देश में नेशनल हाईवे अब बनाएंगे सूरज से बिजली, NHAI दिल्ली में करने जा रहा पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) दिल्ली-सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने जा रहा है। यह पायलट प्रोजेक्ट चार मेगावाट का होगा, जिसमें एसईसीआई तकनीकी सहायता देगा। उत्पन्न बिजली को बेचकर एनएचएआई को आय होगी। सफलता मिलने पर इसे अन्य राजमार्गों पर भी लागू किया जाएगा। यह परियोजना हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण कदम है।

दिल्ली-सहारनपुर हाईवे का एलिवेटेड सेक्शन, यही पर की जाएगी पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत। पारस कुमार
आशीष गुप्ता, पूर्वी दिल्ली। अब देश के राष्ट्रीय राजमार्ग सिर्फ यातायात का मार्ग नहीं, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के केंद्र भी बनेंगे। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) देश में पहली बार राष्ट्रीय राजमार्ग पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की तैयारी कर रहा है।
यह महत्वाकांक्षी पहल राजधानी दिल्ली के हिस्से में दिल्ली-सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जाएगी। इसमें तकनीकी मदद के लिए एनएचएआई भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) से हाथ करार करेगा। इसमें सफलता मिलने इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर परियोजना को विस्तार देने के साथ देश के अन्य हिस्सों में एनएचएआई इसे लागू करेगा।
भारतमाला परियोजना के तहत यह राष्ट्रीय राजमार्ग बना है। दिल्ली की सीमा में एनएच-नौ अक्षरधाम मंदिर से लोनी बार्डर तक इसका 14.5 किलोमीटर का खंड पूरी तरह तैयार है, जिसमें से 6.5 किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड है।
इस खंड पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत चार मेगावाट क्षमता का सौर संयंत्र स्थापित किया जाएगा। संयंत्र के लिए सोलर पैनल राजमार्ग के किनारे और एलिवेटेड हिस्से में साइड वाॅल पर लगाए जाएंगे। इसके लिए आर्थिक और व्यवहार्यता अध्ययन हो चुका है।
इस संयंत्र से उत्पन्न बिजली को ग्रिड के माध्यम से बेचा जाएगा, जिससे एनएचएआई को अतिरिक्त आय का स्रोत प्राप्त होगा। इससे राजमार्ग के रखरखाव और भविष्य की परियोजनाओं के वित्तपोषण में भी सहायता मिलेगी। इसके अलावा, यह पहल कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो इसे 239 किलोमीटर के दिल्ली-सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के बाकी हिस्से के साथ अन्य राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू किया जाएगा। उनका मानना है कि इससे न केवल ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि सड़क अवसंरचना के साथ पर्यावरण संरक्षण का अनोखा संगम भी स्थापित होगा।
प्रति मेगावाट चार करोड़ रुपये की लागत
सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में प्रति मेगावाट चार करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। एनएचएआई के एक अधिकारी की मानें तो चार मेगावाट संयंत्र में करीब 16 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह लागत करीब पांच से छह वर्ष में बिजली बेच कर वसूल की जा सकती है।
देश में राजमार्गों का 1.46 लाख किलोमीटर का नेटवर्क
देश में राष्ट्रीय राजमार्गों का 1.46 लाख किलोमीटर का नेटवर्क है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजमार्गों पर सौर पैनल लगाने से ऊर्जा उत्पादन की बड़ी संभावनाएं हैं। यह परियोजना प्रधानमंत्री की ग्रीन एनर्जी और नेट जीरो उत्सर्जन की नीति को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। इसके तहत ही एनएचएआई ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली-सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के दिल्ली के हिस्से को सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए चुना है। इसमें सफलता मिलने पर देश के बाकी राष्ट्रीय राजमार्गों पर इसके तहत काम किया जाएगा
-हर्ष मल्होत्रा, राज्यमंत्री, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय

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