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    Lalu Yadav की याचिका पर फैसला सुरक्षित, Land For Job Scam में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लागने की है मांग

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 08:14 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने Lalu Prasad Yadav और उनके परिवार के खिलाफ CBI के जमीन के बदले नौकरी घोटाले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रोकने की मांग पर फैसला सुरक्षित रखा। कोर्ट में कपिल सिब्बल ने याचिका पर जल्द सुनवाई की अपील की जिसका विरोध किया गया। मामला लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए जमीन के बदले नौकरी से जुड़ा है जिसकी जांच CBI ने बंद कर दी थी।

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    लालू प्रसाद यादव के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही टालने पर फैसला सुरक्षित।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi High Court ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख  Lalu Prasad Yadav और उनके परिजनों के खिलाफ CBI की जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही स्थगित करने की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

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    न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की पीठ में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि हाई कोर्ट में लालू यादव द्वारा दाखिल याचिका, जिसमें प्राथमिकी को चुनौती दी गई है, 12 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

    उन्होंने ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने की कार्यवाही को तब तक के लिए रोके जाने की मांग की। कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप यादव, और बेटी मीसा भारती व हेमा यादव के खिलाफ आरोप तय करने की बहस 26 जुलाई से शुरू करने का निर्देश दिया है।

    सिब्बल ने दलील दी कि जब तक यह याचिका हाई कोर्ट में तय नहीं हो जाती, ट्रायल कोर्ट में बहस को रोका जाए। उन्होंने तर्क दिया कि अगर ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने की बहस पहले हो जाती है, तो हाईकोर्ट की याचिका बेमानी हो जाएगी।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 29 मई को ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार किया था, लेकिन सीबीआई को नोटिस जारी कर याचिका पर सुनवाई के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की थी।

    यह मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए पश्चिम मध्य रेलवे (जबलपुर) जोन में ग्रुप डी की नौकरियों के बदले परिवार के नाम पर जमीन स्थानांरित कराए जाने से जुड़ा है।

    अपनी याचिका में लालू यादव ने प्राथमिकी और 2022, 2023 और 2024 में दाखिल आरोपपत्र को रद करने की मांग की है।

    उन्होंने तर्क दिया है कि सीबीआई ने पहले इस मामले में जांच कर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन अब 14 साल बाद बिना मंजूरी के दोबारा जांच शुरू की गई, जो कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

    याचिका में यह भी कहा गया है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत अनिवार्य अनुमति के बिना शुरू की गई जांच शुरू से ही अमान्य है।

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