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    डेल्‍टा एयरलाइंस की उड़ान में भयानक टर्बुलेंस, 25 बुरी तरह घायल; फ्लाइट में Turbulence क्यों बढ़ रहे हैं?

    डेल्टा एयरलाइंस की साल्ट लेक सिटी से एम्स्टर्डम जा रही फ्लाइट DL 56 भयानक टर्बुलेंस में फंसने के बाद मिनियापोलिस में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी जिसमें 25 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए। आखिर टर्बुलेंस क्‍या है टर्बुलेंस क्यों होते हैं टर्बुलेंस के मामले क्‍यों बढ़ रहे हैं आखिर इसकी वजह क्‍या है? आइए सभी सवालों के जवाब यहां बताते हैं...

    By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Fri, 01 Aug 2025 04:38 PM (IST)
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    डेल्टा एयरलाइंस हादसे के बाद जानें टर्बुलेंस के कारण और बचाव। जागरण ग्राफिक्‍स

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। डेल्टा एयरलाइंस की फ्लाइट डीएल 56  भयानक टर्बुलेंस में फंस गई, जिसके बाद फ्लाइट की मिनियापोलिस में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। फ्लाइट अमेरिकी शहर साल्ट लेक सिटी से नीदरलैंड के एम्स्टर्डम जा रही थी।

    फ्लाइट में 13 क्रू मेंबर और 265 यात्री सवार थे, जिसमें से कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। लैंडिंग के बाद 25 घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। एयरपोर्ट प्रवक्ता जेफ लिया ने इसकी जानकारी दी।

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    हवाई यात्रा के दौरान टर्बुलेंस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले चार दशक में टर्बुलेंस के मामलों में 55 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अब सवाल ये हैं कि आखिर टर्बुलेंस क्या है, टर्बुलेंस क्यों होते हैं, टर्बुलेंस के मामले क्यों बढ़ रहे हैं, आखिर इसकी वजह क्या है? आइए सभी सवालों के जवाब यहां बताते हैं...

    टर्बुलेंस क्या है?

    टर्बुलेंस (Turbulence)  यानी विमान हवा में अचानक हिलने-डुलने लगता है, झटके लगने लगते हैं। यही फ्लाइट में हवा में होने वाली इसी हलचल अथवा अस्थिरता को ही टर्बुलेंस कहते हैं। हवाई यात्रा के दौरान टर्बुलेंस आम है, लेकिन कई बार अनुभव बेहद डरावना हो सकता है। जैसा- डेल्टा एयरलाइंस के यात्रियों के साथ हुआ।

    टर्बुलेंस क्‍यों होता है?

    टर्बुलेंस तब होता है, जब वायुमंडल में असमान तापमान, दबाव या हवा की दिशा में बदलाव होता है। यानी कि जब फ्लाइट स्थिर हवा की बजाय तेज, विपरीत या घूमती हुई हवाओं से गुजरती है। ऐसे में फ्लाइट अस्थिर हो जाता है।

    टर्बुलेंस कितने प्रकार का होता है?

    टर्बुलेंस चार प्रकार के होते हैं...

    •  क्लियर - साफ आसमान में होता है। पायलट को भी इसका अंदाजा पहले से नहीं लग पाता है।
    • मैकेनिकल - हवा किसी पहाड़ या इमारत से टकराकर बिखरती है, तब होता है।
    • थर्मल - जमीन की गर्मी से पैदा होने वाली गर्म हवाओं के कारण होता है, खासकर गर्मी की दोपहर में या फिर रेगिस्‍तानी इलाको में। 
    • वेक - अन्य विमानों की पीछे छूटी हवाओं की चपेट में आने पर होता है।

    टर्बुलेंस के मामलों में क्यों हो रही बढ़ोतरी?

    • जेट स्ट्रीम तीव्र होना: ऊपरी ट्रोपोस्फीयर (क्षोभ मंडल) के गर्म होने से तापमान में डिफरेंस और बढ़ता जा रहा है, जिससे ऊंचाई पर बहने वाली हवाएं तीव्र होती जार ही हैं। ऐसे में साफ आसमान में भी क्लियर-एयर टर्बुलेंस होता है।
    • बढ़ती वायुमंडलीय अस्थिरता: ग्रीनहाउस यह गैसों के बढ़ने से ऊपरी वायुमंडल सतह की तुलना में बहुत अधिक गर्म हो रहा है, जिससे अधिक ऊर्ध्वाधर विंड शीयर और टर्बुलेंस पैदा करने वाली संरचनाएं बढ़ रही हैं। 
    • उड़ानों में रिकॉर्ड बढ़त: साल 2005 में दुनिया भर में उड़ानों की संख्या 2.2 करोड़ के करीब थी, जोकि बढ़कर अब चार करोड़ से ज्यादा हो चुकी हैं। विमानों की संख्या बढ़ने से भी टर्बुलेंस के मामले बढ़ रहे हैं।
    • टर्बुलेंस रिकॉर्डिंग में प्रगति: अगर साल 2010 से अब तक का डेटा देखें तो टर्बुलेंस रिकॉर्डिंग में प्रगति हुई है। अब सेंसर मामूली झटकों को भी रिकॉर्ड करते हैं। 2023 में 3.8 करोड़ घटना रिकॉर्ड हुई। कई घटनाएं ऐसी थीं, जो पहले दर्ज नहीं होती थीं।

    किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा टर्बुलेंस होता हैं?

    टर्बुलेंस के मामले सबसे ज्यादा अमेरिका, उत्तर अटलांटिक और एशिया के कुछ हिस्सों में  होते हैं। पर्वतीय क्षेत्र या मानसून सीजन में भी केस बढ़ते हैं। अगर जलवायु परिवर्तन की वर्तमान दर लगातार जारी रही, तो आने वाले दशकों में टर्बुलेंस की तीव्रता और केस दोनों तीन गुना तक बढ़ सकते हैं।

    टर्बुलेंस साफ रहने के लिए क्या करें?

    • सीट बेल्ट बांधकर रखें ताकि अचानक लगने वाले झटके से सुरक्षित रहें।
    • ओवरहेड बिन बंद रखें, वरना बैग गिरने से किसी को चोट लग सकती है
    • टर्बुलेंस के दौरान खाना-पानी अवॉइड करें, क्‍योंकि छलक सकता है।
    • बाथरूम में जाने से बचें , क्‍योंकि टर्बुलेंस के दौरान चोट लगने का खतरा रहता है।
    • केबिन क्रू की सभी बातों को ध्यान से सुने और मानें, वे अनुभव और दिशा निर्देश देते हैं।

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