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    Bihar SIR:10 विधानसभा में कटे 60 फीसदी महिलाओं के नाम, 8 सीटों पर RJD-कांग्रेस का कब्जा; मचा सियासी बवाल

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 11:10 PM (IST)

    बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर विवाद गहरा गया है। महागठबंधन का आरोप है कि उनके समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। खासकर महिलाओं के नाम हटाने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। एनडीए का कहना है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष है। अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 30 सितंबर को होगा जिसके बाद स्थिति स्पष्ट होगी।

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    दस विधानसभा क्षेत्रों में हटाए गए नामों में 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं। जागरण

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। मतदाता-सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आधार-कार्ड को मान्यता मिलने के साथ ही विशेष गहन पुनरीक्षण का मुद्दा (एसआइआर) एक बार फिर चर्चा में है।

    हालांकि, इसका सही निष्कर्ष 30 सितंबर को निकलेगा, जब मतदाता-सूची का अंतिम प्रकाशन होगा, लेकिन महागठबंधन यह शिकायत दोहराने लगा है कि प्रारूप से उसके वोटरों के नाम चुन-चुनकर हटाए गए।

    इस दावे में वह अपनी जीत वाले विधानसभा क्षेत्रों को गिना रहा। सत्ताधारी एनडीए का तर्क है कि उन क्षेत्रों से तो अधिसंख्य नाम महिलाओं के बाहर हुए हैं, जो जदयू-भाजपा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

    बिहार में ऐसे 43 विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पुरुषों से अधिक महिलाओं के नाम हटाए गए हैं। एक अगस्त को मतदाता-सूची के प्रारूप का प्रकाशन हुआ था। मृत, दोहरी प्रविष्टि और विस्थापन के आधार पर 65.63 लाख नाम प्रारूप से हटाए गए, उनमें 55 प्रतिशत महिलाएं हैं।

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    10 विधानसभा क्षेत्रों में तो यह आंकड़ा 60 प्रतिशत से भी अधिक है। उनमें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित राजपुर और मोहनियां भी हैं। उपरोक्त क्षेत्रों में से एक-एक में पिछली बार भाजपा और कांग्रेस को जीत मिली थी।

    दो पर एआइएमआइएम और छह पर राजद विजेता रहा था। अमौर में पिछली बार अख्तरूल इमाम जीते थे। अभी एआइएमआइएम के वे एकमात्र विधायक हैं और पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष भी।

    उनकी पार्टी के बाकी चार विधायक पाला बदलकर राजद के हो चुके हैं। इस वर्ष पहली जनवरी को प्रकाशित मतदाता-सूची में महिलाओं की संख्या 37257474 थी। कुल मतदाताओं में यह संख्या 47.7 प्रतिशत थी, जो प्रारूप में घटकर 47.2 रह गई है।

    सर्वाधिक 64 प्रतिशत महिलाएं कैमूर जिला से बाहर हुई हैं। उपरोक्त 10 में कैमूर के दो विधानसभा क्षेत्र (भभुआ और मोहनिया) हैं। पिछली बार दोनों जगह राजद विजयी रहा था।

    हालांकि, उसके दोनों विधायक भाजपा से जा मिले। इस सूची में भाजपा की जीती हुई ढाका सीट भी है। शेष नौ सीटें सीमांचल और शाहाबाद की हैं, जो महागठबंधन के लिए सर्वाधिक उर्वर क्षेत्र हैं।

    रामगढ़ इसी दायरे में है, जहां 2020 में मात्र 189 मतों से सुधाकर सिंह विजयी रहे थे। बाद में वे बक्सर से सांसद चुन लिए गए। उसके बाद हुए उप चुनाव में भाजपा ने रामगढ़ में राजद को पटक दिया।

    एसआइआर का गणित

    विधानसभा क्षेत्र बाहर हुई महिलाएं (%) 2020 में विजेता 2015 में विजेता 2010 में विजेता
    राजपुर 69% कांग्रेस जदयू जदयू
    रामगढ़ 67% राजद भाजपा राजद
    ढाका 65% भाजपा राजद निर्दलीय
    मोहनिया 65% राजद भाजपा जदयू
    भभुआ 64% राजद भाजपा लोजपा
    ठाकुरगंज 63% राजद जदयू लोजपा
    अमौर 63% एआइएमआइएम कांग्रेस भाजपा
    कोचाधामन 63% एआइएमआइएम जदयू राजद
    ब्रह्मपुर 63% राजद राजद भाजपा
    नोखा 62% राजद राजद भाजपा

    (नोट : बाहर हुई महिलाओं का प्रतिशत विधानसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं के अनुपात में)