बिहार की इस विधानसभा सीट पर दो परिवारों का राज, क्या अबकी बार बदलेगा रिजल्ट?
भोजपुर जिले में विधानसभा चुनावों में दो परिवारों का दबदबा रहा है। एक परिवार से राघवेंद्र प्रताप सिंह समेत 12 बार विधायक बने वहीं दूसरे परिवार ने शाहपुर में 9 बार प्रतिनिधित्व किया। अंबिका शरण सिंह ने 5 बार विधायक बनकर शुरुआत की जिसके बाद रामानंद तिवारी और उनके परिवार ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। भोजपुर जिले में विधानसभा चुनाव के इतिहास पर नजर डालें तो शुरू से लेकर अब तक जिले के दो राजनीतिक घरानों के परिवारों का दबदबा विधानसभा में रहा है।
17 बार हुए विधानसभा चुनाव में भोजपुर जिले से एक परिवार के 12 बार के विधायक रहे। वर्तमान में बड़हरा से विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह और उनके पिता 12 बार विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
वहीं, शाहपुर से वर्तमान विधायक को मिलाकर नौ बार यह परिवार विधानसभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुका है। राहुल तिवारी रामानंद तिवारी के पौत्र और शिवानंद तिवारी के पुत्र हैं।
1952 में हुए विधानसभा चुनाव की शुरुआत में ही आरा मुफस्सिल विधानसभा क्षेत्र से अंबिका शरण सिंह पहली बार विधानसभा सदस्य का चुनाव जीतकर आए थे। तब से लेकर 1967 तक लगातार चार बार इसके बाद 1977 का भी चुनाव जीता। अंबिका शरण सिंह कुल पांच बार विधायक बने थे।
उनके विरासत को उनके पुत्र राघवेंद्र प्रताप सिंह ने संभाला और 1977 में अपने पिता के निधन के बाद हुए उपचुनाव में चुनाव जीतकर राजनीति की पारी की शुरुआत की। इसके बाद 1985, 1990, 1995, 2000, 2010 और 2020 में बड़हरा विधानसभा से ही सात बार चुनाव जीत रिकॉर्ड बनाया है।
भोजपुर में दूसरा राजनीतिक घराना है रामानंद तिवारी का। ये भी 1952 में शुरू हुए विधानसभा चुनाव के दौरान शाहपुर से चुनाव जीत पारी की शुरुआत की।
उसके बाद लगातार चार बार 1957, 1962, 1967 और 1969 में चुनाव जीते। उनके विरासत को संभालते हुए उनके पुत्र शिवानंद तिवारी ने 2000 और फरवरी 2005 में दो बार चुनाव जीत उसे कायम रखने का प्रयास किया।
तीसरी पीढ़ी में शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी ने 2015 और 2020 में चुनाव जीत विरासत की राजनीति को कायम रखा है। इन दो परिवारों के रिकॉर्ड को कोई अब तक तोड़ नहीं पाया है।
विरासत की राजनीति में अब नए परिवार के नाम जुड़े
भोजपुर जिले में उन दो परिवारों के अलावा तीसरे और चौथे परिवार के लोगों से भी कई बार विधायक बनने का सिलसिला शुरू हो गया है। संदेश से विजेंद्र कुमार यादव वर्ष 2000 में और अक्टूबर 2005 में दो बार विधायक बने थे।
2015 में उनके भाई अरुण यादव और इनकी पत्नी किरण देवी ने 2020 का चुनाव जीत क्षेत्र की राजनीति को एक परिवार में केंद्रित कर दिया। पीरो और तरारी विधानसभा से चार बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सुनील पांडे ने भी बनाया है।
वे 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005, और 2010 में चुनाव लड़कर विजय हासिल की है। वहीं, इनके भाई हुलास पांडे जहां आरा-बक्सर के एमएलसी रह चुके हैं, दूसरी तरफ सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत ने तरारी 2024 उपचुनाव में विधायक बन सियासत में अपने परिवार की विरासत को सींच रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।