नई नीति बनी आफत, लैंड रोवर 8 लाख और 84 की मर्सिडीज 2.5 लाख में बिकी; जब्त वाहन पाने की हैं ये तीन शर्तें
दिल्ली में ‘नो फ्यूल फार ओल्ड व्हीकल्स’ नियम के चलते कई वाहन मालिकों को अपनी महंगी कारें औने-पौने दाम में बेचनी पड़ीं। अब जब दिल्ली सरकार से राहत की उम्मीद दिख रही है तब वे ग्राहकों से अपनी गाड़ी को वापस देने की गुहार लगा रहे हैं। जानिए कैलाश धूलिया नितिन गोयल और वरुण विज की कहानी और इस नियम से जुड़ी पूरी जानकारी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में एक जुलाई से ‘नो फ्यूल फार ओल्ड व्हीकल्स’ नियम के कड़ाई से पालन की खबरों ने कई वाहन मालिकों को अपनी महंगी कारें औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर कर दिया।
अब जब दिल्ली सरकार आम जनता की परेशानियों को देखते हुए इसे रोकने के प्रयास कर रही है, तो इनमें से कई लोग अपने बेचे गए वाहन वापस पाने की कोशिश करने लगे हैं।
कैलाश धूलिया का एक्सचेंज में नुकसान
इन्हीं में से एक हैं लारेंस रोड निवासी कैलाश धूलिया। उन्होंने 29 जून को ही अपनी मारुति स्विफ्ट डिजायर कार को जल्दबाजी में कंपनी की एक्सचेंज पॉलिसी के तहत एक ई-वाहन से बदल लिया, जबकि उनकी कार जनवरी 2026 तक वैध थी।
अब जब उन्हें सरकार के नियमों में संभावित राहत की जानकारी मिली तो वे अपना पुराना वाहन वापस लेने पहुंचे। कैलाश धूलिया ने बताया कि डीलर ने उन्हें कार लौटाने से मना कर दिया, जबकि वे डीलर को दी गई रकम लौटाने को तैयार थे। इसके लिए वे सरकार की नीति को जिम्मेदार मानते हैं।
नितिन गोयल को दो लग्जरी गाड़ियों में भारी घाटा
इसी तरह पटपड़गंज हाउसिंग सोसाइटी निवासी नितिन गोयल को अपनी 2014 मॉडल जगुआर लैंड रोवर, जिसे उन्होंने 65 लाख रुपये में खरीदा था, मात्र आठ लाख रुपये में बेचनी पड़ी।
इतना ही नहीं, अपनी प्रिय 10 साल पुरानी मर्सिडीज सी-क्लास 220 सीडीआई स्पोर्ट्स लिमिटेड एडिशन, जिसकी कीमत करीब 40 लाख रुपये थी, उसे भी केवल चार लाख रुपये में बेचना पड़ा।
दैनिक जागरण से बातचीत में नितिन गोयल ने सवाल उठाया कि जब बीएस-4 मानक वाहनों की बिक्री 2020 तक अनुमन्य थी, तो 2013-14 में निर्मित ऐसे वाहन अचानक अनुपयुक्त कैसे हो सकते हैं?
साथ ही, उन्होंने पूछा, जब सारे वाहन प्रदूषण सर्टिफिकेट लेकर सड़कों पर चलते हैं, तो फिर इन्हें प्रदूषण के नाम पर चलन से बाहर क्यों किया जा रहा है?
वरुण विज के लिए मर्सिडीज बेचना भावनात्मक झटका
दिल्ली निवासी वरुण विज को अपनी 2015 मॉडल मर्सिडीज-बेंज एमएल350, जिसे उन्होंने 84 लाख रुपये में खरीदा था, इस नीति के चलते मात्र 2.5 लाख रुपये में बेचनी पड़ी। उन्होंने बताया कि यह कार उनके दिल के बेहद करीब थी और इसे बेचना उनके लिए भावनात्मक रूप से बड़ा झटका साबित हुआ।
पंजीकरण नवीनीकरण की उम्मीद की थी लेकिन सरकार की नीति के कारण यह संभव नहीं हो सका। इस कारण मुझे कोई बेहतर खरीदार भी नहीं मिला और मजबूरी में सस्ते में गाड़ी बेचनी पड़ी। मेरे पास कोई विकल्प नहीं था।
वरुण विज, आम नागरिक
अब इलेक्ट्रिक वाहन से उम्मीद
वरुण विज ने आगे बताया कि उन्होंने भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए 62 लाख रुपये का एक इलेक्ट्रिक वाहन खरीदा है। वे इसे 20 साल तक उपयोग करना चाहते हैं, बशर्ते सरकार फिर से इस तरह की कोई नई नीति न ले आए।
वरुण ने कहा, इस नियम के लागू होने के बाद कई अन्य वाहन मालिकों ने भी मुझे फोन करके अपनी चिंता जाहिर की है। दिल्ली में ईंधन प्रतिबंध के चलते हजारों लोगों को भारी वित्तीय नुकसान झेलना पड़ रहा है।
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