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    1911 में पहली बार किसी देश पर हुई थी हवाई बमबारी, बदल गई थी युद्ध की तस्वीर

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 11:38 AM (IST)

    एक नवंबर 1911 को कुछ ऐसा हुआ, जिसने युद्ध के चेहरे को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। अभी तक युद्ध जमीन और समुद्र पर लड़े जा रहे थे। लेकिन इस दिन पहली बार हवा में युद्ध लड़ा गया। इस दिन इटली ने लीबिया पर हवाई विमान से बम गिराया था, जिसने युद्ध की नई परिभाषा लिख दी। 

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    कुछ यूं हुई थी हवाई युद्ध की शुरुआत (Picture Courtesy: Instagram/Facebook)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। एक नवंबर 1911 का दिन इतिहास में एक ऐसी घटना के रूप में दर्ज है जिसने युद्ध की दिशा और स्वरूप दोनों को हमेशा के लिए बदल दिया। इसी दिन इटली और ऑटोमन साम्राज्य के बीच चल रहे युद्ध के दौरान पहली बार किसी देश पर हवाई जहाज से बम गिराया गया था। 

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    यह घटना न केवल तकनीकी दृष्टि से अहम थी, बल्कि इसने आधुनिक युद्ध के एक नए अध्याय की शुरुआत भी की। इस घटना ने युद्ध के स्वरूप को बदलकर रख दिया और इसके बाद हुए कई युद्धों को प्रभावित किया। आइए जानें इस बारे में। 

    Italo Turkish War (2)

    (Picture Courtesy: Facebook)

    लीबिया में हुई थी यह घटना

    यह घटना उत्तरी अफ्रीका के लीबिया में घटी, जहां इटली की वायुसेना के लेफ्टिनेंट जूलियो गावोत्ती (Giulio Gavotti) एक मिशन पर भेजे गए थे। शुरुआत में उन्हें केवल निगरानी उड़ानें भरने का आदेश दिया गया था, ताकि दुश्मन की गतिविधियों का जायजा लिया जा सके। लेकिन जल्द ही उन्हें एक नया आदेश मिला, जो पहले कभी नहीं हुआ था। वह आदेश था- विमान से बम गिराने की कोशिश करने का। उस दौर में यह विचार ही बेहद नया था, क्योंकि किसी ने पहले कभी ऐसा नहीं किया था।

    बिना किसी प्रशिक्षण के फेंका था बम

    गावोत्ती ने अपने पिता को लिखे पत्र में इस ऐतिहासिक पल का वर्णन किया था। उन्होंने लिखा, “आज हमने विमान से बम फेंकने का निश्चय किया। न हमें कोई प्रशिक्षण मिला था, न कोई निर्देश। लेकिन हमने सावधानी से चार छोटे बम विमान में रखे और उड़ान भरी।” उस समय गावोत्ती जिस विमान में सवार थे, वह बेहद साधारण था।  न कोई सुरक्षा, न कोई बम गिराने की खास व्यवस्था। फिर भी उन्होंने हिम्मत दिखाई और त्रिपोली के पास स्थित ऐन जारा नाम के छोटे नखलिस्तान पर निशाना साधा।

    उन्होंने आगे लिखा कि उड़ान के दौरान उन्होंने एक हाथ से विमान का नियंत्रण संभाला और दूसरे हाथ से बम नीचे फेंका। कुछ ही क्षणों बाद जमीन पर एक छोटा-सा धुएं का बादल उठा। हालांकि, इस हमले में किसी की मौत की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इस कदम का प्रतीकात्मक रूप से बेहद महत्वपूर्ण था। यह दुनिया का पहला हवाई बम हमला था।

    Italo Turkish War (1)

    (Picture Courtesy: Instagram)

    बदल गया भविष्य के युद्धों का चेहरा

    गावोत्ती का यह प्रयोग भले ही तत्काल प्रभाव में सीमित था, लेकिन उसने भविष्य के युद्धों का चेहरा बदल दिया। यही वह क्षण था जब इंसानों ने पहली बार महसूस किया कि अब युद्ध केवल धरती या समुद्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अब आसमान भी उसका मैदान बन चुका है।

    अगले कुछ दशकों में यही तकनीक विकसित होती गई और भयावह रूप लेती गई। स्पेन के गुएर्निका, जर्मनी के ड्रेजडन, और जापान के हिरोशिमा-नागासाकी जैसे शहर हवाई हमलों की तबाही के प्रतीक बन गए। वह छोटा-सा प्रयोग, जो लीबिया के रेगिस्तान में शुरू हुआ था, धीरे-धीरे आधुनिक युद्धों की सबसे शक्तिशाली रणनीति में बदल गया।

    आज जब हम सटीक निशाने वाले ड्रोन और हवाई मिसाइलों की बात करते हैं, तो कहीं न कहीं उसकी जड़ें उसी 1911 की घटना से जुड़ी हुई हैं। जूलियो गावोत्ती का वह प्रयोग एक नई तकनीकी क्रांति की शुरुआत था, जिसने युद्ध को मानवीय सीमाओं से परे जाकर, मशीनों और आकाश के युग में प्रवेश कराया।