25 साल बाद सीरियल किलर गिरफ्तार, 20 से ज्यादा कैब चालकों को उतारा मौत के घाट; पहाड़ से फेंक देता था शव
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 25 साल से फरार एक कुख्यात अपराधी धीरज उर्फ राज सिंह को गिरफ्तार किया है। उस पर 2001 में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, दिल्ली। टैक्सी बुक कर चालकों की हत्या करने के चार मामलों में शामिल सीरियल किलर को क्राइम ब्रांच की टीम ने गिरफ्तार किया है। आरोपित कुख्यात अजय लांबा गिरोह का सदस्या था, जिसने अपने साथियों के साथ मिलकर 2001 में दिल्ली और उत्तराखंड में कैब चालकों से जुड़ी चार लूट-सह-हत्या की वारदातों को अंजाम दिया था।
वह पिछले 25 वर्षों से फरार था, जिसकी पहचान यूपी के सिकंदरपुर कलां गांव के धीरज उर्फ राजसिंह के रूप में हुई है। यह गिरोह अपने साथियों के साथ टैक्सी किराए पर लेता था, फिर चालकों की हत्या कर गाड़ियां लूट लेता था और पकड़े जाने से बचने के लिए लाशों को दूर पहाड़ी इलाकों में फेंक देता था और इसके बाद गाड़ी नेपाल में बेच दिया जाता था।
पुलिस इससे पहले गिरोह के तीन कुख्यात आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। उपायुक्त पंकज कुमार के मुताबिक, 17 मार्च 2001 को थाना न्यू अशोक नगर में एक पीसीआर काल मिली कि बी-2, मयूर विहार फेस-III के पास एक डंप यार्ड में दो पुरुष गंभीरवास्था में पड़े हैं।
पुलिस ने तुरंत दोनों को एलबीएस अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डाक्टरों ने एक व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया, जबकि दूसरा बच गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की और दो आरोपितों धीरेंद्र और दिलीप नेगी को गिरफ्तार कर लिया और बाकी दो आरोपितों अजय लांबा और धीरज को भगोड़ा घोषित कर दिया गया और चार्जशीट फाइल की गई।
तीन नवंबर 2010 को एक आरोपित धीरेंद्र (धीरज तोमर का भाई) को एक महीने के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था, लेकिन वह पैरोल जंप कर फरार हो गया था, लेकिन बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।जांच के दौरान, उसने बताया कि उसकी गिरफ्तारी के बाद, उसके भाई धीरज तोमर ने अपना नाम बदलकर राज सिंह रख लिया था और अपने परिवार से अलग अनजान जगहों पर रहने लगा था।
आगे की पूछताछ में पता चला कि धीरज अपने गांव के पास इस पहचान बदलकर रह रहा है। एसीपी उमेश बर्थवाल की देखरेख में और इंस्पेक्टर राकेश कुमार के नेतृत्व में गठित टीम ने सिकंदरपुर कलां में छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में आरोपित धीरज ने बताया कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर जयपुर से दिल्ली के लिए एक टैक्सी किराए पर ली थी, जहां उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ड्राइवर और साथ बैठे यात्री (बाद वाला समय पर इलाज मिलने की वजह से बच गया) की हत्या कर दी और उसकी गाड़ी लूट ली।
20 से अधिक चालकों की हत्या में रहा है शामिल
लगातार पूछताछ के दौरान, धीरज तोमर ने बताया कि उसके गैंग के खिलाफ अल्मोड़ा, हल्द्वानी और लोहाघाट, उत्तराखंड में हत्या, लूट और अपहरण के और भी मामले दर्ज हैं। इसके अलावा भी वह 20 से अधिक चालकों की हत्या में शामिल रहा है जिनके शव नहीं मिले। गैंग का काम करने का तरीका अलग-अलग जगहों से टैक्सी किराए पर लेना, ड्राइवरों की हत्या करना, गाड़ियों को लूटना और बाद में उन्हें नेपाल में बेचना था।

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