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    सत्येंद्र जैन की जमानत पर 15 अक्टूबर को आएगा फैसला, दलीलें खत्म होने के बाद कोर्ट ने सुरक्षित रखा निर्णय

    Updated: Sat, 05 Oct 2024 07:23 PM (IST)

    सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर फैसला 15 अक्टूबर को आएगा। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने जैन की जमानत याचिका पर ईडी और जैन की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वो याचिका पर अपना फैसला 15 अक्टूबर को सुनाएंगे। जैन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और विवेक जैन ने उनके मुवक्किल की मामले में देरी के आधार पर जमानत का अनुरोध किया।

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    सत्येंद्र जैन की जमानत पर 15 अक्टूबर को आएगा फैसला।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (आप) से पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका पर दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने जैन की जमानत याचिका पर ईडी और जैन की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वो याचिका पर अपना फैसला 15 अक्टूबर को सुनाएंगे।

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    मामले में सुनवाई के दौरान सत्येंद्र जैन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और विवेक जैन ने उनके मुवक्किल की मामले में देरी के आधार पर जमानत का अनुरोध करते हुए दलील दी कि ईडी पिछले पांच सालों से इसकी जांच कर रही हैं और अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं।

    डिफॉल्ट जमानत आवेदन हाईकोर्ट के समक्ष लंबित

    हरिहरन ने कहा कि इस मामले में आगे की जांच लंबित है। उन्होंने कहा कि इस मामले में डिफॉल्ट जमानत आवेदन हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है। उन्होंने तर्क दिया की पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 17 माह तक हिरासत में रहे और उन्हें जमानत मिल गई। बीआरएस नेता के. कविता को पांच माह में जमानत मिल गई।

    मुवक्किल का भागने का भी कोई खतरा नहीं

    अधिवक्ता ने दलील दी कि मामले में उनके मुवक्किल को जमानत दी जाती है तो गवाहों को प्रभावित करने की कोई आशंका नहीं है और न ही उनके मुवक्किल का भागने का भी कोई खतरा है। अधिवक्ता ने दलील दी कि ईडी की ओर से शिकायत दर्ज होने के बाद यह दूसरी जमानत याचिका दायर है।

    ईडी ने वर्ष 2022 में अभियोजन शिकायत दर्ज की

    हरिहरन ने दलील दी कि प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) 2017 में पंजीकृत हुआ था। पांच साल बाद ईडी ने वर्ष 2022 में अभियोजन शिकायत दर्ज की। हरिहरन ने तर्क दिया कि सीबाआइ कहती है कि अपराध की आय 1.27 करोड़ रुपये है और ईडी कहती है कि अपराध की आय 4.68 करोड़ रुपये है। हरिहरन ने तर्क दिया कि ईडी केवल उस हिस्से की जांच कर सकता है, जिसे सीबीआइ अपराध की आय कहती है।

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