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    सगे भाई की बनीं प्रेमिका, सड़कों पर हुआ विद्रोह, गरीबी ने बदली जिंदगी...ऐसे हुआ उस हीरोइन का अंत!

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 04:58 PM (IST)

    आज हम आपको एक ऐसी हीरोइन की कहानी बताएंगे, जिसने पर्दे पर अपने सगे भाईयों से रोमांस किया और फिर बाद में इसको लेकर जमकर विवाद भी हुआ। आइए जानते हैं उसी ...और पढ़ें

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    सगे भाई से रोमांस करने वाली वो हीरोइन

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा में आज के दौर में भले ही सबकुछ इतना एडवांस हो लेकिन एक वक्त ऐसा था जब हिंदी सिनेमा की अभिनेत्रियों के लिए कुछ भी करना मानो बड़ी मुश्किल के बराबर होता था। पहले हॉटनेस भी छुप-छुपकर दिखाई जाती थी। यहां तक कि इसी के चलते कई बार विवाद तक हुआ। आज हम आपको एक ऐसी हीरोइन की कहानी बताएंगे, जिसने पर्दे पर अपने सगे भाईयों से रोमांस किया और फिर बाद में इसको लेकर जमकर विवाद भी हुआ। आइए जानते हैं उसी हीरोइन की कहानी...

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    40 के दशक में मशहूर हुईं एक्ट्रेस

    हिंदी सिनेमा के नए-नए कदम आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच 40 के दशक में एक एक्ट्रेस आईं, जिनका नाम था मीनू मुमताज। इस अदाकारा ने उस जमाने में कुछ ऐसा किया जिसके चर्चे खूब हुए। मुमताज अली की बेटी मीनू मुमताज थीं। मुमताज अली भी अभिनेता ही थे। ऐसे में मीनू के लिए सिनेमा की राह थोड़ी आसान थी। मीनू के भाई मशहूर कॉमेडियन महमूद थे। मीनू का जन्म साल 1942 में मुंबई में हुआ था।

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    मुंबई में जन्मी और पली-बढ़ी मीनू मुमताज ने अपने पिता से डांस सीखा। डांस की चाह धीरे-धीरे मीनू के कदमों को सिनेमा की दुनिया में ले आई। 4 भाई और 4 बहनों के परिवार में जब मीनू के पिता शराब की लत में डूबे तो जिम्मेदारियां बढ़ने लगीं। हालांकि मीनू की मां नहीं चाहती थीं कि वो एक्ट्रेस बनें। पहले मीनू ने नाटकों में काम करना शुरू किया फिर एक दिन फिल्ममेकर नानूभाई वकील की उन पर नजर पड़ी और यहीं से मिली उन्हें अपनी पहली फिल्म।

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    फिल्मों में चला मीनू मुमताज का सिक्का

    साल 1955 में मीनू मुमताज की पहली फिल्म आई, जिसका नाम था सखी हातिम। महज 13 की मीनू ने इस फिल्म से सिनेमा की दुनिया में कदम रख लिया। साल 1956 में आई फिल्म सीआईडी में उनके नाम को पसंद किया गया। इसके बाद वो हावड़ा ब्रिज, चौदहवीं का चांद, कागज के फूल, साहेब बीवी और गुलाम, यहूदी, ताजमहल समेत कई फिल्मों में नजर आईं।

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    फिल्म नया दौर में उनका गाना रेशमी सलवार कुर्ता जाली का (Reshami Salawaar Kurta Jaali Ka) खूब पॉपुलर हुआ। मीनू मुमताज का असली नाम मलिकुन्निसा अली था, लेकिन जब उनकी फिल्में हिट हुईं तो उन्होंने नाम बदल दिया। वो ज्यादातर फिल्मों में चैरेक्टर रोल्स और डांस करती नजर आईं।

    भाई के साथ पर्दे पर किया रोमांस तो हुआ विवाद

    साल 1958 में फिल्म आई हावड़ा ब्रिज। इस फिल्म में मीनू के साथ उनके भाई महमूद नजर आए। फिल्म में मीनू ने भाई महमूद के साथ पर्दे पर रोमांस किया। फिल्म में मुमताज और महमूद एक दूसरे के अपोजिट नजर आए थे। ऐसे में फिल्म और स्क्रिप्ट की डिमांड के चलते दोनों को स्क्रीन पर रोमांस भी करना था। फिल्म के गाने 'गोरा रंग चुनरिया काली' में दोनों का रोमांस नजर आया।

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    हालांकि एक्टर्स होने के नाते दोनों स्क्रीन पर साथ नजर आए और रोमांस भी किया, लेकिन नहीं पता था कि विवाद इतना बढ़ जाएगा। जब फिल्म आई और लोगों ने फिल्म के गानों और फिल्म को देखा तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उस वक्त फिल्म को बैन तक करने की मांग की गई, क्योंकि लोगों का कहना था कि भाई-बहन के रिश्ते को खराब किया जा रहा है। हालांकि फिल्म हिट रही और धीरे-धीरे ये विवाद भी थम सा गया।

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    शादी के बाद छोड़ा देश और फिर निधन

    मीनू मुमताज ने 1963 में फिल्ममेकर एस अली अकबर से शादी कर ली। शादी के बाद मीनू के 4 बच्चे हुए। इसके बाद वो घर-परिवार छोड़कर कुवैत में रहने लगीं और फिर टोरंटो में जाकर बस गईं। हालांकि बीच-बीच में वो कई बार भारत आती जाती रहीं।

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    साल 2003 में मीनू मुमताज की याददाश्त चली गई। बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया तो पता चला कि उन्हें ब्रेन में एक ट्यूमर है। इसके बाद उनके ट्यूमर का इलाज हुआ और ठीक हुईं। हालांकि साल 2021 में कैंसर के चलते उनका निधन हो गया।

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