Obesity: 10 साल उम्र कम कर देता है मोटापा; एम्स के डॉक्टरों ने किए कई चौंकाने वाले दावे
मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो डायबिटीज हाइपरटेंशन हृदय रोग लिवर और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है। एम्स के डॉक्टरों ने दावा किया है कि मोटापा व्यक्ति की उम्र 10 वर्ष तक कम कर सकता है। पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में कम मोटा होने पर भी गंभीर बीमारियां होने का जोखिम ज्यादा होता है। डॉक्टरों ने मोटापे से बचाव को लेकर जानकारी दी है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मोटापा एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन रही है। इसके कारण डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग, लिवर और कैंसर जैसी घातक बीमारियां बढ़ रही हैं। मोटापा देश में लोगों की उम्र करीब दस वर्ष कम कर रहा है। यह दावा एम्स के डॉक्टरों ने किया है।
विश्व मोटापा दिवस के मद्देनजर एम्स ने कहा कि जीवनशैली में सुधार, नियमित रूप से व्यायाम और संतुलित पौष्टिक आहार से मोटापे से बचा जा सकता है। मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. नवल विक्रम ने कहा कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में कम मोटा होने पर भी लोगों को डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग जैसी बीमारियां होने का जोखिम अधिक रहता है।
क्या है मोटापा मापने का पैमान?
इसका कारण यह है कि भारतीय लोगों का शारीरिक संरचना पश्चिमी देशों, अफ्रीकी या एशिया के कई अन्य देशों से अलग है। इसके अलावा जेनेटिक कारण भी हैं। पश्चिमी देशों में बीएमआई 25 से अधिक होने पर मोटापा माना जाता है। भारत में अब बीएमआई 23 से अधिक होने पर मोटापा माना जाने लगा है। मोटापे का दूसरा पैमाना पेट और कमर की मोटाई भी है।
पुरुषों का कमर 36 इंच और महिलाओं का कमर 32 इंच से अधिक मोटापे का लक्षण है। खराब जीवनशैली व खानपान में वसा युक्त खाद्य वस्तुओं का अधिक इस्तेमाल मोटापे का कारण बन रहा है। इसके कारण दस से 15 वर्षों में खान-पान में आया बदलाव है। इसके अलावा लोग स्क्रीन पर अभी अधिक समय दे रहे हैं।
एम्स की मुख्य डायटीशियन डॉ. परमीत कौर ने बताया कि खानपान में 10 से 15 प्रतिशत प्रोटीन होना जरूरी है। तली हुई चीजें खाने से कैलोरी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि एयर फ्रायर का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखना चाहिए कि उसका तापमान 180 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो। एयर फायर में 180 डिग्री से अधिक तापमान पर तली हुई खाद्य वस्तुओं के इस्तेमाल से कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
सर्जरी अंतिम विकल्प
एम्स के जनरल सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. असुरी कृष्णा ने बताया कि एम्स में हर वर्ष 100 से 150 लोग मोटापे से निजात पाने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी का विकल्प चुनते हैं।
जब जीवनशैली, खानपान में सुधार और व्यायाम के माध्यम से भी मोटापा कम नहीं होता तो अंतिम सर्जरी अंतिम विकल्प के रूप में की जाती है। यहां तक कि बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद भी खानपान पर नियंत्रण और नियमित व्यायाम जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर मोटापा दोबारा हो सकता है।
डायबिटीज पीड़ित कम मोटे मरीजों के लिए भी सर्जरी फायदेमंद
समान्य तौर पर मोटापे की सर्जरी बीएमआई बहुत ज्यादा होने पर ही की जाती है। एम्स के सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. मंजूनाथ ने बताया कि हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि यदि किसी को डायबिटीज हो तो बीएमआई 24 होने पर भी मोटापा कम करने की सर्जरी कराई जा सकती है।
इससे शुगर नियंत्रित रहता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सर्जरी के बाद सात वर्ष तक फालोअप के दौरान मरीजों का शुगर नियंत्रित रहा।
मोटापे से ढीली हुई त्वचा की सर्जरी
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के बर्न व प्लास्टिक सर्जरी विभाग की विशेषज्ञ डा. शिवांगी ने बताया कि अधिक मोटापे से पीड़ित लोगों में मांसपेशियां व त्वचा ढीली होना एक बड़ी समस्या होती है। इससे शरीर खराब दिखने लगता है।
एम्स में हर वर्ष 200-250 लोगों की कंटूरिंग सर्जरी कर मोटापे के कारण ढीली मांसपेशियों व त्वचा को ठीक की जाती है। मोटापे से पीड़ित बहुत पुरुष का स्तन हटाने की सर्जरी कराते हैं।
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