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    DU से निकलकर विज्ञापन की दुनिया में छाए पीयूष पांडे, रणजी में बतौर विकेटकीपर-बल्लेबाज खेले थे पांच मैच

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 11:12 PM (IST)

    विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे का निधन हो गया। दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई के बाद उन्होंने विज्ञापन की दुनिया में नाम कमाया। उनके बनाए विज्ञापन और टैगलाइन, जैसे 'मिले सुर मेरा तुम्हारा', आज भी लोकप्रिय हैं। उनके निधन पर कई लोगों ने शोक व्यक्त किया, उन्हें एक दूरदर्शी रचनाकार बताया गया। उन्होंने ओगिल्वी इंडिया और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के साथ भी काम किया।

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    विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे नहीं रहे।

    जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। विज्ञापन जगत के दिग्गज पद्मश्री पीयूष पांडे फेविकोल को एक इमोशन बनाया, चाॅकलेट से खुशियों की मिठास घोली और हर दीवार को बोलना सिखाया। अब वे हमारे बीच नहीं रहे।

    दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस काॅलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया और विज्ञापन के क्षेत्र में कदम रखा। एडमैन ऑफ इंडिया के तौर पर अपनी पहचान बनाई। उनके विज्ञापनों ने लोगों को दिल को ऐसे छुआ कि 'मिले सुर मेरा तुम्हारा', 'हमारा बजाज', 'ये फेविकोल का मजबूत जोड़ है टूटेगा नहीं' जैसे टैगलाइन आज भी जुबां पर हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली विश्वविद्यालय से निकलकर रचनात्मकता के बूते अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाई। 'अबकी बार मोदी सरकार' से लेकर 'दो बूंद जिंदगी की', 'हमारा बजाज', 'फेविकोल', 'कैडबरी' और 'एशियन पेंट्स' जैसे ब्रांड्स को नई पहचान देने वाले पीयूष पांडे के निधन के बाद इंटरनेट मीडिया पर श्रद्धांजलि संदेश प्रसारित होते रहे।

    रणजी में बतौर विकेटकीपर-बल्लेबाज खेले थे पांच मैच

    दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ट्वीट कर लिखा पीयूष पांडे के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ, वे एक दूरदर्शी रचनाकार और कहानीकार थे जिन्होंने भारतीय विज्ञापन को उसकी स्थायी आवाज दी। रणजी ट्राफी क्रिकेटर के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले पीयूष पांडे ने 1977-78 और 1978-79 में बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज पांच मैच खेले।

    सेंट स्टीफन काॅलेज में कीर्ति आजाद व अरुण लाल से उनकी दोस्ती हुई थी। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और सांसद कीर्ति आजाद सेंट स्टीफन काॅलेज में पीयूष पांडे के जूनियर हुआ करते थे। दोनों ने काॅलेज स्तर पर क्रिकेट खेला है। कीर्ति आजाद ने बताया कि वे अच्छे क्रिकेटर के साथ विज्ञापन की पिच पर भी किंग थे।

    पीजीडीएवी काॅलेज के एक मैच को याद करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार एक थप्पा लगने के बाद उन्हें अंपायर ने आउट दे दिया था। जानते हुए भी कि वे आउट नहीं हैं वे मुस्कुराते हुए मैदान से बाहर चले गए। पूर्व क्रिकेटर अरुण लाल ने ही इन्हें विज्ञापन की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था। उनकी बहन साहित्यकार है। 1982 में ओगिल्वी इंडिया से जुड़ने के बाद उन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत में एक नया अध्याय लिखा।

    WWF-इंडिया के लिए बनाया था विज्ञापन

    लोधी रोड़ स्थित डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के लिए प्रजाति संरक्षण पर एक विज्ञापन बनाया था। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सेक्रेटरी जनरल व सीईओ रवि सिंह ने इंटरनेट मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि हम दिग्गज विज्ञापन निर्माता और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के प्रिय मित्र पीयूष पांडे के निधन पर शोक जताते हैं।वे व्यक्तिगत रूप से हमारे काम के समर्थक थे, और स्थिरता और वन्यजीवों से जुड़े मुद्दों में गहरी रुचि रखते थे।

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