जीएसटी की दरें कैसे बढ़ाई-घटाई जाती हैं, GST में 12 और 28% के स्लैब होंगे खत्म; विपक्ष ने कौन-सा फॉर्मूला पूछा?
GST Reform प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वतंत्रता दिवस पर की गई घोषणा के बाद केंद्र सरकार को जीएसटी में बड़े बदलाव करने की मंजूरी मिली है। राज्यों के मंत्रियों की समिति ने 12% और 28% स्लैब को हटाने पर सहमति जताई है। जीएसटी की दरों में बदलाव की प्रक्रिया क्या है 12 और 28% के स्लैब हटाने पर विपक्ष ने क्या फॉर्मूला पूछा है?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से जीएसटी में बड़े बदलाव कर राहत देने की घोषणा की थी। अब केंद्र सरकार को जीएसटी में 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब को हटाने की राज्यों के मंत्रियों की समिति (जीओएम) से भी मंजूरी मिल गई है। हालांकि, विपक्षी राज्यों ने जीएसटी में होने वाले इस सुधार के बाद राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए फॉर्मूला पूछा है।
वस्तु एवं सेवा कर (GST) में बदलाव के लिए राज्यों के मंत्रियों की समिति (जीओएम) बनाई गई। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इस समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं और समिति में 6 सदस्य हैं। इनमें से तीन सदस्य भाजपा शासित राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान हैं, जबकि तीन विपक्ष शासित राज्यों- केरल (लेफ्ट), पश्चिम बंगाल (टीएमसी) और कर्नाटक (कांग्रेस) से हैं।
जीएसटी में स्लैब 12% और 28% के स्लैब हटाने की मंजूरी देने के बाद अब समिति की सिफारिशें अब जीएसटी काउंसिल के पास जाएंगी, जहां स्लैब हटाने और नई स्लैब जोड़ने पर अंतिम फैसला होगा। जीएसटी क्या है, जीएसटी में कितने स्लैब होते हैं, जीएसटी की दरें कैसे घटाई-बढ़ाई जाती हैं?
सवाल: जीएसटी क्या है?
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax - GST) यानी हम जो समान खरीद है या फिर सेवा लेते हैं, उस पर लगने वाला टैक्स है। यह पैसा सीधे सरकार के खजाने में जाता है। 1 जुलाई 2025 से देश में वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले अलग-अलग करों जैसे- वैट, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स और एंट्री टैक्स को खत्म कर जीएसटी लागू किया गया।
केंद्र सरकार ने जीएसटी को देश में सबसे बड़ा टैक्स सुधार करार देते हुए इसे 'एक देश एक कर' और इसे सबसे सरल टैक्स बताया था।
सवाल: जीएसटी में कितने स्लैब हैं?
देश में अभी जीएसटी के चार स्लैब हैं...
- 5% : दवाइयां, कुछ खाने-पीने की चीजें, कोयला, रेलवे इकोनॉमी क्लास यात्रा और रासायनिक उर्वरक जैसी वस्तुएं आती हैं।
- 12% : फलों का जूस, आयुर्वेदिक दवाएं, प्रोसेस्ड फूड, मोबाइल फोन कंप्यूटर, सिलाई मशीन और सस्ते होटल जैसी चीजें व सेवाएं आती हैं।
- 18% : गैर एसी रेस्तरां, इलेक्ट्रॉनिक्स, सस्ते कपड़े, जूते, आईटी सेवाएं, वित्तीय सेवाएं व बीमा, दूरसंचार सेवाएं समेत ज्यादातर वस्तुएं और सेवाएं।
- 28% : लग्जरी सामान, कार, एयर कंडीशनर, फ्रिज, महंगे होटल, तंबाकू जैसे वस्तुएं व सेवाएं।
इसके अलावा, कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर विशेष टैक्स रेट भी लगाया गया है। सोने और कीमती पत्थरों के लिए 3%, छोटे प्रोडक्ट के लिए 1% और कुछ रेस्तरां के लिए 5% तक की विशेष जीएसटी दर लागू है। वहीं कुछ चीजें जैसे- पेट्रोल-डीजल, शराब और बिजली जीएसटी से बाहर भी हैं।
जीएसटी की दरें कैसे बढ़ाई-घटाई जाती हैं?
- जीएसटी काउंसिल की बैठक में नए टैक्स या टैक्स दरों में बदलाव का प्रस्ताव रखा जाता है।
- प्रस्ताव के समर्थन या विरोध में 50% से ज्यादा वोट होते हैं, उसे ही काउंसिल मंजूरी देती हैं।
- राज्यों के पास भी एक-एक वोट होता है। राज्य की ओर से मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री या कोई अन्य सदस्य हिस्सा ले सकता है।
- काउंसिल जब प्रस्ताव को मंजूरी देती हैं, उसके बाद जीएसटी की दरें बढ़ाई-घटाई जाती हैं।
बता दें कि राज्यों के मंत्रियों की समिति (जीओएम) में कुछ राज्यों ने सुझाव दिया है कि जीएसटी एक्ट की धारा 1 में संशोधन कर महंगी कारों जैसी अल्ट्रा-लग्जरी वस्तुओं पर 40% और इससे अतिरिक्त भी टैक्स लगाया जाए।
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