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    'अगर वो 'गजवा-ए-हिंद' कहेंगे तो हम 'भगवा-ए-हिंद' बना के रहेंगे', हिंदू एकता पर धीरेंद्र शास्त्री का एलान

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 09:56 PM (IST)

    बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने छतरपुर से 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 2.0' शुरू की। उन्होंने कहा कि यह यात्रा 80 करोड़ हिंदुओं को एकजुट करने के लिए है और हर भारतीय सनातनी है। शास्त्री ने जातिवाद मिटाने का आह्वान किया और सनातन हिंदू एकता का संकल्प लिया। यह पदयात्रा हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होते हुए वृंदावन में समाप्त होगी।

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    मुहम्मद रईस,  दक्षिणी दिल्ली। बागेश्वर बालाजी से बांकेबिहारी मिलन ब्रज पदयात्रा जात-पात में बंटे देश के 80 करोड़ हिंदुओं को एकजुट करने की यात्रा है। यह 150 करोड़ भारतीयों के हित के लिए 150 किलोमीटर की यात्रा है। इस देश में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति सनातनी है, जो सनातनी नहीं है वह तनातनी है।

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    यह बातें बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शुक्रवार को छतरपुर से 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 2.0' की शुरुआत करते हुए कही। लोगों से जात-पात और छुआ छूत का भेद मिटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इस देश में जातियां तो रहें, पर उनका अहंकार न रहे।

    धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज के गो-आंदोलन को याद करते हुए कहा कि सात नवंबर 1966 को राजधानी दिल्ली में धर्म विरोधी सरकार ने निहत्थे साधू-संतों पर गोलियां चलवाईं। बदला हो हम ले नहीं सकते, लेकिन संत समाज एकसाथ बैठकर करपात्री जी महाराज के उस अभियान को स्मरण कर दिल्ली में कह रहा है कि तुम कितना भी हमें मिटाओ, हम मिटेंगे नहीं, हम झुकेंगे नहीं, हम रुकेंगे नहीं।

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    इसलिए सात नवंबर से ही सनातन हिंदू एकता यात्रा का दृढ़ संकल्प लिया है। यह कोई राजनीतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा है, कास्टवाद के खिलाफ। अब साधू-संतों का कमंडल और बागेश्वर धाम का मंडल 16 नवंबर तक चलेगा। गांव-गांव, गली-गली शोर होगा, सनातन का जोर होगा, हिंदुओं की एकता होगी, धर्म विरोधियों और देश को बिगाड़ने वालों की ठठरी बंधेगी।

    इस दौरान उन्होंने लोगों को सामाजिक एकता को बढ़ावा देने, पवित्र यमुना नदी के शुद्धिकरण तथा सनातन हिंदू एकता को सशक्त बनाने को लेकर संकल्प दिलाया। यह दस दिवसीय पदयात्रा हरियाणा के बल्लभगढ़, पृथला, पलवल, फरीदाबाद होते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी और 16 नवंबर को वृंदावन पहुंचकर समाप्त होगी। इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, लोकेश मुनि महाराज, साध्वी ऋतंभरा, दाती महाराज, संत अभय दास, भैया दास महाराज, संत राजू दास आदि रहे।

    हम भगवा-ए हिंद बना के रहेंगे

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    धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जब फ्रांस के लोग फ्रांस को बचाने के लिए सड़कों पर उतर सकते हैं। इंग्लैंड के लोग अपने देश को बचाने के लिए सड़क पर उतर सकते हैं तो हम भारतीय क्यों नहीं अपने सनातन को बचाने के लिए सड़क पर उतर सकते।

    हमें मुसलमानों से या ईसाइयों से दिक्कत नहीं है। पर यदि वो 'गजवा-ए-हिंद' कहेंगे तो हम 'भगवा-ए-हिंद' बना के रहेंगे। यदि वे ''सिर तन से जुदा'' की बात करेंगे तो जो अभी पाकिस्तान में नौ जगह पर पटाखे फूटे थे, वो याद है न। हमारे पास पटाखे तो नहीं हैं, पर देश की सेना तो फोड़ ही सकती है।

    हिंदुओं का होना चाहिए एक देश

    बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर ने कहा कि वर्ष 1947 में मुसलमानों के लिए अलग देश बना दिया गया, लेकिन जो शेष भारत बचा, जहां 80 प्रतिशत हिंदू हैं, वो तो हिंदू राष्ट्र हो जाए। जब पाकिस्तान इस्लामिक राष्ट्र हो सकता है। 65 से ज्यादा देश इस्लामिक हैं।

    95 से ज्यादा देश ईसाइयों के हैं। यहूदियों का एक देश है। एक देश बौद्धों का है। तो पूरी बर्मा, इंडोनेशिया, कंबोडिया, फिजी, मारीशस, भारत, नेपाल में रहने वाले हिंदुओं के लिए भी एक देश होना चाहिए। आज नहीं कल होगा। हमारी तलवारों की नहीं, विचारों की लड़ाई है।

    मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी पदयात्रा में हुईं शामिल

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    छतरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर के पास सनातन हिंदू एकता पदयात्रा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता व दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा भी सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पदयात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की उस अविरल परंपरा का उत्सव है, जिसने सदियों से समाज को धर्म, कर्तव्य, करुणा और मानवीय मूल्यों के सूत्र में जोड़े रखा है।

    यह पूरे देश को एकता, श्रद्धा, सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक चेतना का सशक्त संदेश दे रही है। आज के समय में इस प्रकार का संदेश अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इसे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जीवंत और प्रेरणादायक प्रतीक बताया।

    मुख्यमंत्री ने बागेश्वर बालाजी से प्रार्थना की कि उनकी कृपा-दृष्टि सदैव दिल्ली समेत पूरे राष्ट्र पर बनी रहे, ताकि देश शांति, सद्भाव, समृद्धि और सशक्त आध्यात्मिक चेतना के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ता रहे।

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