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    पूर्व RWA अधिकारी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट, खालिस्तान समर्थक आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश में हैं आरोपी

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 06:42 PM (IST)

    दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अपहरण और जबरन वसूली के मामले में पूर्व रॉ अधिकारी विकास यादव के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। अदालत ने उन्हें 17 अक्टूबर को पेश होने का आदेश दिया है। यादव पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का आरोप है। पहले उन्हें जान के खतरे के कारण छूट मिली थी लेकिन याचिका खारिज होने पर वारंट जारी किया गया।

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    रॉ के पूर्व अधिकारी विकास यादव के खिलाफ जारी हुआ गैर जमानती वारंट।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अपहरण और जबरन वसूली के मामले में पूर्व राॅ अधिकारी विकास यादव के खिलाफ पटियाला हाउस की सत्र अदालत ने गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया है।

    अपहरण और जबरन वसूली के एक लंबित मामले में सुनवाई के दौरान बार-बार बुलाए जाने के बावजूद भी विकास यादव के अदालत में पेश न होने पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सौरभ प्रताप सिंह लालर ने यह आदेश पारित किया।

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    अदालत ने विकास यादव को 17 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया है। विकास यादव पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का आरोप है।

    इससे पहले विकास यादव ने अपनी जान को खतरा बताते हुए अदालत में छूट की अर्जी दी थी और अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया था। हालांकि, सोमवार को वह नई छूट याचिका दायर करने में विफल रहे, जिसके बाद अदालत ने दंडात्मक कार्रवाई की।

    यादव को 18 दिसंबर 2023 को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने रोहिणी निवासी की ओर से दर्ज कराई गई एक प्राथमिकी के बाद गिरफ्तार किया था। उन पर जेल में बंद गैंग्सटर लारेंस बिश्नोई के साथ मिलीभगत करके अपहरण और जबरन वसूली का आरोप लगाया गया था।

    उनकी गिरफ्तारी अमेरिकी अधिकारियों की ओर से खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के सिलसिले में सार्वजनिक रूप से उनका नाम लेने के कुछ ही सप्ताह बाद हुई थी।

    हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। वहीं, पासपोर्ट की अवधि बढ़ाने से जुड़ी सह-अभियुक्त अब्दुल्ला खान के आवेदन पर सुनवाई के बाद इसे 17 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया।

    अदालत ने कहा कि पूर्व में दी गई विदेश यात्रा की अनुमति के दौरान इसके दुरुपयोग की बात सामने नहीं आई। सह-अभियुक्त ने कहा कि उसे क्रॉनिक ब्लड कैंसर की बीमारी के लिए विदेश में विशेष चिकित्सा परामर्श की आवश्यकता है।

    वहीं, अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) मुकुल कुमार ने इस अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी अनुमति देने से आरोपित के फरार होने की संभावना है।

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