवार तड़के एकदम उल्ट नजारा देखने को मिला। फल कंपनियों के मालिक, मैनेजर-मुंशी, आढ़ती, श्रमिकों की चहल-पहल दिखाई दी।

    मौका था, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच कारोबार की नई संभावनाओं की किरण बनी विशेष कार्गो पार्सल ट्रेन के आगमन का। यह बात अलग है कि इस ट्रेन का आजादपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचने का समय 5:30 मिनट था, लेकिन सुबह चार बजे पहुंच गई।

    बोगियों की चाबियां बडगाम में ही छूटीं

    पार्सल ट्रेन कल सुबह 6:15 बजे बडगाम से चली थी। इसे 23 घंटे 15 मिनट में दिल्ली पहुंचना था। यानि, 21.45 घंटे में ही पहुंच गई। पार्सल ट्रेन के पहुंचने के बाद फल व्यापारी अपनी-अपनी बोगी के खुलने की प्रतीक्षा करते रहे। रेलवे अधिकारियों से बात की तो पता चला कि बोगियों की चाबियां तो बडगाम में ही छूट गईं।

    लगभग दो घंटे तक असमंजस बना रहा, आखिरकार तय हुआ कि बोगी पर लगा ताला तोड़ा जाए। करीब सवा आठ बजे पहली बोगी का ताला तोड़ा गया और सेब उतारने का काम शुरू हुआ।

    लगभग 20 टन कश्मीरी डिलिशियस सेब और कश्मीरी नागफल (बाबूगोशा) मंगवाने वाले फल व्यापारी निखिल कुकरेजा ने बोगी का निरीक्षण किया। निखिल ने बताया कि बडगाम से ट्रक से सेब यहां पहुंचने में लगभग 48 घंटे लगते हैं। पार्सल ट्रेन से 24 घंटे से कम समय में सेब पहुंच गए। किराया भी कम है।

    रास्ते बंद होने के कारण ट्रक का किराया बढ़ गया है। ट्रक से सेब मंगवाने पर प्रति पेटी (18 किलोग्राम) लगभग 200 रुपये किराया लिया जा रहा है, ट्रेन में यह खर्च केवल 90 रुपये प्रति पेटी आया है। निखिल के अनुसार, ट्रेन में 23 टन तक माल आ सकता है और ट्रक में लगभग 10 टन माल आ सकता है।

    ट्रेन के शुरू होने से बचेगा समय

    ओम फ्रूट कंपनी के संचालक मनीष ढल्ल ने बताया कि कश्मीर में रास्ते बंद हैं, उनका सेब से भरा गए ट्रक सात सितंबर से वहां फंसा है। इन हालात में पार्सल ट्रेन की व्यापारियों को जरूरत थी। इस ट्रेन के शुरू होने से समय भी बचेगा और किराया भी सस्ता पड़ेगा।

    मनीष ने ट्रेन से माल अन-लोड होने में चार घंटे का समय लगने पर नाखुशी व्यक्त की। ट्रेन पहुंचने के घंटेभर के भीतर माल उतर जाना चाहिए। मुरादाबाद के फल कारोबारी मोहम्मद मोइन का कहना है कि रास्ते बंद और खराब मौसम की स्थिति में ट्रेन से बेहतर कुछ नहीं है।

    रास्ते में बाधा नहीं है तो फिर ट्रक से सेब मंगाना ज्यादा ठीक है। ट्रेन के माध्यम से लदान-उठान बहुत बड़ी समस्या है। फिलहाल ट्रायल के तौर पर ट्रेन से सेब मंगाया हैं। देखते हैं कितना मुफीद रहेगा।

    बडगाम-टू-दिल्ली: पार्सल ट्रेन बनाम ट्रक

    • ट्रेन से समय और श्रम की बचत है। ट्रक से 48 घंटे और ट्रेन से 23 घंटे।
    • ट्रेन में सेब खराब नहीं होगा। ट्रक में धचकियों के कारण, पेटियों के आपस में टकराने से सेब में दाग पड़ जाते हैं। डेंट पड़ने से खराब होता है कीमत भी कम हो जाती है।
    • ट्रेन के माध्यम से मंगाने में किराए व श्रम खर्च जोड़कर 90 रुपये प्रति पेटी खर्च। कश्मीर में रास्ते बंद होने के कारण अब ट्रक का किराया 200 रुपये प्रति पेटी हुआ। वैसे ट्रक से सामान्य दिनों में 70 रुपये प्रति पेटी है।

    दिल्ली-एनसीआर में कश्मीरी सेब की सबसे ज्यादा खपत

    दिल्ली-एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व अन्य प्रदेशों में में कश्मीरी सेब की सभी वैरायटी की मांग है। आजादपुर फल मंडी में कश्मीरी सेब का मार्केट शेयर 50-60 प्रतिशत है। कश्मीरी सेब में रेड डिलिशियस, डिलिशियस, कुल्लू डिलिशियस व गाला प्रमुख हैं।

    इस समय मार्केट में रेड डिलिशियस सेब चल रहा है, आजादपुर मंडी में इसका थोक दाम एक हजार से 12 सौ रुपये प्रति पेटी (10 किलोग्राम) है। बाजार में यह सेब दो सौ से लेकर 250 रुपये बिक रहा है।

    कश्मीरी सेब के बाद हिमाचल प्रदेश के डिलिशियस सेब का मार्केट शेयर 25 से 30 प्रतिशत है। लगभग 15 मार्केट शेयर प्रतिशत विदेशी सेब का है और करीब 10 विभिन्न क्षेत्र के सेब का है।

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