'मुसलमान जरूर देखें फिल्म,' Haq को लेकर इमरान हाशमी की दो टूक, इस वजह से उड़ गई थी रातों की नींद
अभिनेता इमरान हाशमी और एक्ट्रेस यामी गौतम की जोड़ी आने वाले दिनों में फिल्म हक (Haq) में दिखाई देगी। वास्तविक घटना पर आधारित इस फिल्म का ट्रेलर सोमवार को रिलीज किया गया। ट्रेलर लॉन्च के मौके पर इमरान ने हक को लेकर अपनी दो टूक राय रखी है। आइए जानते हैं कि एक्टर ने क्या कहा है।

इमरान हाशमी की अगली फिल्म हक (फोटो क्रेडिट- एक्स)
जागरण, न्यूज नेटवर्क। वास्तविक घटनाओं को पर्दे पर फिल्मों के जरिये लाने का सिलसिला लगातार जारी है। इस फेहरिस्त में अब फिल्म हक भी जुड़ गई है। यह फिल्म साल 1985 के प्रसिद्ध शाह बानो केस की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो अपने वकील पति से तलाक के बाद अपने और अपने बच्चों के अधिकारों की मांग करते हुए उसे अदालत तक ले जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे सेक्युलर कानून के तहत भरण पोषण का अधिकार दिया था।
इस फैसले के बाद कुछ मुस्लिम समूहों ने इसका विरोध यह कहते हुए किया था कि यह शरीयत के खिलाफ है। इमरान हाशमी और यामी गौतम अभिनीत इस फिल्म का ट्रेलर सोमवार को मुंबई में लांच हुआ। सात नवंबर को यह सिनेमाघरों में रिलीज होगी। तीन साल के रिसर्च के बाद बनी इस फिल्म के ट्रेलर लांच पर कुछ तीखे सवाल भी सितारों से हुए।
मुसलमानों को जरूर देखनी चाहिए यह फिल्म
इमरान हाशमी फिल्म में इमरान शाजिया बानो (यामी गौतम) के वकील पति की भूमिका में हैं। इमरान खुद भी मुसलमान हैं। ऐसे में उनसे जब पूछा गया कि एक मुस्लिम अभिनेता होने के नाते क्या उन्हें इस फिल्म को करने में कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी या दबाव महसूस हुआ? इस पर उन्होंने बिना झिझके कहा, ‘जब मैं इस तरह की स्क्रिप्ट पढ़ता हूं, तो सबसे पहले मैं उसे एक अभिनेता के नजरिये से देखता हूं लेकिन इस फिल्म में पहली बार मुझे एक मुस्लिम के तौर पर भी अपना नजरिया लाना पड़ा।

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उस ऐतिहासिक केस की बात करते हैं, तो पूरा देश कहीं न कहीं दो हिस्सों में बंट गया था। एक तरफ धर्म और व्यक्तिगत आस्था थी, दूसरी तरफ संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष अधिकार। मुझे यह देखना था कि इस फिल्म में निर्देशक और लेखक का दृष्टिकोण संतुलित, निष्पक्ष है या नहीं। इसका जवाब मुझे हां में मिला। जब लोग थिएटर से इस फिल्म को देखकर बाहर निकलेंगे, तो हमें नहीं पता कि उनकी राय क्या होगी लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि ज्यादातर लोग इसे संतुलित पाएंगे।

यह महिलाओं के पक्ष में बनी फिल्म है, जिसमें सामाजिक जागरूकता भी है। मेरे समुदाय के लिए मुझे यही लगा कि यह एक उदार मुस्लिम के नजरिये से कही गई कहानी है। मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन फिल्म है और मुसलमानों को यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए, क्योंकि वे इससे एक अलग और गहरे स्तर पर जुड़ाव महसूस करेंगे।’
उड़ी थी रातों की नींद
आगे इमरान ने बताया कि फिल्म के एक मोनोलाग को लेकर कैसे उनकी रातों की नींद उड़ गई थी। इमरान बताते हैं, ‘फिल्म के आखिरी मोनोलाग ने मुझे कई रातों तक जगाए रखा। मैं अक्सर सुपर्ण (फिल्म के निर्देशक सुपर्ण एस वर्मा) और यामी को भी परेशान करता था। उन्होंने मुझे सात पन्नों का मोनोलाग दिया था। मैं यही सोचता था कि अगर मैं 20वीं लाइन पर गलती कर दूं, तो क्या मुझे फिर से शुरू करना पड़ेगा?’

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