Bihar Elections 2025: पिछले चुनाव में ही तेजस्वी ने तोड़ दिया था पिता का रिकार्ड, इस बार भी होड़ में
लालू परिवार के नाम राजनीति में कई रिकॉर्ड हैं, जिनमें से एक तेजस्वी यादव द्वारा बनाया गया ताबड़तोड़ रैलियों का रिकॉर्ड है। उन्होंने एक दिन में 19 रैलियां करके अपने पिता लालू प्रसाद का रिकॉर्ड तोड़ा था। इस बार भी चुनाव प्रचार में उनका उत्साह दिख रहा है, लेकिन उपचुनाव में महागठबंधन की पराजय से जनता की हिचकिचाहट अभी भी बनी हुई है। दीपावली-छठ के कारण प्रचार के लिए कम दिन मिलेंगे।

राजद नेता तेजस्वी यादव। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। राजनीति में लालू परिवार के नाम कई रिकार्ड हैं। उनमें से एक ताबड़तोड़ रैलियों का रिकार्ड है, जो विधानसभा के पिछले चुनाव में तेजस्वी यादव ने बनाया। वह एक दिन में 17 जनसभा और दो रोड-शो से जुड़ा है। यानी एक दिन में 19 रैलियां। इस उपलब्धि के साथ वे अपने पिता लालू प्रसाद द्वारा एक दिन में की गई 16 चुनावी सभाओं के रिकार्ड को ध्वस्त कर दिए थे। तब भ्रष्टाचार के आरोप में लालू जेल में थे। 2015 में सत्ता का सुख भोग चुके तेजस्वी बिहार की सबसे बड़ी कुर्सी के लिए उत्साहित थे। वह उत्साह इस बार भी है, जो चुनाव प्रचार के पहले ही दिन चार जनसभाओं से परिलक्षित हो रहा है।
पिछली बार के परिश्रम ने तेजस्वी को लालू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित कर दिया। राजद ने शिरोधार्य भी कर लिया है, लेकिन जनता की हिचकिचाहट अभी समाप्त नहीं हो रही। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा की चार सीटों (बेलागंज, इमामगंज, तरारी, रामगढ़) पर हुए उप चुनाव में महागठबंधन की पराजय से यह स्पष्ट है। उनमें से तीन विधायक (सुरेंद्र यादव, राजाराम सिंह, सुधाकर सिंह) महागठबंधन के थे, जिनके सांसद चुन लिए जाने के बाद उप चुनाव की नौबत बनी थी। परिणाम आया तो एनडीए की सीट एक से बढ़कर चार हो गई। महागठबंधन के अभेद्य दुर्ग में एडीए ने सेंधमारी कर दी।
चूंकि इस बार दीपावली-छठ के कारण प्रचार के लिए कम दिन सुलभ हो रहे, लिहाजा जनसभाओं और रैलियों की संख्या पिछली बार से कम होगी। हालांकि, स्टार प्रचारकों पर दबाव अधिक रहेगा, क्योंकि उन्हें एक ही दिन में कई-कई विधानसभा क्षेत्रों की परिक्रमा करनी होगी। 28 अक्टूबर को छठ के समापन के बाद प्रचार अभियान परवान चढ़ेगा। बहरहाल जनसभाओं के संदर्भ में इस बार भी एक संयोग बना है। चुनाव की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तेजस्वी यादव की जनसभाओं की शुरुआत एक ही दिन सोमवार को हुई। प्रधानमंत्री ने दो जनसभाएं कीं और तेजस्वी ने उसने दोगुना यानी चार। मामूली कमोबेश के साथ तेजस्वी की जनसभाएं अब अनवरत रहेंगी।
तेजस्वी ने पिछला रिकार्ड एक नवंबर को बनाया था। उसके बाद राजद ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा : बिहार में नौकरी का आंदोलन खड़ा करने वाले क्रांतिकारी युवा नेता तेजस्वी यादव ने आज अपने पिता का रिकार्ड तोड़ते हुए इतिहास में पहली बार एक दिन में 19 चुनावी रैलियां कीं। सभी सभाओं में भारी जनसैलाब उमड़ा। चुनाव परिणाम के दिन भी राजद के एक्स हैंडल पर उत्साह के कई चटख पोस्ट आए, जिनका रंग शाम होते-होते मद्धिम पड़ गया था, क्योंकि एनडीए की सत्ता में वापसी हो चुकी थी। उल्लेखनीय है कि 2020 में एक नवंबर को तेजस्वी ने पहली जनसभा रीगा में पूर्वाह्न 10:05 बजे की और आखिरी शाम 04:45 बजे वैशाली के बिदुपुर में। इससे स्पष्ट है कि उस दिन यात्रा के साथ उनकी रैलियां 06:40 घंटे में पूरी हो गईं। अब बताने की आवश्यकता नहीं कि संवाद में दावे-वादे की पुनरावृत्ति होती रही। वही पुनरावृत्ति इस बार भी हो रही, एक आग्रह के साथ कि एक मौका अवश्य दीजिए। इसी अंदाज में यही आग्रह पिछली बार भी था।
पिछली बार की रैलियां
महागठबंधन : पिछली बार प्रियंका गांधी की जनसभाओं के लिए बड़ा आग्रह था। उन्हें तो छोड़ दीजिए, चुनाव प्रचार के लिए सोनिया गांधी भी नहीं आईं। अलबत्ता राहुल गांधी ने आठ जनसभाएं कीं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने 20 से अधिक रैलियां कीं। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी चुनाव प्रचार किया।
एनडीए : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 160 से अधिक सभाएं कीं। उनमें से छह सभाओं में वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ रहे। इसके अलावा नीतीश ने वर्चुअल सभाएं भी कीं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी. नड्डा ने 22 चुनावी रैलियों को संबोधित किया और रोड-शो किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 19 चुनावी सभाएं कीं। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, धर्मेंद्र प्रधान ने भी चुनावी सभाएं और रैलियां कीं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 200 से अधिक चुनावी सभाएं कीं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने 24 जनसभाएं की थीं।

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