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    क्या आप जानते हैं कैसे बनाई गई थी पहली वैक्सीन? चेचक के इलाज से जुड़ी है कहानी

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 09:34 AM (IST)

    हर साल 10 नवंबर को World Immunization Day मनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर सबसे पहली बार वैक्सीन कैसे बनाई गई थी और यह विचार सबसे पहले किसे आया था? दरअसल, इसके पीछे एक बेहद दिलचस्प प्रयोग की कहानी छिपी है, जिसने मेडिकल साइंस की दुनिया में क्रांति ला दी।

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    कैसे आया था वैक्सीन बनाने का ख्याल? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 10 नवंबर को World Immunization Day मनाया जाता है। वैक्सीन जानलेवा बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा की ढाल की तरह काम करती हैं। आज बच्चे के जन्म के समय से लेकर वयस्क होने तक कई बीमारियों की वैक्सीन दी जाती हैं, ताकि व्यक्ति इन खतरनाक बीमारियों की चपेट में न आ जाए। 

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    लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहली वैक्सीन कैसे बनाई गई थी और इसकी खोज (First Vaccine Discovery) करने का श्रेय किसको जाता है? दरअसल, इसके पीछे एक व्यक्ति की जिज्ञासा और साहस की कहानी छिपी है, जिसने दुनिया को पहली वैक्सीन दी। आइए जानें इस बारे में। 

    एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) को “वैक्सीन के जनक” कहा जाता है। 18वीं सदी के अंत में जेनर ने एक ऐसी खोज की जिसने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की दिशा ही बदल दी। उनकी बनाई पहली वैक्सीन थी चेचक यानी स्मॉल पॉक्स के खिलाफ, जिसने न केवल लाखों लोगों की जान बचाई, बल्कि मानव इतिहास की सबसे घातक बीमारियों में से एक को पूरी तरह खत्म कर दिया।

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    (AI Generated Image)

    चेचक- एक घातक बीमारी

    चेचक एक बेहद संक्रामक और जानलेवा बीमारी थी, जो सैकड़ों सालों तक मानव सभ्यता के लिए अभिशाप बनी रही। यह बीमारी एक वायरस से फैलती है और संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर फफोलेदार चकत्ते निकल आते हैं। इस बीमारी की मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी और जो लोग बच भी जाते थे, उनके शरीर पर स्थायी दाग रह जाते थे। 18वीं सदी तक यूरोप और एशिया में चेचक की वजह से हर साल लाखों लोगों की मृत्यु होती थी।

    एक बीमारी से मिली दूसरी बीमारी की सुरक्षा

    एडवर्ड जेनर इंग्लैंड के एक चिकित्सक थे। उन्होंने देखा कि जो महिलाएं गायों का दूध निकालती थीं उन्हें एक हल्की बीमारी होती थी जिसे Cowpox कहा जाता था। इस बीमारी से उनके हाथों पर कुछ फफोले निकलते थे, लेकिन वे चेचक से कभी नहीं संक्रमित होती थीं। जेनर ने अनुमान लगाया कि Cowpox की वजह से शरीर में ऐसी इम्युनिटी बन जाती है जो चेचक के वायरस से भी बचाव करती है।

    प्रयोग जिसने इतिहास बदल दिया

    1796 में, जेनर ने अपना ऐतिहासिक प्रयोग किया। उन्होंने एक आठ वर्षीय बच्चे जेम्स फिप्स को Cowpox से संक्रमित एक महिला, सारा नेल्म्स, के फफोलों से निकाला गया पस इंजेक्ट किया। कुछ दिनों बाद बच्चे को हल्का बुखार हुआ, लेकिन वह जल्द ठीक हो गया। इसके बाद, जेनर ने बच्चे को चेचक के वायरस के संपर्क में लाया और हैरान करने वाली बात थी कि बच्चा बीमार नहीं पड़ा। इससे यह साबित हो गया कि Cowpox का संक्रमण चेचक से सुरक्षा देता है।

    जेनर ने इस प्रक्रिया को “Vaccination” नाम दिया, जो लैटिन शब्द ‘Vacca’ जिसका मतलब है ‘गाय’ से लिया गया है। यही प्रयोग आधुनिक टीकाकरण की नींव बना।

    टीकाकारण अभियान की शुरुआत

    जेनर की खोज को शुरू में कई वैज्ञानिकों ने शक की नजर से देखा, लेकिन धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में स्वीकार कर ली गई। 19वीं सदी में अलग-अलग देशों में चेचक के खिलाफ बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू हुए। आखिरकार, 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठनने घोषणा की कि Smallpox को दुनिया से पूरी तरह मिटा दिया गया है।

    एडवर्ड जेनर की बनाई पहली वैक्सीन ने न केवल चेचक जैसी घातक बीमारी को समाप्त किया, बल्कि आगे चलकर पोलियो, खसरा, टिटनेस और COVID-19 जैसी अनेक बीमारियों के खिलाफ वैक्सीन विकास के लिए रास्ता भी बनाया।