अब यमुना का होगा कायाकल्प, कृत्रिम नहीं बल्कि नैचुरल तरीके से बदलेगा रिवरफ्रंट का स्वरूप और साज-सज्जा
यमुना में बाढ़ का पानी उतरने के बाद डीडीए ने रिवरफ्रंट की सफाई शुरू कर दी है। रिवरफ्रंट को अब कृत्रिम के बजाय प्रकृति केंद्रित रखने पर ध्यान दिया जा रहा है जिसमें स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्राथमिकता मिलेगी। यहां नागरिकों के लिए कई सुविधाएं होंगी और 2026 तक यह परियोजना पूरी होने की उम्मीद है। एलजी वीके सक्सेना व्यक्तिगत रूप से सफाई कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। यमुना में आई बाढ़ का पानी उतरने लगा है तो दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने भी रिवरफ्रंट से जुड़ी अपनी विभिन्न परियोजनाओं की साफ सफाई शुरू कर दी है। बाढ़ का पानी पूरी तरह सूख जाने एवं सफाई हो जाने के बाद अब इसे कृत्रिम नहीं बल्कि प्रकृति केंद्रित ही रखने पर विचार चल रहा है।
मतलब, रिवरफ्रंट को अब कृत्रिम नहीं बल्कि प्रकृति केंद्रित रखने की सोच के साथ ही काम आगे बढ़ाया जाएगा। स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने के साथ ही पेड़ पौधे देशज प्रजातियों के होंगे। नदी किनारे उगने वाली घास, वेटलैंड और जलाशय भी रिवरफ्रंट का हिस्सा होंगे।
यमुना के दोनों ओर किनारों को इस तरह विकसित किया जाएगा कि राजधानी ही नहीं, एनसीआर और समीपवर्ती अन्य शहरों के लोग भी यहां घूमने आया करेंगे। इस पूरे स्ट्रेच में सारा निर्माण कार्य कंक्रीट का इस्तेमाल किए बिना मार्बल, पत्थर, रेत- बजरी, बांस व लोहे इत्यादि का उपयोग करके किया जा रहा है।
ऐसा होगा रिवरफ्रंट का रूप रंग
यमुना रिवरफ्रंट का स्वरूप और साज-सज्जा पूरी तरह प्रकृति-केंद्रित, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मूल्यों पर आधारित होगी। इसे पारंपरिक कंक्रीट संरचनाओं की बजाय एक जीवंत हरित परिदृश्य के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें प्राकृतिक तत्वों का भी संतुलित संयोजन किया जाएगा। यहां पर कच्चे पैदल पथ बनाए जाएंगे।
बैठने की सुविधाएं भी सरल व प्रकृति-संगत रूप में विकसित की जाएंगी। परियोजना में सामूहिक गतिविधियों के लिए स्थान, योग चबूतरे और नदी दर्शन के लिए डेक भी बनाए जाएंगे। पर्यावरणीय सूचना पट्ट, जैविक शौचालय और सौर ऊर्जा आधारित रात की प्रकाश व्यवस्था इस स्थल को नागरिकों के लिए प्रकृति से जुड़ने का एक शांत, सुलभ और सौंदर्यपूर्ण अनुभव बनाएगी।
नागरिकों के लिए होंगी विविध सुविधाएं
यमुना रिवरफ्रंट पर नागरिकों के लिए विविध सुविधाएं विकसित की जाएंगी, जो इसे सार्वजनिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक अनुभव का केंद्र बनाएंगी। यहां पेयजल की व्यवस्था, छायादार विश्राम स्थल, शांत वातावरण में घूमने योग्य प्राकृतिक रास्ते और साइकिल पथ नागरिकों को स्वास्थ्य व मानसिक शांति से जोड़ेंगे।
अभी तक की स्थिति
यमुना रिवरफ्रंट का विकास कार्य चरणबद्ध रूप से प्रगति पर है। वज़ीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक लगभग 22 किमी लंबी शहरी सीमा में फैले 1700 हेक्टेयर क्षेत्र में से करीब 780 हेक्टेयर भूमि का पुनरुद्धार एवं विकास कार्य पूरा किया जा चुका है। इसके अंतर्गत आसिता, वसुदेव घाट, अमृत जैव विविधता उद्यान और बांसेरा जैसे स्थल सम्मिलित हैं।
शेष लगभग 920 हेक्टेयर भूमि पर विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य निर्माणाधीन है, जिनमें यमुना वटिका, मयूर नेचर पार्क, कालिंदी अविरल और हिंडन सरोवर प्रमुख हैं। हालांकि बाढ़ की वजह से काफी कुछ प्रभावित हुआ है, लेकिन अब इससे निपटते हुए ही आगे बढ़ने की तैयारी है।
पहली बार अनेक एजेंसियां आईं एक साथ
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) यमुना नदी के बाढ़क्षेत्र के पुनरुद्धार और विकास पर कार्य कर रहा है, जो राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) और इसकी प्रिंसिपल कमेटी के दिशा-निर्देशों के अनुसार है। इस परियोजना में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, पर्यावरण विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), वन विभाग, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियां भी अलग अलग पर सहयोग कर रही हैं।
इसका उद्देश्य बाढ़क्षेत्र को जैव विविधता से समृद्ध, पारिस्थितिकी तंत्र से संतुलित और आम जनता के लिए सुलभ हरित क्षेत्र के रूप में विकसित करना है।
आएगा करीब 300 करोड़ का खर्च
अभी तक इन पर 220 करोड़ रुपये तक का व्यय हो चुका है। करीब 70 से 80 करोड़ रुपये का व्यय और संभावित है। 2026 तक रिवरफ्रंट तैयार हो जाने के आसार हैं। बाढ़ में अच्छा खासा नुकसान हुआ है, पानी पूरी तरह उतर जाने पर उसका आंकलन कर इस नुकसान की भरपाई भी की जाएगी।
बाजार होंगे टेंट में, बन रही पार्किंग भी
सराय काले खां के पास मिलेनियम डिपो की जमीन पर भी तेजी से काम चल रहा है। छोटे छोटे टेंट लगाकर हस्तशिल्प, आर्गेनिक और खानपान का सामान मिलेगा। यहां पर दो बड़े पार्किंग स्थल भी तैयार किए जा रहे हैं।
एलजी ने खुद संभाली हुई है कमान
डीडीए अधिकारियों के अनुसार, यमुना रिवरफ्रंट पर साफ सफाई का काम तत्परता से शुरू कर दिया गया है। जहां- जहां से पानी का लेवल कम हुआ है उसकी सफ़ाई युद्धस्तर पर जारी है। इस काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर को कोई नुकसान होने का अनुमान कम है। केवल साफ़ सफाई और सिल्ट हटाने से इसे जल्द पूरी तरह पुन: स्थापित कर दिया जाएगा। एलजी वीके सक्सेना व्यक्तिगत रूप से सफाई कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
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