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    अध्ययन: हाइपेक कीमो से ढाई वर्ष बढ़ जाएगी एडवांस ओवेरियन कैंसर मरीजों की उम्र

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 05:43 PM (IST)

    एम्स के डॉक्टरों के एक अध्ययन में पाया गया कि एडवांस ओवेरियन कैंसर के इलाज में सर्जरी के साथ हाइपेक कीमोथेरेपी पारंपरिक इलाज से अधिक प्रभावी है। इससे मरीजों की उम्र लगभग ढाई साल तक बढ़ सकती है। 400 महिलाओं पर किए गए अध्ययन में हाइपेक कीमोथेरेपी को अधिक लाभकारी पाया गया। यह विधि कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक है। जिससे मरीज अधिक समय जी सकते हैं।

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    सर्जरी के साथ हाइपेक कीमो से ढाई वर्ष बढ़ जाएगी एडवांस ओवेरियन कैंसर मरीजों की आयु।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्ली: एडवांस स्टेज के ओवेरियन कैंसर के इलाज में सर्जरी के साथ हाइपेक (हाइपरथर्मिक इंट्रापेरोटोनियल कीमोथेरेपी) कीमोथेरेपी पारंपरिक इलाज की तुलना में अधिक प्रभावी है।

    इससे एडवांस स्टेज के ओवेरियन कैंसर से पीड़ित महिला मरीजों की उम्र करीब ढाई वर्ष बढ़ सकती है। इससे महिला मरीज अधिक समय तक जीवन जी सकती हैं।

    एम्स के कैंसर सेंटर के अध्ययन में आया सामने

    एम्स के कैंसर सेंटर आईआरसीएच (इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हाॅस्पिटल) के डाॅक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

    एम्स के डाॅक्टरों का यह अध्ययन हाल में वर्ल्ड जर्नल आफ सर्जिकल आंकोलाजी में प्रकाशित हुआ है। ओवेरियन कैंसर महिलाओं में कैंसर का तीसरा बड़ा कारण बन रहा है।

    महिलाएं स्तन व सर्विकल कैंसर से अधिक पीड़ित होती हैं। इसके बाद ओवेरियन कैंसर महिलाओं में अधिक होता है और यह बीमारी बढ़ भी रही है।

    400 महिला मरीजों पर किया गया अध्ययन

    इस बीमारी से पीड़ित होकर एम्स के आईआरसीएच में पहुंचने वाली 400 महिला मरीजों पर सर्जिकल आंकोलाजी विभाग के प्रोफेसर डाॅ. एमडी रे के नेतृत्व में एक अध्ययन किया गया।

    इन मरीजों की औसत उम्र 52 वर्ष थी। लेकिन इनमें 19 से 70 वर्ष तक की उम्र की महिलाएं शामिल थी। ये सभी एडवांस स्टेज के कैंसर से पीड़ित थी।

    इनमें से 81.7 प्रतिशत महिलाएं तीसरे स्टेज व 18.3 प्रतिशत महिलाएं चौथे स्टेज के कैंसर से पीड़ित थीं। 125 (31.3 प्रतिशत) मरीजों की पहले सर्जरी हुई थी।

    98 प्रतिशत महिलाओं की दोबारा ट्यूमर होने पर हुई सर्जरी

    177 (44.2 प्रतिशत) मरीजों की पहले सामान्य कीमोथेरेपी हुई थी। इसके बाद सर्जरी हुई थी। 98 (24.5 प्रतिशत) मरीजों के इलाज के बाद दोबारा ट्यूमर होने से सेकेंड्री सर्जरी की गई थी।

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    अध्ययन में शामिल 56.5 प्रतिशत मरीजों को सर्जरी के साथ हाइपेक कीमोथेरेपी दी गई। वहीं 24.5 प्रतिशत मरीजों की सिर्फ सर्जरी की गई।

    अध्ययन में पाया गया कि सर्जरी के साथ हाइपेक कीमोथेरेपी से इलाज के बाद महिला मरीज 34.3 माह (करीब तीन वर्ष) बीमारी से पूरी तरह मुक्त रहीं।

    हाइपेक वर्ग की मरीजों औसत सर्वाइवल छह वर्ष रहा

    वहीं सिर्फ सर्जरी से महिला मरीज 22.3 माह (करीब दो वर्ष) बीमारी से मुक्त रहीं। हाइपेक वर्ग की महिला मरीजों का औसत सर्वाइवल 72.1 माह (छह वर्ष) रहा।

    वहीं सर्जरी वर्ग की महिला मरीजों का औसत सर्वाइवल 43.3 माह (तीन वर्ष सात माह) रहा। इस तरह सर्जरी के साथ हाइपेक कीमोथेरेपी से इलाज पाने वाली महिलाएं करीब 29 माह अधिक समय तक जीवित रहीं।

    क्या होती है हाइपेक कीमोथेरेपी 

    डाक्टर बताते हैं कि पेट से संबंधित कैंसर के इलाज में हाइपेक कीमोथेरेपी दी जाती है। सर्जरी के दौरान आपरेशन टेबल पर ही मरीज के पेट में कैंसर सेल पर गर्म (करीब 30 डिग्री सेल्सियस) कीमोथेरेपी दी जाती है। ताकि कैंसर सेल को नष्ट किया जा सके। इससे कैंसर दोबारा होने की आशंका कम होती है।