Arjun Rampal: नेगेटिव किरदार निभाने में आता है मजा, 'पंजाब 95' के बैन पर एक्टर की दो टूक
अर्जुन रामपाल की अपकमिंग फिल्म रणवीर सिंह के साथ धुरंधर है जिसमें वह नेगेटिव किरदार निभाने जा रहे हैं। जिसके फर्स्ट लुक में वे काफी खतरनाक लग रहे हैं। एक्टर ने हाल ही में जागरण न्यू मीडिया संग बातचीत में इन किरदारों और अपनी फिल्म पंजाब 95 के बारे में खुलकर बात की जिसे भारत में रिलीज होने में परेशानी हो रही है।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अर्जुन रामपाल एक ऐसे एक्टर हैं जो पॉजीटिव और नेगेटिव दोनों ही किरदार बखूबी निभाते हैं। लेकिन आजकल उनकी फिल्मों की चॉइस देखें तो वे नेगेटिव किरदार ज्यादा निभा रहे हैं वहीं दर्शक उन्हें इस तरह के रोल पसंद भी कर रहे हैं। आखिर रामपाल नेगेटिव किरादरों की तरफ क्यों खींचे चले जा रहे हैं इसी बारे में एक्टर ने जागरण न्यू मीडिया से खुलकर बात की है. उन्होंने अपनी आने वाली फिल्मों, अपने किरदारों और रिलीज के लिए रुकी हुई अपनी फिल्म पंजाब 95 के बारे में भी बात की।
- कुछ अर्से से आपको निगेटिव किरदार ज्यादा भा रहे हैं?
मुझे लगता है कि वो मुझे आकर्षित नहीं कर रहे हैं, बल्कि मैं उन्हें भा रहा हूं। हां, काफी हो गया, लेकिन
क्या है न कि अगर अच्छे किरदार मिल जाएं तो उन्हें ना करना मुश्किल हो जाता है। पर हां किसी भी भूमिका को निभाने से पहले काफी सोचना भी पड़ता है। उस पर काम करना पड़ता है। ‘राणा नायडू’ काफी अलग शो रहा। शो में सारे किरदार ब्लैक एंड व्हाइट नहीं हैं। उसका हीरो भी ग्रे ही है। मुझे लगा कि रऊफ का कैरेक्टर भी बाकी किरदारों की तरह जटिल होगा। वहां बतौर कलाकार काफी फ्रीडम भी मिलती है इसलिए करने में मजा आया।
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- अब फिल्मों में एक्शन काफी हिंसात्मक हो गया है। आपको क्या लगता है कि कलाकारों की भी इस ओर जिम्मेदारी बनती है?
अगर आप आज के बच्चों को देखें कि वो कैसे-कैसे वीडियो गेम खेलते हैं तो हम लोग उसके आगे बहुत कमतर लगेंगे। जिम्मेदारी सिर्फ कलाकारों की नहीं, सबकी बनती है। हम वही बनाते हैं जो कहानी की मांग होती है, जिससे वह रियल दिखे। अगर हम देखें कि दुनिया में इस वक्त किस तरह की खबरें आ रही हैं। मैं हिंसा को बढ़ावा देने का कतई समर्थक नहीं हूं, लेकिन लोग जब फिल्म देखने आते हैं तो इस बात को समझते हैं कि यह कल्पनात्मक दुनिया है। यह सिर्फ मनोरंजन के लिए है। इसे घर ले जाने की जरूरत नहीं है। अगर फिल्म में कोई अच्छा मैसेज है या कोई और अच्छी बात है तो जरूर उसे आपने साथ ले जाएं। पर हर बात को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।
फोटो क्रेडिट- आईएमडीबी
- आपको इंडस्ट्री में 25 साल हो गए हैं। इन 25 सालों में सिनेमा तो काफी बदल गया है। अब सिनेमाघरों के अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं...
यह जो कहा जा रहा है कि सिनेमाघर बंद हो जाएंगे तो ऐसा कुछ नहीं होगा। फिल्में और ओटीटी एक ही इंडस्ट्री के अलग-अलग माध्यम हैं। उनके बीच की रेखा धुंधली हो गई है क्योंकि कला वही है। एंटरटेनमेंट वही है। बस उसके देखने का जरिया थोड़ा बदला है क्योंकि अब आप अपने मोबाइल फोन पर सब देख सकते हैं। अगर आप अच्छा कंटेंट बनाते हैं तो निश्चित रूप से दर्शक सिनेमाघर आएंगे। कंटेंट ही किंग है। उस पर ध्यान देने की जरूरत है।
- आज के दौर में स्टारडम पाना मुश्किल माना जा रहा है...
स्टार तो स्टार ही होते हैं, लेकिन अगर आपने अपनी कला पर ध्यान नहीं दिया और अलग-अलग तरह के किरदार नहीं निभाए तो आप कभी एक्टर नहीं बन सकते हैं। अगर आप अलग-अलग प्रयोग करो, कुछ नया करो तो मुझे लगता है कि एक एक्टर की
जिंदगी स्टार से कहीं बेहतर है।
फोटो क्रेडिट-आईएमडीबी
- आपके लिए कौन सा नेगेटिव किरदार सबसे कठिन रहा है?
सबसे मुश्किल ‘ओम शांति ओम’ वाला रहा, क्योंकि उस समय पर मैं पहली बार ऐसी कोई भूमिका निभा रहा था। मैं बहुत घबराया हुआ था। तब लगता था कि कैसे करेंगे, लेकिन जब करने लगा तो समझा आया कि यह नए इमोशन को दिखाने का जरिया है। उसके बाद किसी नेगेटिव किरदार को निभाने में कोई घबराहट नहीं हुई। पर हां सबसे ज्यादा कठिन कैरेक्टर फिल्म ‘डैडी’ में रही क्योंकि अरुण गवली पर आधारित थी। मुझे वैसा दिखना था। वैसी लैंग्वेज रखीन थी तो सबसे ज्यादा मेहनत उसमें गई थी।
फोटो क्रेडिट- आईएमडीबी
- आपकी फिल्म ‘पंजाब 95’ प्रदर्शित नहीं हो पा रही...
अभी देखते हैं कि क्या होगा। मुझे यकीन है कि फिल्म जरूर सबके सामने आएगी। यह एक अच्छी फिल्म है। सेंसर बोर्ड के साथ मसला सुलझा लिया जाएगा।
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