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    क्यों चिड़िया की 'चोंच' जैसा होता है Bullet Train के आगे का हिस्सा? पढ़ें इस बनावट के पीछे का साइंस

    क्या आपने कभी सोचा है कि Bullet Train का आगे का हिस्सा इतना लंबा और नुकीला क्यों होता है बिल्कुल किसी चिड़िया की चोंच की तरह? इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प वैज्ञानिक कारण छिपा है। जी हां यह सिर्फ डिजाइन का मामला नहीं बल्कि यह बनावट ट्रेन को तेजी से और सुरक्षित रूप से चलाने में मदद करती है।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Wed, 06 Aug 2025 03:50 PM (IST)
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    बुलेट ट्रेन की नाक पक्षियों की चोंच जैसी क्यों होती है? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में भले ही बुलेट ट्रेन की शुरुआत अभी न हुई हो, लेकिन इसकी रफ्तार के साथ-साथ इसका अनोखा डिजाइन हर किसी का ध्यान खींचता है। खासकर इसकी आगे की लंबी और नुकीली 'नाक', जो देखने में किसी पक्षी की चोंच जैसी लगती है।

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    हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन का यह हिस्सा ऐसा क्यों बनाया गया है (Science Behind Bullet Train Shape)? क्या यह सिर्फ दिखावे के लिए है या इसके पीछे कोई गहरी तकनीकी सोच है? असल में, इस डिजाइन के पीछे छिपी है एक शानदार कहानी।

    तेज रफ्तार से आती थी तेज आवाज

    1990 के दशक में जापान में जब बुलेट ट्रेन की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ने लगी, तो एक अनचाही समस्या सामने आई। जब ये ट्रेनें सुरंगों में प्रवेश करती थीं, तो उनके सामने की हवा इतनी तेजी से दबती थी कि सुरंग के दूसरे छोर पर तेज धमाके जैसी आवाज सुनाई देती थी। यह आवाज इतनी जोरदार होती थी कि आसपास के लोग चौंक जाते थे और कई बार इसे विस्फोट तक समझ बैठते थे।

    यह कोई खराबी नहीं थी, बल्कि हवा के दबाव का नतीजा था। तेज रफ्तार से चलती ट्रेन जब एक बंद जगह में घुसती है, तो सामने की हवा अचानक सिमटकर एक तेज धक्का देती है, जिससे तेज धमाके जैसी ध्वनि निकलती है।

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    प्रकृति से निकला समाधान

    इस समस्या का हल ढूंढने का जिम्मा मिला एइजी नाकात्सु नामक एक जापानी इंजीनियर को, लेकिन नाकात्सु सिर्फ इंजीनियर ही नहीं थे, वो एक शौकीन पक्षी-विज्ञानी (बर्ड वॉचर) भी थे।

    एक दिन उन्होंने एक किंगफिशर पक्षी को पानी में छलांग लगाते देखा। वो यह देखकर चकित रह गए कि इतनी तेजी से नीचे गिरने के बावजूद, वह पक्षी पानी की सतह पर बिना छींटे उड़ाए अंदर चला गया। बिना कोई हलचल मचाए सीधे अपने शिकार तक पहुंच गया।

    नाकात्सु को समझ में आ गया कि किंगफिशर की चोंच इस तरह डिजाइन हुई है कि वह हवा और पानी दोनों का प्रतिरोध बहुत कम करती है। यहीं से उन्हें बुलेट ट्रेन की नाक के नए डिजाइन का विचार आया।

    जब ट्रेन बनी पक्षी जैसी

    नाकात्सु और उनकी टीम ने बुलेट ट्रेन की आगे की बनावट को किंगफिशर की चोंच की तरह डिजाइन किया- लंबी, पतली और नुकीली।

    नतीजे चौंकाने वाले थे:

    • सुरंग में प्रवेश करते समय अब कोई धमाका नहीं होता था।
    • ट्रेन की स्पीड और स्थिरता दोनों बढ़ गई।
    • हवा से होने वाला प्रतिरोध कम हुआ, जिससे ऊर्जा की बचत होने लगी।
    • बाहर और अंदर दोनों तरफ का शोर भी घट गया।
    • यह बदलाव इतना कारगर साबित हुआ कि बाद में दुनियाभर की हाई-स्पीड ट्रेनों ने इस डिजाइन को अपनाना शुरू कर दिया।

    सिर्फ स्पीड ही नहीं, सुरक्षा भी बढ़ी

    इस नुकीली नाक का एक और फायदा है कि यह सुरक्षा बढ़ाती है। अगर कभी ट्रेन को कोई टक्कर लगे, तो यह हिस्सा झटका सोख लेता है- ठीक वैसे ही जैसे गाड़ियों में क्रम्पल जोन होते हैं।

    इसके अलावा, यह डिजाइन तेज हवा के दबाव को भी संभाल सकता है, जिससे ट्रेन स्थिर बनी रहती है- चाहे बाहर तूफान हो या कोई प्राकृतिक अवरोध।

    भारत में भी दिखने लगा है असर

    हाल ही में शुरू हुई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में भी आप देखेंगे कि इनकी आगे की बनावट बुलेट ट्रेन जैसी ही है- थोड़ी पतली, थोड़ी झुकी हुई और काफी मॉडर्न। यह न केवल देखने में अट्रैक्टिव है, बल्कि कम ऊर्जा में तेज रफ्तार पाने में मदद भी करती है।

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