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    यूक्रेन में फंसे भारतीयों के परिवारों का जंतर-मंतर पर प्रदर्शन, सुरक्षित वापसी की मांग

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 05:19 AM (IST)

    रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे हरियाणा समेत कई राज्यों के युवकों के परिवारों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। उन्होंने बेटों की सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई। एजेंटों ने युवकों को धोखे से युद्ध में धकेल दिया। परिजनों ने सरकार से हस्तक्षेप कर युवकों को वापस लाने की मांग की है। पिछले डेढ़ महीने से परिवारों का अपने बेटों से कोई संपर्क नहीं है, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई है।

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    एजेंटों ने युवकों को धोखे से युद्ध में धकेल दिया। सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध में जबरन फँसे हरियाणा के छह युवकों के परिवारों ने अपने बेटों की सकुशल वापसी की गुहार लगाते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर भावुक प्रदर्शन किया। इन युवकों में फतेहाबाद के अंकित जांगड़ा और विजय पूनिया, रोहतक के संदीप, हिसार के अमन और पंजाब, मुंबई, जम्मू, कैथल और राजस्थान के जींद के एक-एक युवक शामिल थे। पिछले डेढ़-दो महीने से इनका अपने परिवारों से कोई संपर्क नहीं है।

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    इस बीच, हिसार के मदनहेड़ी गाँव के 28 वर्षीय युवक सोनू और कैथल के 22 वर्षीय युवक कर्मचंद भी युद्ध में शहीद हो गए। सोनू के छोटे भाई आशीष ने बताया कि डेढ़ महीने पहले सोनू ड्रोन हमले में और कर्मचंद बमबारी में शहीद हो गए थे, लेकिन उनके शव डेढ़ महीने बाद 18 अक्टूबर को उनके गाँव पहुँचे। उनकी मौतों ने अमन के परिवार और बंकरों में फंसे अन्य भारतीय परिवारों की चिंता बढ़ा दी है, जिनके बेटे युद्ध बंकरों में कैद हैं।

    प्रदर्शनकारी परिवारों का आरोप है कि एजेंटों ने इन युवकों को शिक्षा, सुरक्षा, व्यावसायिक वीज़ा और अच्छी नौकरियों का वादा करके रूस में भेजा था। हालाँकि, उन्हें रूसी सैन्य प्रशिक्षण देने के बाद धोखे से यूक्रेन के खिलाफ जंगलों में लड़ने के लिए रूस भेज दिया गया।

    फतेहाबाद के अंकित जांगड़ा और विजय पूनिया को 20 अगस्त को एजेंटों ने कंप्यूटर ऑपरेटर और सुरक्षा गार्ड की नौकरी का वादा करके रूस भेजा था, लेकिन केवल 10-15 दिनों के प्रशिक्षण के बाद, उन्हें रूस भेज दिया गया। अंकित ने आखिरी बार 11 सितंबर को अपने भाई रघुवीर से संपर्क किया था।

    इस बीच, रोहतक के संदीप ने अपने परिवार को एक वीडियो भेजा, जिसमें अपनी जान को खतरा बताया गया था। उसने कहा कि उसे रसोइया की नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन उसे रूस लाकर बंदूक थमा दी गई। हिसार के अमन की माँ सुमन भी अपने बेटे की सुरक्षित वापसी की गुहार लगा रही हैं, जो 2024 में अंतर्राष्ट्रीय भाषाएँ सीखने के लिए अध्ययन वीज़ा पर रूस गया था। रूस और यूक्रेन में फंसे ज़्यादातर युवकों के परिजनों का कहना है कि पिछले डेढ़ महीने से वे अपने बच्चों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।

    27 परिवारों का जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन

    इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे रोहतक के सामाजिक कार्यकर्ता जय भगवान दांगी ने बताया कि हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना के 27 परिवारों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। जय भगवान, सभी परिवारों की एक ही माँग है: भारत सरकार इस मामले को और गंभीरता से ले और युद्ध क्षेत्र में फंसे उनके मासूम बेटों को जल्द से जल्द सुरक्षित घर वापस लाए।