पाकिस्तान की एक और शर्मनाक करतूत, करतारपुर साहिब दर्शन के लिए जा रहे 14 हिंदुओं को धर्म पूछकर लौटाया
गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर करतारपुर साहिब जा रहे 14 हिंदू श्रद्धालुओं को पाकिस्तानी अधिकारियों ने धर्म पूछकर लौटा दिया। दक्षिणी दिल्ली के भाटी माइंस के सात निवासी भी शामिल थे। उन्हें बताया गया कि केवल सिखों को ही गुरुद्वारों में प्रवेश की अनुमति है, जिसके कारण उन्हें बिना किसी कारण बताए वापस भेज दिया गया।

पाकिस्तान से लौटाए गए हिंदुओं में से सात दिल्ली के। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गुरु नानक देव के प्रकाश उत्सव पर पाकिस्तान में करतारपुर साहिब समेत अन्य गुरुद्वारों के दर्शन के लिए पहुंचे 14 दर्शनार्थियों को पाकिस्तानी प्रशासन ने धर्म पूछकर लौटा दिया।
इनमें से सात दर्शनार्थी दक्षिणी दिल्ली के भाटी माइंस के रहने वाले हैं। बुधवार की सुबह दिल्ली लौटे दर्शनार्थियों ने आरोप लगाया कि उन्हें हिंदू होने के कारण उन्हें वापस भेजा गया, जबकि उनके पास मान्य वीजा भी था। इतना ही नहीं बस का लगभग 95,000 रुपये किराया भी नहीं लौटाया गया।
जत्थे में शामिल अमर चंद ने बताया कि भाटी माइंस से उनके साथ बशीरा बाई, गंगाराम, शांति देवी, सुगना देवी, बशीरन और बाजवा चंद तीन नवंबर को पाकिस्तान में पंजा साहिब, ननकाना साहिब, करतारपुर साहिब और सच्चा सौदा गुरुद्वारा में दर्शन के लिए निकले थे। चार नवंबर को अटारी पहुंचे। वहां से आगे पैदल गए। वाघा बार्डर पार कर सभी पाकिस्तान में प्रवेश कर गए।
इमिग्रेशन जांच के बाद सिख जत्थेदारों ने सभी का स्वागत-सत्कार किया। वहां से आगे दर्शन करने के लिए बस से जाना था। उन्हें बताया गया कि प्रति दर्शनार्थी बस का 13,500 रुपये किराया जमा करना होगा। सात लोगों के लिए कुल 94,500 रुपये जमा किए। करतारपुर साहिब समेत अन्य पवित्र स्थलों के दर्शन को लेकर सभी उत्साहित थे।
पैसे जमा करने के बाद सभी बस में जाकर बैठ गए। जैसे ही बस चलने को हुई, पाकिस्तानी सेना के दो-तीन जवानों के साथ कुछ अधिकारी भी पहुंचे। उन लोगों पूछा गया कि सिख हो या हिंदू। जवाब में हिंदू बोलते ही सभी बिफर उठे। बोले आगे सिख ही जा सकते हैं, हिंदू नहीं।
इसके बाद सभी को बलपूर्वक बस से उतार कर दोबारा इमिग्रेशन के पास लाया गया और वीजा कैंसिल कर दिया। बस का किराया वापस करने को पूछा तो बोले तुम लोगों को जाने दे रहे हैं, यही बहुत है। वरना हम बहुत कुछ कर सकते हैं।
बस में बैठकर तुम लोगों ने उसे भी अपवित्र कर दिया है। हालांकि इस तरह वापस किए जाने का बार्डर पर तैनात बीएसएफ अधिकारियों ने विरोध किया। पर पाकिस्तान के अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी। अमर चंद के मुताबिक बार्डर पर उनके समूह के अलावा सात अन्य लोगों को भी हिंदू होने के आधार पर उसी दिन लौटाया गया।

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