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    Bihar Election: गोपालगंज में आपातकाल का दंश झेल रही है कांग्रेस, 1971 के बाद से कैसे खत्म हुआ दबदबा?

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 12:43 PM (IST)

    गोपालगंज विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने आपातकाल से पहले लगातार जीत दर्ज की लेकिन बाद में वह अपना गढ़ बचाने में विफल रही। 1977 में जनता पार्टी की राधिका देवी ने कांग्रेस को हराकर इस मिथक को तोड़ा। भाजपा के सुबास सिंह ने सबसे ज्यादा चार बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया।

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    इमरजेंसी से पहले था कांग्रेस का दबदबा। फाइल फोटो

    मिथिलेश तिवारी, गोपालगंज। आपातकाल से पहले गोपालगंज विधानसभा सीट पर हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने लगातार जीत दर्ज की थी। इमरजेंसी के बाद कांग्रेस इस सीट पर लगातार प्रयास के बाद भी जीत दर्ज नहीं कर सकी है।

    1971 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वालीं रामदुलारी सिन्हा ने संगठन कांग्रेस के उम्मीदवार नागेश्वर सिंह को हराया था। इसके बाद अबतक कांग्रेस जीत दर्ज नहीं कर सकी है।

    कांग्रेस का गढ़ होने के मिथक को 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी की राधिका देवी ने निर्दलीय काली प्रसाद पाण्डेय को हराकर तोड़ा। इस चुनाव के बाद 1980 के चुनाव में कांग्रेस को दूसरा स्थान मिला था।

    1952 तथा 1957 में हुए विधानसभा चुनाव में गोपालगंज विस क्षेत्र से कमला राय विजयी रहे। इसके बाद 1961 में हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के सत्येंद्र नारायण सिन्हा विजयी रहे।

    1962 में कांग्रेस के अब्दुल गफूर, 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के हरिशंकर सिंह, 1969 में हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस की रामदुलारी सिन्हा तथा 1971 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रामदुलारी सिन्हा निर्वाचित हुईं।

    वर्ष 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर राधिका देवी निर्वाचित घोषित की गईं। 1980 के चुनाव में निर्दलीय काली प्रसाद पाण्डेय ने कांग्रेस के जगत नारायण सिंह को हराया।

    इसके बाद हुए चुनावों में कांग्रेस को कभी भी जीत नसीब नहीं हुई। हद तो यह कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में हुए 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस गोपालगंज विस क्षेत्र में तीसरे स्थान पर रही। 1995 के विस चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही।

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    सबसे ज्यादा जीत का रिकार्ड सुबास सिंह के नाम

    गोपालगंज विधानसभा सीट से सबसे ज्यादा जीत का रिकार्ड भाजपा के सुबास सिंह के नाम पर है। वे यहां से चार बार विधायक चुने गए। इस सीट से लगातार चार बार विधायक रहे सुबास सिंह का 2022 में निधन हो गया। उसके बाद उनकी पत्नी कुसुम देवी उपचुनाव में निर्वाचित हुईं।

    सुबास सिंह के अलावा गोपालगंज विस क्षेत्र से दो बार कांग्रेस के टिकट पर कमला राय, दो बार कांग्रेस की टिकट पर रामदुलारी सिन्हा तथा सुरेंद्र सिंह दो बार विधायक चुने गए।

    नवंबर 2005 में भाजपा को मिली पहली जीत

    पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पैतृक जिले गोपालगंज में 2005 के नवंबर माह में हुए विधानसभा चुनाव में गोपालगंज विस क्षेत्र से भाजपा का खाता खुला।

    भाजपा ने यहां से सुबास सिंह को टिकट दिया और वे रेयाजुल हक राजू को हराकर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। उसके बाद उन्होंने लगातार चार जीत का रिकार्ड बनाया।

    गोपालगंज विस क्षेत्र से अबतक निर्वाचित विधायक

    वर्ष विजयी दल का नाम
    1952 कमला राय कांग्रेस
    1957 कमला राय कांग्रेस
    1961 सत्येंद्र नारायण सिंह कांग्रेस
    1962 अब्दुल गफूर कांग्रेस
    1967 हरिशंकर सिंह सोशलिस्ट पार्टी
    1969 रामदुलारी सिन्हा कांग्रेस
    1971 रामदुलारी सिन्हा कांग्रेस
    1977 राधिका देवी जनता पार्टी
    1980 काली प्रसाद पांडेय निर्दलीय
    1985 सुरेंद्र सिंह निर्दलीय
    1990 सुरेंद्र सिंह जनता दल
    1995 रामावतार जनता दल
    2000 अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव राजद
    2005 (फरवरी) रेयाजुल हक राजू बसपा
    2005 (नवंबर) सुबाष सिंह भाजपा
    2010 सुबाष सिंह भाजपा
    2015 सुबाष सिंह भाजपा
    2020 सुबाष सिंह भाजपा
    2022 (उपचुनाव) कुसुम देवी -