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    कभी सोचा है प्लास्टिक स्टूल या कुर्सियों में क्यों होते हैं छेद? वजह जानकर आप भी कहेंगे 'वाह'

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 10:15 AM (IST)

    क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि प्लास्टिक के स्टूल या कुर्सियों के बीच में एक गोल छेद होता है? हम में से ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते या अगर देते भी हैं तो सोचते हैं कि यह बस एक डिजाइन का हिस्सा है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कुर्सियों में बने छेद के पीछे बहुत ही दिलचस्प वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं।

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    प्लास्टिक स्टूल या कुर्सियों में छेद सिर्फ डिजाइन नहीं, इसके पीछे है हैरान करने वाला विज्ञान (Image Source: AI-Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कुर्सी हमारे रोजमर्रा के जीवन का अहम हिस्सा है। चाहे घर हो, दफ्तर, स्कूल, दुकान या कोई कार्यक्रम, हर जगह बैठने के लिए सबसे आसान विकल्प प्लास्टिक की कुर्सी होती है। हल्की, सस्ती, टिकाऊ और आसानी से इधर-उधर ले जाने लायक होने के कारण यह दुनिया की सबसे लोकप्रिय फर्नीचर वस्तुओं में गिनी जाती है।

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    हालांकि, क्या आपने कभी गौर किया है कि ज्यादातर प्लास्टिक कुर्सियों की पीठ पर कुछ छेद बने होते हैं (Why Plastic Chairs Have Holes)? अक्सर लोग इसे केवल डिजाइन का हिस्सा समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि सच यह है कि यह छेद सिर्फ शो के लिए नहीं, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक और व्यावहारिक कारण छिपे हैं। आइए जानते हैं, आखिर क्यों रखे जाते हैं यह छेद, जिससे एक साधारण-सी कुर्सी और भी यूजफुल बन जाती है।

    कुर्सियों को आसानी से अलग करने का राज

    प्लास्टिक कुर्सियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्हें एक-दूसरे के ऊपर रखकर स्टोर किया जा सकता है, लेकिन जब कुर्सियां एक के ऊपर एक रखी जाती हैं, तो उनके बीच की हवा फंस जाती है। इस वजह से वे एक-दूसरे से चिपक जाती हैं और उन्हें अलग करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

    यहीं पर यह छोटा-सा छेद मददगार साबित होता है। यह छेद हवा को बाहर निकलने का रास्ता देता है, जिससे कुर्सियां एक-दूसरे से आसानी से अलग हो जाती हैं। इसीलिए बड़े आयोजन, जैसे शादी, पार्टी या मीटिंग में जहां सैकड़ों कुर्सियां इस्तेमाल होती हैं, वहां यह छेद बहुत उपयोगी साबित होता है।

    प्रोडक्शन को आसान बनाना

    प्लास्टिक कुर्सियां बनाने के लिए पिघले हुए प्लास्टिक को बड़े-बड़े सांचों में डाला जाता है। जब प्लास्टिक ठंडा होकर आकार लेता है, तो उसे सांचे से बाहर निकालना पड़ता है। अगर कुर्सी में यह छेद न हो तो उसे मोल्ड से अलग करने में कठिनाई आ सकती है और कुर्सी टूट भी सकती है।

    छेद की वजह से मोल्ड से कुर्सी निकालना आसान हो जाता है और प्रोडक्शन प्रोसेस तेज और सुरक्षित रहती है। यानी यह छेद न सिर्फ डिजाइन का हिस्सा है, बल्कि मेकिंग का एक जरूरी फैक्टर भी है।

    वजन और लागत दोनों में बचत

    एक साधारण प्लास्टिक कुर्सी बनाने में जितना ज्यादा प्लास्टिक लगेगा, उसका वजन उतना बढ़ेगा और लागत भी। पीठ में बना छोटा-सा छेद कुल प्लास्टिक की खपत को थोड़ा कम कर देता है। देखने में यह बचत मामूली लग सकती है, लेकिन जब लाखों कुर्सियां एक साथ बनती हैं, तो यही छोटा अंतर उत्पादन लागत को काफी हद तक घटा देता है।

    साथ ही, वजन हल्का होने से कुर्सियां उठाने-ले जाने में भी आसान रहती हैं। यही वजह है कि प्लास्टिक कुर्सी हर जगह पर आराम से इस्तेमाल की जाती है।

    बैठने में आराम और हवा का फ्लो

    लंबे समय तक प्लास्टिक कुर्सी पर बैठने पर अक्सर पीठ में पसीना आने लगता है। इसका कारण है हवा का न पहुंच पाना। कुर्सी की पीठ पर बने इस छेद से हवा का फ्लो बना रहता है, जिससे बैठने वाला ज्यादा आराम महसूस करता है।

    यानी यह छेद सिर्फ निर्माण और स्टोरेज के लिए ही नहीं, बल्कि उपयोगकर्ता की सुविधा के लिए भी बेहद जरूरी है। यही वजह है कि गर्म और उमस भरे मौसम में भी प्लास्टिक कुर्सियों पर बैठना अपेक्षाकृत आरामदायक लगता है।

    पानी निकलने का आसान रास्ता

    मान लीजिए, कुर्सी पर पानी गिर गया या बारिश में यह बाहर रखी रह गई। अगर इसमें छेद न हो, तो पानी कुर्सी पर जमा हो जाएगा और बैठने में असुविधा पैदा करेगा, लेकिन छेद की वजह से पानी आसानी से बाहर निकल जाता है और कुर्सी जल्दी सूख जाती है।

    इस छोटे से फीचर की वजह से कुर्सी का रखरखाव भी आसान हो जाता है और यह ज्यादा टिकाऊ साबित होती है।

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