स्थापना काल से ही RSS को जातिवादी, साम्प्रदायिक और संकुचित बताने का दुष्प्रचार हो रहा: नितिन गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि RSS को स्थापना से ही बदनाम करने का प्रयास किया गया। महात्मा गांधी की हत्या से संबंध न होने पर भी बदनाम किया गया। उन्होंने कहा कि संघ जाति और संप्रदाय से ऊपर है और समाज में बदलाव का वाहक बना है। गडकरी ने हिंदुत्व की गलत व्याख्या पर भी बात की और विश्व कल्याण की भावना पर जोर दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय परिवहन, सड़क व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि स्थापना काल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जातिवादी, साम्प्रदायिक व संकुचित बताकर बदनाम करने का दुष्प्रचार जारी है।
महात्मा गांधी की हत्या में कोई संबंध न हाेने के बावजूद बदनाम किया गया। इस षड्यंत्र में 100 वर्ष में बड़े-बड़े लोग शामिल रहे। लेकिन, इतिहास किसी के लिए रूकता नहीं। परिस्थितियां बदलीं। संघ इन दुष्प्रचारों से थमा नहीं, बल्कि समाज बदलाव का वाहक बना है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि संघ में जाति व संप्रदाय का कोई स्थान नहीं है। शिविर, शाखा या संघ में किसी भी स्थान पर जाति नहीं पूछी जाती।
बल्कि, सेवा के साथ ही अस्पृश्यता हटाने, सामर्थ्य जगाने तथा समता लाने को समाज को जागृत किया। सेवा, आर्थिक, शिक्षा, सामाजिक उत्थान के लिए कार्य को संघ ने अपने कृति से सामने रखा।
वह न्यू महाराष्ट्र सदन में संघ की 100 वर्ष की यात्रा आधारित मासिक पत्रिका हिंदी विवेक के ग्रंथ ''दीपस्तंभ'' के विमोचन अवसर को संबोधित कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश की प्रगति के लिए जाति व्यवस्था को खत्म करना ही होगा। हम एक हिंदू हैं का भाव जगाना होगा। आगे उन्होंने कहा कि जब वह ऐसा कहते हैं तो एक हिंदू का भाव संकुचित नहीं है। असल में हिंदुत्व की गलत व्याख्या की गई।
जबकि, भारतीय व हिंदू में कोई भेद नहीं है। इतिहास गवाह है कि जब लड़ाइयां जीती गईं, तब लोगों का जबरदस्ती मतांतरण हुआ। हजारों मंदिरों को ध्वस्त किया गया। कश्मीर से लेकर कोंकण तक में ऐसे मुस्लिम मिलेंगे जो देवी-देवताओं की पूजा करते हैं।
अमेरिकी टैरिफ का जिक्र करते हुए भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आज जब छोटे देश को दबाया जा रहा है तो उसमें हमारा भाव जियो और जीने दो और विश्व कल्याण का है।
संघ के अखिल भारतीय प्रचार टोली सदस्य मुकुल कानिटकर ने कहा कि संघ ने स्वयंसेवकों का निर्माण राष्ट्र सेवा के लिए किया। जिस क्षेत्र में भी स्वयंसेवक गए, उसमें पूरी तरह से छा गए। सेवा, श्रमिक, विद्यार्थी समेत अनेक क्षेत्र उदारण हैं, जहां विश्व के नंबर एक संगठन हो गए।
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