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    प्री-स्टेज में सर्वाइकल कैंसर का पता लगएगी विजुअल डायग्नोस्टिक किट, AIIMS की टीम ने किया है तैयार

    Updated: Mon, 25 Aug 2025 08:47 PM (IST)

    एम्स नई दिल्ली के डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने एक किफायती विजुअल डायग्नोस्टिक किट विकसित की है जो सर्वाइकल कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता लगा सकती है। इस किट को राष्ट्रीय जैव उद्यमिता प्रतियोगिता-2025 में पुरस्कार मिला है और टाटा समूह इसे बाजार में लाने में मदद करेगा। यह किट कम संसाधनों वाले स्वास्थ्य केंद्रों में भी आसानी से इस्तेमाल की जा सकती है।

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    बेंग्लुरू में आयोजित प्रतियोगिता में मिला पुरस्कार, टाटा उपलब्ध कराएगा बाजार। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एम्स के एनाटामी विभाग स्थित इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप फैसिलिटी के डाॅ. सुभाष चंद्र यादव 24 अगस्त को बेंग्लुरू में हुए राष्ट्रीय जैव उद्यमिता प्रतियोगिता-2025 के विजेता बने हैं।

    सी-कैंप (सेंटर फार सेल्युलर एंड माॅलिक्यूलर प्लेटफार्म) की ओर से आयोजित स्पर्धा में उन्होंने व्यक्तिगत कैटेगरी में प्रतिभाग करते हुए सस्ती किफायती नैनोटेक-आधारित विजुअल डायग्नोस्टिक किट की प्रस्तुति दी।

    यह किट कम संसाधन वाले स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में उच्च जोखिम वाले एचपीवी-संचालित सर्विकल कैंसर का पता लगाने में सक्षम है।

    बतौर विजेता उन्हें ओरिजन आंकोलाॅजी की ओर से छह लाख नकद पुरस्कार की घोषणा की गई है। इस तकनीक को मार्केट में लाकर सर्वसुलभ बनाने के लिए टाटा की सोशल अल्फा टीम की ओर से आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाएगा।

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    डाॅ. सुभाष के मुताबिक इस किट को पद्मश्री प्रो. नीरजा भाटला, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रो. ज्योति मीणा, ओंकोपैथोलाजी विभाग के प्रो. प्रणय तंवर, ईएम पैथोलाजी की डाॅ. शिखा चौधरी व शोध छात्रा सृष्टि रमन के साथ मिलकर डेवलप किया गया।

    वर्ष 2021 में इसका पेटेंट भी कराया जा चुका है। यह किट सर्विकल कैंसर से प्रभावित कोशिका की जांच और उसकी सटीक पुष्टि करने में सक्षम है। प्री-कैंसर स्टेज से लेकर कैंसर स्टेज तक का पता लगा सकती है। दो घंटे में रिपोर्ट मिलती है।

    इसके लिए अलग से आर्थिक निवेश की जरूरत नहीं। सामान्य स्वास्थ्य केंद्र में भी इससे प्रतिदिन एक लाख तक जांच की जा सकती है।

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