दिल्ली और उत्तर भारत में एक साथ 200 जगह ब्लास्ट की फिराक में थे आतंकी, अब जैश आतंकी हंजुल्ला की तलाश में जुटीं एजेंसियां
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आतंकी दिल्ली और उत्तर भारत में लगभग 200 स्थानों पर एक साथ विस्फोट करने की योजना बना रहे थे। जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हंजुल्ला की तलाश जारी है, जिसे इस साजिश का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और संभावित खतरों को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रख रही हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पुलिस ने 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए ब्लास्ट से जैश-ए-मोहम्मद का लिंक खोज निकाला है। पुलिस को पता चला है कि जैश-ए-मोहम्मद के एक ऑपरेटिव ने ही आतंकियों को बम बनाने का तरीका बताया था। एक और बड़ा भंडाफोड़ यह हुआ है कि आतंकी 200 बम बनाने की तैयारी में थे, जिन्हें दिल्ली और उत्तर भारत के दूसरे हिस्सों में एक साथ ब्लास्ट करना था।
आईएसआई ने चुना था ऑपरेटिव
जांच में यह पता चला है कि सिलसिलेवार 200 बम धमाके करने की योजना उत्तरी भारत के राज्यों के लिए बनाई गई थी। इसके लिए आईएसआई ने फरीदाबाद मॉड्यूल का हिस्सा रहे आतंकियों को ट्रेनिंग देने के लिए जैश-ए-मोहम्मद के एक ऑपरेटिव को चुना था। ट्रेनर, जिसकी पहचान हंजुल्ला के रूप में हुई वह मुख्य आरोपित मौलवी ईरान अहमद के संपर्क में था। जांच में पता चला है कि उसी ने हंजुल्ला को फरीदाबाद माॅड्यूल के सदस्यों से मिलवाया था।
हंजुल्ला जैश-ए-मोहम्मद में एक बड़ा नाम
एक अधिकारी के मुताबिक, हंजुल्ला जैश-ए-मोहम्मद में एक बड़ा नाम है। असल में, जम्मू-कश्मीर में जो जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर लगे थे, उन पर कमांडर हंजुल्ला भाई का नाम लिखा था। इन्हीं पोस्टरों की वजह से जांच शुरू हुई, जिससे आखिरकार फरीदाबाद मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ और 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया गया। एक और अधिकारी के मुताबिक, माॅड्यूल 200 बम बनाने के प्रॉसेस में था। जो बम तैयार किए जा रहे थे, वे बहुत खतरनाक थे।
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हंजुल्ला ने सिखाया बम बनाना
जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेटिव हंजुल्ला ने आतंकियों को बम बनाने का तरीका बताया था, लेकिन यह साफ नहीं है कि वह असल में कहां से काम कर रहा था। वह अहमद के करीबी के संपर्क में था, जिसने बदले में उसे शकील से मिलवाया। हंजुल्ला ने ही उसे बताया था कि क्या सामान खरीदना है। वह शकील ही था, जिसने आखिरकार एक्सप्लोसिव पहुंचाए। उसने आरोपित को सफेद आइ-20 हुंडई कार भी दी, जिसका इस्तेमाल आखिरकार लाल किले के पास धमाका करने के लिए किया गया।
अमोनियम नाइट्रेट की बड़ी मात्रा जुटाई
जांचकर्ताओं का कहना है कि प्लान वैसा नहीं हुआ जैसा बनाया गया था। अधिकारी के मुताबिक, अब तक जांच से पता चला है कि फरीदाबाद मॉड्यूल के मेंबर्स ने एक साथ धमाके करने का प्लान बनाया था। इससे पता चलता है कि आरोपितों ने कितना अमोनियम नाइट्रेट खरीदा था। प्लान दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद में 200 धमाकों की एक सीरीज करने का था। अधिकारी के मुताबिक, अगर यह प्लान पूरा हो जाता, तो इसके नतीजे सोचे भी नहीं जा सकते थे।
हंजुल्ला का पता लगा रही एजेंसियां
जांचकर्ता अब हंजुल्ला का पता लगा रहे हैं। अब तक जांच में पता चला है कि फरीदाबाद में मॉड्यूल को कश्मीर का अहमद और अफगानिस्तान का एक और हैंडलर हैंडल कर रहा था। यह प्लान लंबे समय तक छिपाकर रखा गया था क्योंकि आरोपित सिक्योर मैसेजिंग एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते थे और कोड लैंग्वेज में बात करते थे। ट्रांसक्रिप्ट से पता चलता है कि आरोपितों के कई कोड नेम थे और उनमें से एक 'बिरयानी' था, जिसका मतलब एक्सप्लोसिव था। इसके अलावा आरोपित अपने प्रोफेशन की वजह से रडार से दूर रहने में कामयाब रहे।
आसानी से रडार पर नहीं आए
उनमें से अधिकतर डाॅक्टर थे और इसलिए वे आसानी से रडार पर नहीं आए। माड्यूल के मुख्य भर्तीकर्ता डाॅ. शाहीन ने जम्मू और कश्मीर के कई दौरे किए और फिर भी अपने प्रोफेशन की वजह से पकड़ में नहीं आइ। इन दौरों के दौरान, वह कई बार अहमद से मिली। फिर वह उन्हें भर्ती प्रक्रिया और अधिक प्रोफेशनल्स ढूंढने की जरूरत के बारे में बताते थे ताकि वे एक पूरा व्हाइट काॅलर माॅड्यूल बना सकें।

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