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    मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के लिए चयनित खिलाड़ियों के निर्णय पर दोबारा करेंगे विचार

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Wed, 17 Nov 2021 06:40 PM (IST)

    राष्ट्रीय चैंपियन मुक्केबाज अरूंधति चौधरी की याचिका पर भारतीय मुक्केबाजी संघ (बीएफआइ) ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि ऐसे में जब तुर्की में होने वाले महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप मार्च तक के लिए स्थगित हो गई है।

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    अरुंधति चौधरी के नाम पर विचार नहीं किया गया था।

    नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। राष्ट्रीय चैंपियन मुक्केबाज अरूंधति चौधरी की याचिका पर भारतीय मुक्केबाजी संघ (बीएफआइ) ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि ऐसे में जब तुर्की में होने वाले महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप मार्च तक के लिए स्थगित हो गई है। ऐसे में संघ खिलाड़ियों के चयन को लेकर किए गए पूर्व निर्णय पर दोबारा विचार करेगा। इससे पहले अरुंधति चौधरी के नाम पर विचार नहीं किया गया था।

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    अधिवक्ता विजय मिश्रा के माध्यम से दायर याचिका में 19 वर्षीय चौधरी ने दलील दी थी कि ओलिंपिक में कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन का चयन बगैर ट्रायल के किया गया है। इससे पहले बीएफआइ ने पीठ को सूचित किया था कि चौधरी को प्रतियोगिता के लिए 70 किलोग्राम की आरक्षित मुक्केबाज श्रेणी में पंजीकृत किया गया था। एक श्रेणी में सिर्फ एक प्रविष्टि हो सकती है। यदि वह बोरगोहेन के चयन से असंतुष्ट हैं तो उन्हें बोरगोहेन को एक पक्षकार बनाना होगा। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि वह इस विषय में कोई अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं।

    इधर,  रेस्तरां और बार में हर्बल हुक्का परोसने की अनुमति देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना महामारी के नाम पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि आजीविका की कीमत पर कोरोना महामारी के प्रतिबंधों को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीठ ने निर्णय देते हुए नोट किया कि सिनेमा हाल और स्वीमिंग पूल पूरी क्षमता के साथ खोलने की पहले ही अनुमति दी जा चुकी है। पीठ ने कहा सब पूरी क्षमता के साथ खोल रहे हैं, लेकिन हुक्का बंद करना चाहते हैं। आप ऐसा करना चाहते हैं तो कर सकते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के आधार पर ऐसा नहीं कर सकते।

    पीठ ने पूछा क्या इन लोगों (याचिकाकर्ताओं) को जीवित रहने की जरूरत नहीं है? हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि हर्बल हुक्का परोसने के संबंध में अंतरिम राहत इस शर्त पर दी गई है कि रेस्तरां व बार संचालक महामारी के दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। पीठ ने यह भी कहा कि महामारी की स्थिति में बदलाव होने की स्थिति में दिल्ली सरकार कोर्ट का रुख कर सकती है। इससे जुड़ी अन्य याचिकाओं पर सरकार को जबाब दाखिल करने को कहा गया है। अगर दिशानिर्देशों का पालन करने के आधार पर अन्य रेस्तरां और बार संचालक हर्बल हुक्का परोसने की अनुमति मांगते हैं तो इस पर विचार करें।