Bihar Election 2025: अब क्या करेंगे NDA और महागठबंधन? AK के बाद PK ने भी बढ़ाया सिरदर्द
बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। एके और पीके की संभावित भूमिका ने एनडीए और महागठबंधन दोनों की चिंता बढ़ा दी है। दोनों गठबंधन अपनी रणनीति को मजबूत करने में लगे हैं, ताकि चुनावी मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। देखना होगा कि इन रणनीतिकारों का प्रभाव चुनाव पर क्या पड़ता है।

बिहार विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर की भूमिका
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए गुरुवार का दिन राज्य की राजनीति के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने वाला साबित हो सकता है। यह दिन नवंबर के महीने में प्रदेश की सियासत में सियासी नई इबारत गढ़ती हुई दिखाई दे सकती है। हालांकि, क्या होगा यह अभी भी भविष्य के गर्भ में है।
सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा के पीछे की वजह दो पार्टियां हैं। इनमें से एक ऐसी पार्टी जनसुराज है, जिसका गठन पिछले ही साल हुआ है और एक पार्टी AAP, जो कि एक राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बना चुकी है और अपनी राष्ट्रीय राजनीति के फलक में छाने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटी हुई है।
AAP और जनसुराज ने जारी की पहली लिस्ट
दोनों पार्टियों ने 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। जनसुराज ने गुरुवार को 51 सीटों पर उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। वहीं, AAP ने भी 8 अक्टूबर को 11 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुनावी जंग की हुंकार भर चुकी है।
आम आदमी पार्टी बिहार में अपने “दिल्ली-पंजाब मॉडल” यानी शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन के एजेंडे के साथ उतर रही है। आप का फोकस बेरोजगारी, पलायन और बुनियादी ढांचे की कमी जैसे मुद्दों पर रहेगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, AAP के बिहार प्रभारी अजेश यादव ने एलान किया है कि आम आदमी पार्टी के पास विकास और सुशासन का ऐसा मॉडल है जिसे पूरे देश में सराहा गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पार्टी की सफलता और कामकाज की चर्चा आज हर जगह हो रही है।
यादव ने यह भी याद दिलाया कि दिल्ली में आप की जीत में पूर्वांचल के लोगों का बड़ा योगदान रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का मानना है कि जब दिल्ली में लोगों ने बदलाव लाने में हमारा साथ दिया, तो वही ऊर्जा और समर्थन बिहार में क्यों नहीं मिल सकता?”
दूसरी तरफ जन सुराज पार्टी पूरे दमखम के साथ एक समृद्ध बिहार की परिकल्पना पर आगे बढ़ रही है। उसका मकसद देश के सबसे पिछड़े राज्य में बदलाव के साथ नया बिहार बनाने का है।
AK और PK NDA और महागठबंधन के लिए बनेंगे सिरदर्द?
ऐसे में एके और पीके बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA और महागठबंधन के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। AAP और जनसुराज दोनों गठबंधनों को कड़ी चुनौती दे सकती है। इन पार्टियों के मैदान में आने से वोटों का बिखराव की स्थिति पैदा हो सकती है। इससे पारंपरिक गठबंधनों का वोट बैंक प्रभावित हो सकता है।
जनसुराज और आप का फोकस युवा और शहरी समुदाय का वर्ग है, जिनमें गाहे-ब-गाहे बदलाव के सुर फूटते रहते हैं। ऐसे में ये दोनों पार्टियां इन वर्गों में सेंधमारी कर सकती है। इसके अलावा, बिहार में पलायन, शिक्षा, रोजगार और अपराध बड़े मुद्दे हैं। इन्हीं मुद्दों पर दोनों पार्टियां जोरो शोरो से उठा रही हैं।
हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। तीन बार से लगातार चुनाव जीत रही AAP को बीजेपी ने पटखनी दे चुकी है।
वहीं जनसुराज भी भले ही शिक्षा, रोजगार और पलायन का मुद्दा उठाकर हुंकार भरे हुए हैं। लेकिन यह 14 नवंबर की तारीख ही बताएगी कौन पार्टी किस पर और कौन-सा मुद्दा किस मुद्दे पर भारी पड़ा है।
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