समुचित बंध्याकरण नहीं होने से सड़कों पर बढ़ रही कुत्तों की संख्या, प्रक्रिया को 'एनजीओ मुक्त' करने की मांग
दिल्ली में सड़कों पर आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या का मुख्य कारण उचित बंध्याकरण का अभाव है जिसमें एनजीओ की भूमिका संदिग्ध है। भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच विशेषज्ञ निजी कंपनियों को शामिल करने और क्षेत्रवार अभियानों की सलाह देते हैं। उनका सुझाव है कि दिल्ली सरकार को पर्याप्त बजट आवंटित करना चाहिए और बीमार व सामान्य कुत्तों के लिए अलग आश्रय गृह बनाने चाहिए।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। सड़कों पर आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या के पीछे उनका समुचित बंध्याकरण नहीं होना भी है। अभी तक यह मामला एमसीडी द्वारा एनजीओ के जरिए कराया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञ उनकी कार्यप्रणाली पर गहरा संदेह जताते हुए दिल्ली की सड़कों को आवारा कुत्तों से मुक्त कराने की तर्ज पर बंध्याकरण प्रक्रिया को भी 'एनजीओ मुक्त' करने पर जोर देते हैं।
उनके अनुसार, कुत्तों के बंध्याकरण मामले में एनजीओ की कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें हैं। कई मामलों में वे एक कुत्ते का बंध्याकरण करते है और दिखाते 10 कुत्तों का है और उस हिसाब से एमसीडी से राशि वसूलते हैं। साथ में इस प्रक्रिया में एमसीडी के पशु चिकित्सा सेवा विभाग के अधिकारियों व कर्मियों की लिप्तता सामने आती रही है। यहीं नहीं, पशु रक्षा के नाम पर विदेशी फंड का भी गोलमाल होता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल उपाय बताते हैं कि इस प्रक्रिया में निजी पेशेवर कंपनियों की मदद ली जा सकती है। इसके लिए दिल्ली सरकार को निविदा आमंत्रित कर कुत्तों को पकड़ने, रखरखाव व बंध्याकरण का जिम्मा देना चाहिए। जिसकी एवज में राशि निर्धारित हो। इस प्रक्रिया में आधुनिक तरीके से निगरानी रखी जाए।
उनके अनुसार, आश्रय गृह में पकड़कर रखे गए आवारा कुत्तों के भोजन व रखरखाव के मामले में कुत्ता प्रेमियों की भी मदद ली जा सकती है। इसी तरह, इस अभियान की सफलता के लिए दिल्ली सरकार से पर्याप्त बजट आवंटन की आवश्यकता है।
दिल्ली की सड़कों पर आठ लाख से अधिक आवारा कुत्ते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि सभी कुत्तों को एक साथ पकड़ना संभव नहीं होगा। इसके लिए चरणबद्ध तरीके से क्षेत्रवार मुहिम चलाई जानी चाहिए। एक-एक इलाकों को कुत्ता मुक्त करते हुए आगे बढ़ना होगा। जहां तक पर्याप्त आश्रय गृह बनाने के मामले में जगह की कमी का सवाल है तो उसका हल दिल्ली भर में जगह-जगह छोटे-बड़े आश्रय गृह स्थापित कर निकाला जा सकता है।
साथ ही बीमार, खुंखार तथा सामान्य कुत्तों के लिए अलग-अलग आश्रण गृह बनाने होंगे। सड़कों की जगह बाड़े में कुत्तों के बंध्याकरण पर जोर देना होगा। अगर वहां उसकी व्यवस्था नहीं की गई तो वहां कुत्तों की संख्या बढ़ेगी। दिल्ली की सड़कों को आवारा कुत्ता मुक्त करना असंभव नहीं है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान यह करके दिखाया था। हालांकि, इसमें जरूर ऊर्जा व अधिक समय के साथ बजट लगेगा, लेकिन इच्छाशक्ति हो तो हो जाएगा।
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