Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संघ के स्वयंसेवक की पहचान अनुशासन, विनम्रता और व्यापक हित के प्रति प्रतिबद्धता से होती है: मोहन भागवत

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 08:51 PM (IST)

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संघ चरित्र का पुनरावलोकन करने को कहा। उन्होंने स्वयंसेवक रमेश प्रकाश के जीवन पर आधारित पुस्तक तन समर्पित मन समर्पित का लोकार्पण किया। भागवत ने कहा कि समर्पित कार्यकर्ता की पहचान आंतरिक अनुशासन से होती है। रमेश प्रकाश ने राष्ट्र सेवा को पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ जोड़कर दिखाया।

    Hero Image
    एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया संबोधित।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संघ चरित्र के पुनरावलोकन का आह्वान किया। कहा कि जब तक उसे समझेंगे नहीं, तब तक न उसे रख सकेंगे न ही आगे बढ़ा सकेंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संघ ऐसे उत्तम चरित्रों से भरा पड़ा है। नाम किसी का भी लें, बिना किसी पहचान या सामाजिक प्रतिष्ठा की लालसा के जिन्होंने राष्ट्र और लोगों के कल्याण के लिए निरंतर परिश्रम किया और अपने आदर्श से सभी को प्रेरित किया। संघ को यहां तक पहुंचाया।

    वह एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में स्वयंसेवक रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान को समर्पित उनकी जीवनी प्रधान पुस्तक तन समर्पित, मन समर्पित के लोकार्पण अवसर पर संबोधित कर रहे थे। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ का स्वयंसेवक ऐसा होता है जैसा दूर से देखने में है, वैसे ही पास से भी होता है।

    जैसा बोलने में वैसा  ही करने और होने में होता है। एक समर्पित कार्यकर्ता की पहचान उपाधियों, धन या सार्वजनिक प्रशंसा से नहीं, बल्कि आंतरिक अनुशासन, विनम्रता और व्यापक हित के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता से होती है। रमेश प्रकाश का जीवन भी ऐसा ही था।

    ऐसा व्यक्ति शांत, त्याग की भावना से परिपूर्ण होता है, हमेशा जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तत्पर रहता है। कभी भी पहचान की चाह नहीं रखता, और हमेशा अपने उदाहरण से दूसरों को प्रेरित करता रहता है।

    कहा कि रमेश प्रकाश उन गुणों के प्रतीक थे। उनकी सबसे बड़ी शिक्षाओं में से एक थी, राष्ट्र सेवा पारिवारिक जिम्मेदारियों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। गृहस्थ आश्रम के ढांचे के भीतर, उन्होंने हमें दिखाया कि कैसे परिवार का पालन-पोषण प्रेम और जिम्मेदारी से किया जा सकता है।

    व्यक्तिगत कर्तव्यों को जनसेवा के साथ सामंजस्य बिठाकर, उन्होंने प्रदर्शित किया कि दोनों अलग नहीं, बल्कि पूरक हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सार्वजनिक जीवन में रमेश प्रकाश योगदान की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनके मूल्य समाज की सेवा में पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

    यह भी पढ़ें- बारापुला कॉरिडोर का काम बंद करने की तैयारी... मयूर विहार से एम्स सिग्नल फ्री योजना में होगी देरी; जानें वजह