Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विट्ठलभाई पटेल ने दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए ब्रिटिश सरकार को दिखाया', एसके शर्मा ने याद दिलाई पुरानी घटना

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 10:39 AM (IST)

    विट्ठलभाई पटेल ने अध्यक्ष पद पर रहते हुए ब्रिटिश सरकार को दिखाया कि भारतीय भी गरिमा के साथ सर्वोच्च पद पर आसीन हो सकते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में साहस कूटनीतिक कौशल और देशभक्ति से प्रशंसा अर्जित की। सदन के विशेषाधिकारों की रक्षा करते हुए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से कई बार टकराव किया और उन्हें खेद व्यक्त करने पर मजबूर किया।

    Hero Image
    विट्ठलभाई पटेल ने अध्यक्ष पद पर रहते हुए ब्रिटिश सरकार को दिखाया- एसके शर्मा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अध्यक्ष पद पर रहते हुए विट्ठलभाई पटेल ने ब्रिटिश सरकार को यह स्पष्ट रूप से दिखा दिया था कि यदि अवसर मिले तो एक भारतीय भी देश के सर्वोच्च पद पर गरिमा के साथ आसीन हो सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विट्ठलभाई का कार्यकाल ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जिनके माध्यम से उन्होंने अपने साहस, कूटनीतिक कौशल, बुद्धिमत्ता, ज्ञान और देशभक्ति के लिए संपूर्ण भारत की जनता की प्रशंसा अर्जित की। सदन के विशेषाधिकारों, गरिमा और सम्मान की रक्षा करते हुए विट्ठलभाई का ब्रिटिश सरकार से एक बार नहीं, बल्कि कई बार टकराव हुआ।

    ब्रिटिश शासन के दौरान उन्होंने जिस अदम्य साहस, वीरता और स्वाभिमान का परिचय दिया, वह देशवासियों के लिए आँखें खोलने वाला है। उन्होंने सदन के नेता सर जेम्स सेंगर को सरकार की ओर से सदन में खेद व्यक्त करने पर मजबूर किया।

    उन्होंने ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ को क्षमा मांगने के लिए मजबूर किया। यहाँ तक कि ब्रिटिश वायसराय को भी सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक पर अध्यक्ष के निर्णय की आलोचना करने पर खेद व्यक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

    उन्होंने ब्रिटिश सरकार और पुलिस प्रमुखों से विधानसभा परिसर का संपूर्ण नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। दो महीने तक सभी आगंतुकों का प्रवेश वर्जित रखकर उन्होंने न केवल ब्रिटिश सरकार को परास्त किया, बल्कि उन्हें यह स्वीकार करने पर भी मजबूर कर दिया कि विधानसभा परिसर में अध्यक्ष ही सर्वोच्च अधिकारी हैं।

    उन्होंने केंद्रीय विधानसभा के सचिवालय को सरकार के विधि विभाग से अलग करवाकर उसे अपने अधीन एक स्वतंत्र निकाय घोषित कर दिया। ये कुछ ऐसे कार्य थे जो विट्ठलभाई जैसे स्वाभिमानी अध्यक्ष ही करवा सकते थे। विट्ठलभाई के व्यक्तित्व की सच्ची झलक पाने के लिए उनमें से कुछ घटनाओं का वर्णन आवश्यक है।

    नोट- दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस.के. शर्मा का बयान