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    कभी सोचा है ट्रैफिक लाइट की बत्तियां लाल, पीले और हरे रंग की ही क्यों होती हैं?

    आपने सड़क पर ट्रैफिक लाइट तो देखा ही होगा। लेकिन क्या इसे देखकर आपके मन में यह सवाल आया है कि इसकी बत्तियां लाल पीले और हरे रंग (Traffic Light Colors) की ही क्यों होती हैं? इसके लिए किसी दूसरे रंग का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता? आइए जानते हैं क्यों ट्रैफिक लाइट में सिर्फ इन्हीं तीन रंगों का इस्तेमाल होता है।

    By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Tue, 05 Aug 2025 02:31 PM (IST)
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    ट्रैफिक लाइट में क्यों होता है लाल, पीले और हरे रंग का इस्तेमाल? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सड़क पर आते-जाते आपने ट्रैफिक लाइट तो जरूर देखी होगी। सड़क पर सुव्यवस्था बनाए रखने और लोगों की सुरक्षा में इसका अहम योगदान है। ट्रैफिक लाइट में लगी तीन रंग (Traffic Light Colours) की बत्तियां- लाल, पीली और हरी, अलग-अलग संकेत देते हैं, जो ट्रैफिक नियमों के बारे में बताते हैं।

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    लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रैफिक लाइट के लिए सिर्फ ये तीन ही रंग क्यों चुने गए? दूसरे रंग क्यों नहीं? आपको बता दें इसके पीछे साइंस और मनोविज्ञान और इतिहास की दिलचस्प कहानी है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

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    रंगों का विज्ञान

    मानव आंख अलग-अलग रंगों को अलग-अलग तरह से समझती है। लाल, पीला और हरा रंग ऐसे हैं जिन्हें दूर से आसानी से पहचाना जा सकता है-

    • लाल रंग की वेव लेंथ सबसे लंबी होती है, जिससे यह दूर से भी साफ दिखाई देता है। यही कारण है कि इसे "रुकने" के संकेत के लिए चुना गया। इसके कारण ही इस रंग का इस्तेमाल खतरे के निशान के रूप में भी किया जाता है, ताकि लोग दूर से ही सावधान हो जाएं।
    • हरा रंग भी लंबी वेव लेंथ वाले रंगों में से एक है, जिसे देखना आसान होता है। साथ ही, हरे रंग के साथ मनोवैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है। प्रकृति का रंग होने की वजह से हरे रंग को देखकर सुरक्षा का एहसास होता है। इसलिए आगे बढ़ने का संकेत देने के लिए हरे रंग का इस्तेमाल किया जाता है।
    • पीला रंग भी आसानी से पहचाना जा सकता है और दूर से दिखाई दे देता है। दरअसल, इसका इस्तेमाल चेतावनी के रूप में किया जाता है कि अब बत्ती लाल होने वाली है गाड़ियां धीरे कर लें। वरना अचानक से ब्रेक लगाने से दुर्घटना होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसी तरह हरी बत्ती होने से पहले भी पीली बत्ती के जरिए संकेत दिया जाता है कि अब चलने के लिए तैयार हो जाइए।

    दूसरे रंगों का क्यों नहीं होता इस्तेमाल?

    लाल, पीले और हरे रंगों की तुलना में बाकी रंगों की वेव लेंथ काफी कम होती है। इसलिए दूसरे रंगों को दूर से देखने में परेशानी हो सकती है। इसलिए ट्रैफिक लाइट में सिर्फ लाल, पीले और हरे रंग का इस्तेमाल ही होता है।

    ट्रैफिक लाइट का इतिहास क्या है?

    ट्रैफिक लाइट्स का इतिहास 19वीं सदी से जुड़ा है। 1868 में लंदन में गैस से चलने वाली पहली ट्रैफिक लाइट लगाई गई, जो रेलवे सिग्नल से प्रेरित थी। तब सिर्फ लाल और हरे रंग का इस्तेमाल होता था, जिसे मैनुअली ऑपरेट करना पड़ता था। पीला रंग बाद में ट्रैफिक लाइट का हिस्सा बना।

    आगे चलकर पूरी दुनिया में लाल, पीले और हरे रंग को ट्रैफिक लाइट का मानक बना दिया गया और हर जगह इन्हीं तीन रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।

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