Bihar Assembly Election 2025: माता सीता की धरती पर तारणहार का इंतजार
बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए राजनीतिक दल तैयार हैं। जनता को एक ऐसे नेता का इंतजार है जो राज्य को विकास की ओर ले जाए। माता सीता की धरती पर लोग बदलाव चाहते हैं और एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो उनके जीवन में खुशहाली लाए, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर प्रदान करे। वे भ्रष्टाचार मुक्त शासन और सबका विकास चाहते हैं।

सीतामढ़ी के पुनौराधाम स्थित माता जानकी मंदिर। जागरण
अनिल तिवारी, सीतामढ़ी। Bihar Election 2025 / Bihar chunav 2025 / Bihar vidhan sabha chunav 2025: पुनौराधाम। सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर, माता जानकी की प्राकट्य स्थली। सीताराम धुन में रमे साधु-संत, माता के दरबार में माथा टेकने पहुंचे श्रद्धालु।
शांत-सौम्य परिसर में आध्यात्मिक वातावरण, मगर चुनावी छाया से विमुख नहीं है। बैठे-बतियाते, चलते-फिरते चुनाव, सत्ता-समीकरण, बदले चेहरे और मंदिर के शिलान्यास की बात होती है।
बतकही में बात आती है, जब मां सीता प्रकट हुई थीं, तब संपूर्ण मिथिला में पड़ा अकाल खत्म हो गया था। आज भले अकाल नहीं, पर समस्याएं भी कम नहीं हैं। मैदान तय है, योद्धा आ चुके हैं।
इन सब के बीच उस तारणहार की तलाश हो रही जो उनकी मुश्किलों को आसान कर दे। बेहतर और जाम-अतिक्रमण मुक्त सड़कें, बिजली-पानी और रोजगार देनेवाले सरकार, सबकी यही चाह है।
बरसात में डूब जाता है शहर
मंदिर परिसर में फूल-प्रसाद की दुकान चलाने वाले मनीष और सुशील प्रसन्न हैं। इनका कहना है, जब से विकास कार्यों का शिलान्यास हुआ है, तबसे आमदनी दोगुनी हो गई है।
पूरा मंदिर बन जाने के बाद, आप अंदाजा लगा सकते हैं। वे मंदिर परिसर में फूल व प्रसाद की बिक्री करनेवाले परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं। मनीष के दादा सियाप्रसाद साह ने दुकान शुरू की थी।
कहते हैं, पहले छोटा मंदिर था। अयोध्या की तरह मंदिर बन जाए तो यहां के लोगों का बड़ा सपना पूरा होगा। हालांकि, कुछ बातें उन्हें कचोटती भी हैं।
शहर से जोड़ने वाली यहां की सड़क देख लीजिए, बरसात में नाला और रोड एक हो जाता है। गली-मोहल्ले तैरते नजर आते हैं। अब तो मां जानकी से यही प्रार्थना है कि इन समस्याओं से निजात के लिए किसी तारणहार को भेजें।
राम से लगन, सिया सुकुमारी के दास
मंदिर के पुजारी रामकुमार दासजी सियाराम में मग्न हैं। बात करने की कोशिश में धर्म और राजनीति की व्याख्या करते हैं और सीधी बात जय-जय सियाराम, सबका हो कल्याण के साथ प्रसाद वितरण करते हैं।
उनका आशीर्वाद सबके लिए है। कोई आए, कोई जाए वे सिया सुकुमारी के दास हैं। बाहर परिसर में रामलगन प्रसाद कहते हैं, अब आपको क्या बताएं बस ये जानिए हमारा तो राम से लगन है। चुनाव में अभी से क्या बताया जाए, अभी तो ठीक से शुरुआत भी नहीं हो पाई है।
यहां सबकुछ सीधा, जीत-हार दोनों
गोशाला चौक के रामध्यान शर्मा की पीड़ा जायज है। कहते हैं, नेता जनता की मुश्किलों के प्रति कितने गंभीर हैं, वह आपको पासवान चौक से यहां तक आते हुए दिख गया होगा।
कच्चे नाले से जलनिकासी का प्रयास हुआ, लेकिन सब व्यर्थ चला गया। वहां से हम कारगिल चौक पहुंचते हैं। यहां रजोपट्टी के नीलेश कुमार मिलते हैं। कहते हैं-अभी तो यहां स्थिति स्पष्ट नहीं है। मगर तय मानिए कि यहां कोई टेढ़ा नहीं चलता। माता सीता की धरती है जो होता है सीधा और सपाट होता है।
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