विधानसभा के सवालाें का अब अधिकारियों को एक माह के अंदर देना होगा जवाब, स्पीकर ने दिए निर्देश
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने अधिकारियों को सदन में उठाए गए मामलों का जवाब एक महीने में देने का निर्देश दिया है। मानसून सत्र में 20 घंटे तक विचार-विमर्श हुआ और तीन विधेयक पारित हुए। कैग की रिपोर्ट में आप सरकार के समय 15327 करोड़ रुपये खर्च न होने और 346.82 करोड़ रुपये के आकस्मिक व्यय बिल जमा न करने पर चिंता जताई गई है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा सदन में उठाए जाने वाले मामलों का अब अधिकारियों को एक माह के अंदर जवाब देना अनिवार्य होगा। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने निर्धारित समय का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। अधिकारियों से समय पर जवाब न मिलने की विधायकों की शिकायत मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष इससे पहले मुख्य सचिव को कड़ा पत्र लिख चुके हैं।
दिल्ली विधानसभा सचिवालय द्वारा शनिवार को मानसून सत्र का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया। दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में लगभग 20 घंटे तक विचार-विमर्श हुआ और तीन विधेयक पारित हुए हैं। मानसून सत्र शुक्रवार को दिल्ली शिक्षा विद्यालय शुल्क विनियमन विधेयक और दो जीएसटी संशोधन विधेयकों के पारित होने के साथ संपन्न हुआ। यह छह महीने पहले बनी भाजपा सरकार द्वारा बुलाया गया तीसरा विधानसभा सत्र था।
विधानसभा अध्यक्ष को नियम 280 के तहत 171 विशेष उल्लेख नोटिस प्राप्त हुए, जिनमें से 62 मामले सदन में उठाए गए। उठाए गए मुद्दों को संबंधित विभागों को भेज दिया गया है। सत्र के दौरान नियम 54 के तहत दो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए गए।
गुप्ता ने कहा कि सदन द्वारा निपटाया गया एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य विधानसभा परिसर में फांसी घर का मुद्दा था। उन्होंने कहा कि 2022 में ऐतिहासिक साक्ष्य के बिना इसका उद्घाटन कर दिया गया था। आप सरकार के समय वर्ष 2023-2024 के दौरान 15,327 करोड़ रुपये की राशि खर्च नहीं हुई
वहीं दिल्ली सरकार के वित्त एवं विनियोग लेखा वर्ष 2023-24, राज्य वित्त और भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों के कल्याण पर कैग की चार रिपोर्टें मुख्यमंत्री द्वारा सदन में प्रस्तुत की गईं और फिर चर्चा के बाद लोक लेखा समिति को भेज दी गईं।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इन रिपोर्ट से पता चलता है कि पूर्व की आप सरकार के समय वर्ष 2023-2024 के दौरान 15,327 करोड़ रुपये की राशि खर्च नहीं की गई, जिसमें से 8376.40 करोड़ रुपये सरेंडर में देरी के कारण लैप्स हो गए। इस राशि का उपयोग जरूरी विकास कार्यों के लिए किया जा सकता था। मगर जनता को इस का लाभ नहीं मिल सका।
गुप्ता ने कहा कि 2023-2024 के वित्तीय खाते में कैग ने पाया है कि सरकारी विभागों ने संक्षिप्त आकस्मिक व्यय बिल जमा नहीं किए, जिस कारण 346.82 करोड़ रुपये की राशि बकाया थी। इसका अर्थ है कि यह कन्फर्म करने का कोई तरीका नहीं था कि विधानसभा के अनुसार राशि वास्तव में खर्च की गई थी या नहीं। वर्ष 2022-2023 में यह राशि 574.89 करोड़ रुपये थी।
कैग ने 31 मार्च 2024 तक 3760.84 करोड़ रुपये की राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न करने पर भी चिंता व्यक्त की है।
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