कंप्यूटर वायरस हटाने का झांसा देकर अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाला गिरोह बेनकाब, लैपटॉप-मोबाइल सहित 5 आरोपी गिरफ्तार
अमेरिकी नागरिकों को कंप्यूटर वायरस हटाने का झूठा वादा करके ठगने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने लैपटॉप, मोबाइल फोन के साथ पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह फोन के माध्यम से लोगों को वायरस का डर दिखाकर उनसे पैसे वसूलता था। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

फर्जी कॉल सेंटर से अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। एएटीएस ने कंप्यूटर में वायरस होने की झूठ जानकारी देकर, फिर समस्या को दूर के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को ठगने के लिए चलाए जा रहे एक फर्जी काल सेंटर पकड़ा है। इस मामले में पूर्वी जिला पुलिस की एंटी आटो थेफ्ट स्क्वाड (एएटीएस) ने पांच ठगों को गिरफ्तार किया है।
यह एप्लीकेशन के जरिये कंप्यूटर रिमोट पर लेते थे, फिर खुद ही उसमें वायरस या अन्य समस्या होने का मैसेज डिस्प्ले करते। इसके बाद उस समस्या को दूर करने के लिए विदेशी नागरिकों से नकद भुगतान के बजाए गिफ्ट कार्ड लेते, फिर अमेरिका में बैठे एक एजेंट के जरिये उसे कैश कराते थे।
इस मामले में एएटीएस ने बिहार के नालंदा निवासी सूरज कुमार, गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी अभिषेक शर्मा, संभल के गांव बबराला के शिव गुप्ता, करोल बाग के राहुल अग्रवाल और कुतुब विहार फेज-1 निवासी राहुल चौहान को गिरफ्तार किया है। इनके पास से छह लैपटॉप व अन्य सामान मिला है।
इस मामले में एएटीएस में तैनात एसआइ संदीप की शिकायत पर पूर्वी जिला साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। शिकायतकर्ता पुलिस अधिकारी के अनुसार बीती शुक्रवार शाम को पुलिस को सूचना मिली कि गुरु अंगद नगर के डी-ब्लाक स्थित एक भवन में फर्जी काल सेंटर चल रहा है।
सूचना पर टीम ने वहां रात करीब साढ़े आठ बजे छापा मारा, लेकिन गेट बंद मिला। शनिवार तड़के करीब तीन बजे जब गेट खुला तो भवन के दूसरे तल पर छापेमारी की गई।
मौके पर कॉल सेंटर चलता पाया गया। पुलिस ने वहां से छह लैपटाप, प्रिंटर व मोबाइल फोन बरामद किए। जांच में पता चला कि आरोपित माइक्रोसाफ्ट और अमेजन सपोर्ट के कर्मचारी बनकर अमेरिकी नागरिकों से बात करते थे और अपना नाम डेविड बताते थे।
गैर-कानूनी तकनीक का करते थे प्रयोग
पुलिस को जांच में पता चला कि आरोपित अपने अमेरिकी सहयोगी के साथ मिलकर रैकेट चलाते थे। विदेशी नागरिकों से बातचीत के लिए वाइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल (वीओआइपी) का उपयोग करते थे, जो गैर कानूनी है। ये उनसे अल्ट्रा व्यूअर जैसी एप्लीकेशन उनके कंप्यूटर में इंस्टाल कराते थे।
फिर उसके जरिये विदेशी नागरिकों के कंप्यूटर को रिमोट पर लेकर फर्जी समस्या स्क्रीन पर दिखाते थे और उसे ठीक करने के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को ठगते थे। ये लोग एक व्यक्ति से 4500 से 50 हजार रुपये तक की ठगी करते थे।
इंटरनेट पर डाल रखे थे नंबर
मामले से जुड़े अधिकारी ने बताया कि आरोपितों ने अमेरिकी सहयोगी की मदद से वहां के कुछ मोबाइल नंबर लिए हुए थे। उन नंबरों को इन्होंने इंटरनेट पर नामी कंपनियों के सपोर्ट काल सेंटर का बताकर डाल रखा था। जब लोग उस पर फोन करते थे तो सीधे इंटरनेट काल के जरिये संपर्क गुरु अंगद नगर में बने अवैध काल सेंटर में होता था।

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