सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मामला: खिड़की-दरवाजों और फिटिंग फिक्सचर्स को लेकर डीडीए और आरडब्ल्यूए में ठनी
सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के फ्लैट खाली होने के बाद, डीडीए और आरडब्ल्यूए के बीच खिड़की-दरवाजे और फिटिंग को लेकर विवाद हो गया है। निवासियों का कहना है कि उन्होंने अपने फ्लैटों में महंगे खिड़की-दरवाजे लगवाए थे, जो उनकी संपत्ति है। डीडीए के रोकने पर निवासियों ने नाराजगी जताई है। आरडब्ल्यूए ने डीडीए के नोटिस पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें सामान हटाने के लिए सिर्फ तीन दिन का समय दिया गया है।

फ्लैट खाली करने के बाद अपने महंगे खिड़की और दरवाजे निकालना चाहते हैं लोग।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के लोगों व डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) के बीच अब एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया। सभी 336 फ्लैट खाली होने के बाद अब खिड़की-दरवाजे व फिटिंग-फिक्सचर्स को लेकर सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट आरडब्ल्यूए और डीडीए के बीच ठन गई है।
आरडब्ल्यूए का कहना है कि फ्लैट आवंटियों ने कई करोड़ खर्च कर फिटिंग-फिक्सचर्स व खिड़की-दरवाजे लगवाए हैं, इसलिए यह उनकी प्राॅपर्टी है। दूसरी ओर अपार्टमेंट के गेट पर तैनात डीडीए के फील्ड स्टाफ और सुरक्षा कर्मचारी फ्लैट मालिकों को उनके फ्लैटों से फिटिंग और फिक्सचर, दरवाजे, खिड़कियां आदि निकालने से रोक रहे हैं।
इस मसले पर आरडब्ल्यूए व डीडीए के अधिकारियों के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। इस बारे में डीडीए से पक्ष मांगा गया, लेकिन अधिकारियों की ओर से जवाब नहीं दिया गया। वर्ष 2022 में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट की इमारत में ढांचागत खामी संबंधी आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट और अगले साल इस मामले को हाई कोर्ट में जाने के बाद से ही यहां रहने वाले लोगों व डीडीए के बीच खटपट चल रही है।
चाहे किराए के भुगतान का मसला हो या फिर फ्लैट खाली करने की बात, दोनों ओर से लगातार मतभेद की स्थिति बनी हुई है। 12 अक्टूबर को अपार्टमेंट की बिजली-पानी की आपूर्ति काट दिए जाने के बाद 50 से अधिक परिवारों को आनन-फानन में शिफ्ट करना पड़ा। फ्लैट से सामान निकालने के लिए अपार्टमेंट में केवल लिफ्ट व काॅमन एरिया की बिजली आपूर्ति नहीं काटी गई थी।
अब तीन-चार दिन पहले नगर निगम ने लिफ्ट व काॅमन एरिया की आपूर्ति भी काट दी है। ऐसे में लोगों को अपना सामान निकालने में कठिनाई हो रही है। यही नहीं, अब डीडीए और सुरक्षा कर्मचारी फ्लैटों से फिटिंग और फिक्सचर, दरवाजे, खिड़कियां आदि निकालने से रोक रहे हैं।
वर्तमान घटनाक्रम को लेकर आरडब्ल्यूए अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार राकेश व महासचिव गौरव पांडे ने डीडीए के प्रधान आयुक्त (आवास) को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि स्थिति को और बदतर बनाने के लिए, अब लिफ्ट बंद करके निवासियों को परेशान किया जा रहा है, जिससे घरेलू सामान को स्थानांतरित करने और हटाने में और देरी हो रही है।
हम समझते हैं कि यह ठेकेदार के इशारे पर किया जा रहा है जो फ्लैट मालिकों को उनके फ्लैटों में प्रवेश करने से रोक रहा है और अनधिकृत और अवैध तरीके से उन्हें उनके फ्लैटों से फिटिंग और फिक्सचर हटाने से रोक रहा है।
जबकि, ये वे चीजें हैं जिनकी अनुमति उच्च न्यायालय के अपने 17 सितंबर के आदेश में दी गई है। फिटिंग और फिक्सचर, दरवाजे, खिड़कियां आदि की पूरी राशि डीडीए पहले ही वसूल चुका है।लोगों ने अपनी सुरक्षा व पसंद के हिसाब से कीमती यूपीवीसी, वुडन वर्क आदि कराए हैं।
तीन दिन में सामान हटाने के नोटिस पर सवाल उठाए
डीडीए की ओर से गत 24 अक्टूबर को जारी नोटिस में अपार्टमेंट के फ्लैट मालिकों को तीन दिन की अवधि के भीतर सभी वस्तुओं को हटाने के लिए कहा गया है। आरडब्ल्यूए ने इस नोटिस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए इसे मनमाना और अनुचित बताया है।
आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों ने बताया कि पहले घरेलू सामान को स्थानांतरित करने के लिए नवंबर के दूसरे सप्ताह तक का समय दिया गया था। तीन दिन का अल्टीमेटम मनमाना, अनुचित और कई निवासियों के लिए पालन करना असंभव है। जबकि, कोर्ट ने निर्देश दिया है कि खाली कराने और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया निवासियों को न्यूनतम असुविधा के साथ पूरी की जानी चाहिए।

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